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Mandsaur News: मंदसौर में बरसात के लिए अजीबो-गरीब टोटका, बारिश न होने पर लोगों ने गधों को खिलाये गुलाब जामुन

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Published : Aug 20, 2023, 8:22 PM IST

Updated : Sep 7, 2023, 4:40 PM IST

मंदसौर में बारिश के लिए लोगों ने अजीबो-गरीब टोटका किया. चंद्रपुरा में लोगों को गधे पर बैठ कर घुमाया. इसके बाद बरसात होने पर इन गधों को गुलाब जामुन खिलाए गए.

Mandsaur News
बारिश होने पर लोगों ने गधों को खिलाये गुलाब जामुन

मंदसौर में बरसात के लिए अजीबो-गरीब टोटका

मंदसौर। समूचे मालवा इलाके में बारिश न होने के कारण लोग काफी चिंता में पड़ गए हैं और अब रूठे हुए इंद्र देवता को मनाने के लिए उन्होंने यहां टोने-टोटके भी शुरू कर दिए हैं. चंद्रपुरा के किसानों और ग्रामीणों ने गांव के एक व्यक्ति को पहले तो गधे पर बैठ कर घुमाया और इसके बाद जैसे ही बरसात की रिमझिम फुहारे गिरी तो खुश हुए लोगों ने आधी रात के वक्त भगवान पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचकर उन्हीं गधों को गुलाब जामुन खिला दिए.

25 दिनों से नहीं हुई बारिशः पुराने जमाने की एक कहावत बड़ी फेमस है कि "गधे गुलाब जामुन खा गए" लेकिन मालवा इलाके में उसी गधे को संकट के समय शिद्दत से याद किया जाता है. मंदसौर और आसपास के जिलों में पिछले 25 दिनों से बारिश की एक भी बूंद नहीं गिरी है, फसलें बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है. ऐसे हालात में यहां के लोगों और किसानों में भारी चिंता ही नजर आ रही है. रूठे हुए इंद्र को मनाने के लिए लोगों ने यहां टोने-टोटके शुरू कर दिए हैं. तीन दिन पहले गुरुवार की रात यहां चंद्रपुरा के लोगों ने गोपनीय तरीके से एक टोना-टोटका करते हुए गांव के एक व्यक्ति और स्थानीय पार्षद शैलेंद्र गिरी गोस्वामी को गधे पर बैठाकर श्मशान में घुमाया. इसके बाद उन्होंने गधों की बैलजोड़ी बनाकर श्मशान में ही फसल की बुवाई की.

ये है परंपराः ऐसा माना जाता है कि शमशान निर्वाण अंतिम समय रहता है. ऐसे हालात को और वर्षा में अंतिम समय जैसा ही तोला जाता है, कि अब अंत समय आ गया है. इसके बाद इंसान को मरना ही है, तो लोग फिर उसी अंत समय से एक नई शुरूआत वहीं से करते हैं. लिहाजा वहां से किसान अपनी फसल की बुवाई कर गांव की ओर बढ़ता है तो वह अपने अंतिम समय से बचकर गांव की बस्ती की ओर आ जाता है. इस टोटके को पिछले कई सालों से यहां परंपरागत रूप से किया जाता रहा है. इन्हीं हालात में लोगों ने गुरुवार की रात को ही ऐसा टोटका किया था और शनिवार की रात जब रिमझिम बारिश की फुहारे गिरी. इसके बाद लोग दोनों गधो को लेकर भगवान पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचे और पूरा थाल भर कर उन्हें गुलाब जामुन खिला दिए. हालांकि यहां अभी भी फसलों को तृप्त कर देने जैसी बारिश नहीं हुई है. लेकिन मॉनसून के दोबारा आगाज से लोगों में खुशी का माहौल है.

