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बारिश से पहले प्रशासन की बदइंतजामी, डर के साये में जी रहे लोग

आमतौर पर बारिश के सीजन में होने वाली समस्याओं को लिए प्रदेश के कई शहर तैयारियां पहले से शुरु कर देते हैं. लेकिन कई बड़े शहरों का प्रशासन इस तरफ ध्यान नहीं देता. जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसा ही कुछ हाल है मंदसौर का...

Negligence of mandsaur administration before rain
बाढ़ का डर
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Published : Jul 10, 2020, 1:28 AM IST

मंदसौर। प्रदेश भर मानसून शुरू हो गया है. आमतौर पर बारिश के सीजन में होने वाली समस्याओं को लिए प्रदेश के कई शहर तैयार हैं, तो कई शहरों के हालत खराब है. यहां प्रशासन दावे तो जरूर करता है, लेकिन जमीनी स्तर पर काम नजर नहीं आ रहा. कुछ ऐसा ही हाल मंदसौर शहर का भी है. जहां पिछले साल सितंबर महीने में आई भीषण बाढ़ के दौरान हुई हानि की भरपाई प्रशासन नहीं कर पाया और न ही इमारतों की मरम्मत कराई गई. इस दौरान रुके हुए कामों को पूरा कराने में प्रशासन का ध्यान नहीं है. प्रशासन की इस बदइंतजामी के कारण लोगों में भारी दहशत का माहौल है.

बारिश से पहले प्रशासन की बदइंतजामी

मरम्मत का काम अधूरा
पिछले साल 16 और 17 सितंबर के दिन आई भीषण बाढ़ से समूचे मालवा इलाके को भारी नुकसान हुआ. चंबल और शिवना नदी के अलावा टुंबड़ नदी पर बने पांच पुल सैलाब में पूरी तरह बह गए थे. चंबल नदी पर बना बरखेड़ा का पुल भी पूरी तरह बह गया था. लेकिन इस पुल के दोबारा निर्माण का काम आज तक चालू नहीं हो पाया है. दूसरी तरफ शक्कर खेड़ी में भी टुंबड़ नदी पर बने पुल के मामले में भी प्रशासन ने आज तक कोई सुध नहीं ली. हालांकि लोक निर्माण विभाग ने इनकी एवज में दूसरे रास्ते चालू कर दिए हैं, लेकिन बाढ़ के हालात में उन रास्तों से आवागमन नहीं हो सकेगा. शहर में तलाबों के मरम्मत का काम अधूरा होने के कारण इस साल भी खेतों मे जल भराव की आशंका है.

Negligence of mandsaur administration before rain
क्षतिग्रस्त प्रशासनिक इमारत

मुआवजे के लिए तरस रहे लोग
पिछले साल मानसून सीजन के आखिरी दौर में हुई भीषण बरसात से जिले के तमाम नदी नाले उफान पर थे, जिससे बस्तियों के हजारों मकानो और सरकारी भवनों को भी भारी नुकसान हुआ था. इस मामले में सरकारी महकमे ने बाढ़ पीड़ितों की सूची तो तैयार कर ली थी. लेकिन सैकड़ों लोग आज भी मुआवजे को तरस रहे हैं. बाढ़ के कारण मंदसौर जिले के 92 गांवों में भारी नुकसान हुआ था. कस्बाई इलाके और शहरी क्षेत्र में प्रशासन ने दुकानदारों को तात्कालिक तौर पर 6 हजार 500 रुपये की मदद देकर राहत दे दी थी, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों लोगों को आज भी मुआवजा के लिए तरस रहे हैं.

Negligence of mandsaur administration before rain
क्षतिग्रस्त सड़क

प्रशासन ने का पूरी तैयारी
जिला पंचायत के सीईओ रिशव गुप्ता और कलेक्टर मनोज पुष्प ने भी जिले में हुए नुकसान की कई जगह भरपाई नहीं होने की बात मानी है. हालांकि दोनों अधिकारियों ने बाढ़ नियंत्रण के मुद्दे पर पुख्ता इंतजाम कर लेने की बात का दावा किया है. अधिकारियों ने कहा कि जो भी काम बचा हुआ है उसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा. प्राथमिक स्तर पर बाढ़ से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह तैयार है.

Negligence of mandsaur administration before rain
क्षतिग्रस्त मकान

अब के सीएम तब करते थे हल्ला
पिछले साल जिले में आई बाढ़ के मामले में पीड़ितों की मदद के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्ट्रेट के बाहर 24 घंटे का धरना देकर शासन से गुहार लगाई थी, हालांकि उस समय कमलनाथ सरकार थी, जिसने तीन हजार करोड़ रुपए की सरकारी मदद देकर लोगों को राहत देने का काम किया था, जबकी राहत राशियां समय पर नहीं मिलने से कई लोग आज भी मुआवजे से वंचित हैं. अब जब प्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार है तो शहर में पुख्ता इंतजाम न होने से मानसून आते ही लोगों में दहशत का महौल है.