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बारिश होने से किसानों में खुशी का माहौलः स्थानीय पार्षद शैलेंद्र गिरी गोस्वामी ने कहा कि "यह परंपरा उनके बाप-दादाओं के जमाने से चली आ रही है. लिहाजा उन्होंने इसी का पालन करते हुए आधी रात के वक्त गधों को गुलाब जामुन खिलाएं. गांव के एक व्यक्ति ने भी इस परंपरा का निर्वाह करते हुए इसे स्थानीय लोगों को आगे बढ़ाने की अपील की है. रविवार के दिन भी यहां हल्की-फुल्की बरसात हुई और फसलें लहलहाती नजर आ रही है. इससे किसानों और व्यापारियों में खुशी का माहौल नजर आ रहा है. "

मंदसौर में बरसात के लिए अजीबो-गरीब टोटका

मंदसौर। समूचे मालवा इलाके में बारिश न होने के कारण लोग काफी चिंता में पड़ गए हैं और अब रूठे हुए इंद्र देवता को मनाने के लिए उन्होंने यहां टोने-टोटके भी शुरू कर दिए हैं. चंद्रपुरा के किसानों और ग्रामीणों ने गांव के एक व्यक्ति को पहले तो गधे पर बैठ कर घुमाया और इसके बाद जैसे ही बरसात की रिमझिम फुहारे गिरी तो खुश हुए लोगों ने आधी रात के वक्त भगवान पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचकर उन्हीं गधों को गुलाब जामुन खिला दिए.

25 दिनों से नहीं हुई बारिशः पुराने जमाने की एक कहावत बड़ी फेमस है कि "गधे गुलाब जामुन खा गए" लेकिन मालवा इलाके में उसी गधे को संकट के समय शिद्दत से याद किया जाता है. मंदसौर और आसपास के जिलों में पिछले 25 दिनों से बारिश की एक भी बूंद नहीं गिरी है, फसलें बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है. ऐसे हालात में यहां के लोगों और किसानों में भारी चिंता ही नजर आ रही है. रूठे हुए इंद्र को मनाने के लिए लोगों ने यहां टोने-टोटके शुरू कर दिए हैं. तीन दिन पहले गुरुवार की रात यहां चंद्रपुरा के लोगों ने गोपनीय तरीके से एक टोना-टोटका करते हुए गांव के एक व्यक्ति और स्थानीय पार्षद शैलेंद्र गिरी गोस्वामी को गधे पर बैठाकर श्मशान में घुमाया. इसके बाद उन्होंने गधों की बैलजोड़ी बनाकर श्मशान में ही फसल की बुवाई की.

ये है परंपराः ऐसा माना जाता है कि शमशान निर्वाण अंतिम समय रहता है. ऐसे हालात को और वर्षा में अंतिम समय जैसा ही तोला जाता है, कि अब अंत समय आ गया है. इसके बाद इंसान को मरना ही है, तो लोग फिर उसी अंत समय से एक नई शुरूआत वहीं से करते हैं. लिहाजा वहां से किसान अपनी फसल की बुवाई कर गांव की ओर बढ़ता है तो वह अपने अंतिम समय से बचकर गांव की बस्ती की ओर आ जाता है. इस टोटके को पिछले कई सालों से यहां परंपरागत रूप से किया जाता रहा है. इन्हीं हालात में लोगों ने गुरुवार की रात को ही ऐसा टोटका किया था और शनिवार की रात जब रिमझिम बारिश की फुहारे गिरी. इसके बाद लोग दोनों गधो को लेकर भगवान पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचे और पूरा थाल भर कर उन्हें गुलाब जामुन खिला दिए. हालांकि यहां अभी भी फसलों को तृप्त कर देने जैसी बारिश नहीं हुई है. लेकिन मॉनसून के दोबारा आगाज से लोगों में खुशी का माहौल है.

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बारिश होने से किसानों में खुशी का माहौलः स्थानीय पार्षद शैलेंद्र गिरी गोस्वामी ने कहा कि "यह परंपरा उनके बाप-दादाओं के जमाने से चली आ रही है. लिहाजा उन्होंने इसी का पालन करते हुए आधी रात के वक्त गधों को गुलाब जामुन खिलाएं. गांव के एक व्यक्ति ने भी इस परंपरा का निर्वाह करते हुए इसे स्थानीय लोगों को आगे बढ़ाने की अपील की है. रविवार के दिन भी यहां हल्की-फुल्की बरसात हुई और फसलें लहलहाती नजर आ रही है. इससे किसानों और व्यापारियों में खुशी का माहौल नजर आ रहा है. "

Last Updated : Sep 7, 2023, 4:40 PM IST
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