Negligence of mandsaur administration before rain
बाढ़ में बहा हुआ पुल

मंदसौर। प्रदेश भर मानसून शुरू हो गया है. आमतौर पर बारिश के सीजन में होने वाली समस्याओं को लिए प्रदेश के कई शहर तैयार हैं, तो कई शहरों के हालत खराब है. यहां प्रशासन दावे तो जरूर करता है, लेकिन जमीनी स्तर पर काम नजर नहीं आ रहा. कुछ ऐसा ही हाल मंदसौर शहर का भी है. जहां पिछले साल सितंबर महीने में आई भीषण बाढ़ के दौरान हुई हानि की भरपाई प्रशासन नहीं कर पाया और न ही इमारतों की मरम्मत कराई गई. इस दौरान रुके हुए कामों को पूरा कराने में प्रशासन का ध्यान नहीं है. प्रशासन की इस बदइंतजामी के कारण लोगों में भारी दहशत का माहौल है.

बारिश से पहले प्रशासन की बदइंतजामी

मरम्मत का काम अधूरा
पिछले साल 16 और 17 सितंबर के दिन आई भीषण बाढ़ से समूचे मालवा इलाके को भारी नुकसान हुआ. चंबल और शिवना नदी के अलावा टुंबड़ नदी पर बने पांच पुल सैलाब में पूरी तरह बह गए थे. चंबल नदी पर बना बरखेड़ा का पुल भी पूरी तरह बह गया था. लेकिन इस पुल के दोबारा निर्माण का काम आज तक चालू नहीं हो पाया है. दूसरी तरफ शक्कर खेड़ी में भी टुंबड़ नदी पर बने पुल के मामले में भी प्रशासन ने आज तक कोई सुध नहीं ली. हालांकि लोक निर्माण विभाग ने इनकी एवज में दूसरे रास्ते चालू कर दिए हैं, लेकिन बाढ़ के हालात में उन रास्तों से आवागमन नहीं हो सकेगा. शहर में तलाबों के मरम्मत का काम अधूरा होने के कारण इस साल भी खेतों मे जल भराव की आशंका है.

Negligence of mandsaur administration before rain
क्षतिग्रस्त प्रशासनिक इमारत

मुआवजे के लिए तरस रहे लोग
पिछले साल मानसून सीजन के आखिरी दौर में हुई भीषण बरसात से जिले के तमाम नदी नाले उफान पर थे, जिससे बस्तियों के हजारों मकानो और सरकारी भवनों को भी भारी नुकसान हुआ था. इस मामले में सरकारी महकमे ने बाढ़ पीड़ितों की सूची तो तैयार कर ली थी. लेकिन सैकड़ों लोग आज भी मुआवजे को तरस रहे हैं. बाढ़ के कारण मंदसौर जिले के 92 गांवों में भारी नुकसान हुआ था. कस्बाई इलाके और शहरी क्षेत्र में प्रशासन ने दुकानदारों को तात्कालिक तौर पर 6 हजार 500 रुपये की मदद देकर राहत दे दी थी, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों लोगों को आज भी मुआवजा के लिए तरस रहे हैं.

Negligence of mandsaur administration before rain
क्षतिग्रस्त सड़क

प्रशासन ने का पूरी तैयारी
जिला पंचायत के सीईओ रिशव गुप्ता और कलेक्टर मनोज पुष्प ने भी जिले में हुए नुकसान की कई जगह भरपाई नहीं होने की बात मानी है. हालांकि दोनों अधिकारियों ने बाढ़ नियंत्रण के मुद्दे पर पुख्ता इंतजाम कर लेने की बात का दावा किया है. अधिकारियों ने कहा कि जो भी काम बचा हुआ है उसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा. प्राथमिक स्तर पर बाढ़ से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह तैयार है.

Negligence of mandsaur administration before rain
क्षतिग्रस्त मकान

अब के सीएम तब करते थे हल्ला
पिछले साल जिले में आई बाढ़ के मामले में पीड़ितों की मदद के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्ट्रेट के बाहर 24 घंटे का धरना देकर शासन से गुहार लगाई थी, हालांकि उस समय कमलनाथ सरकार थी, जिसने तीन हजार करोड़ रुपए की सरकारी मदद देकर लोगों को राहत देने का काम किया था, जबकी राहत राशियां समय पर नहीं मिलने से कई लोग आज भी मुआवजे से वंचित हैं. अब जब प्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार है तो शहर में पुख्ता इंतजाम न होने से मानसून आते ही लोगों में दहशत का महौल है.

Negligence of mandsaur administration before rain
बाढ़ में बहा हुआ पुल
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