मंदसौर। प्रदेश भर मानसून शुरू हो गया है. आमतौर पर बारिश के सीजन में होने वाली समस्याओं को लिए प्रदेश के कई शहर तैयार हैं, तो कई शहरों के हालत खराब है. यहां प्रशासन दावे तो जरूर करता है, लेकिन जमीनी स्तर पर काम नजर नहीं आ रहा. कुछ ऐसा ही हाल मंदसौर शहर का भी है. जहां पिछले साल सितंबर महीने में आई भीषण बाढ़ के दौरान हुई हानि की भरपाई प्रशासन नहीं कर पाया और न ही इमारतों की मरम्मत कराई गई. इस दौरान रुके हुए कामों को पूरा कराने में प्रशासन का ध्यान नहीं है. प्रशासन की इस बदइंतजामी के कारण लोगों में भारी दहशत का माहौल है.
मरम्मत का काम अधूरा
पिछले साल 16 और 17 सितंबर के दिन आई भीषण बाढ़ से समूचे मालवा इलाके को भारी नुकसान हुआ. चंबल और शिवना नदी के अलावा टुंबड़ नदी पर बने पांच पुल सैलाब में पूरी तरह बह गए थे. चंबल नदी पर बना बरखेड़ा का पुल भी पूरी तरह बह गया था. लेकिन इस पुल के दोबारा निर्माण का काम आज तक चालू नहीं हो पाया है. दूसरी तरफ शक्कर खेड़ी में भी टुंबड़ नदी पर बने पुल के मामले में भी प्रशासन ने आज तक कोई सुध नहीं ली. हालांकि लोक निर्माण विभाग ने इनकी एवज में दूसरे रास्ते चालू कर दिए हैं, लेकिन बाढ़ के हालात में उन रास्तों से आवागमन नहीं हो सकेगा. शहर में तलाबों के मरम्मत का काम अधूरा होने के कारण इस साल भी खेतों मे जल भराव की आशंका है.
मुआवजे के लिए तरस रहे लोग
पिछले साल मानसून सीजन के आखिरी दौर में हुई भीषण बरसात से जिले के तमाम नदी नाले उफान पर थे, जिससे बस्तियों के हजारों मकानो और सरकारी भवनों को भी भारी नुकसान हुआ था. इस मामले में सरकारी महकमे ने बाढ़ पीड़ितों की सूची तो तैयार कर ली थी. लेकिन सैकड़ों लोग आज भी मुआवजे को तरस रहे हैं. बाढ़ के कारण मंदसौर जिले के 92 गांवों में भारी नुकसान हुआ था. कस्बाई इलाके और शहरी क्षेत्र में प्रशासन ने दुकानदारों को तात्कालिक तौर पर 6 हजार 500 रुपये की मदद देकर राहत दे दी थी, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों लोगों को आज भी मुआवजा के लिए तरस रहे हैं.
प्रशासन ने का पूरी तैयारी
जिला पंचायत के सीईओ रिशव गुप्ता और कलेक्टर मनोज पुष्प ने भी जिले में हुए नुकसान की कई जगह भरपाई नहीं होने की बात मानी है. हालांकि दोनों अधिकारियों ने बाढ़ नियंत्रण के मुद्दे पर पुख्ता इंतजाम कर लेने की बात का दावा किया है. अधिकारियों ने कहा कि जो भी काम बचा हुआ है उसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा. प्राथमिक स्तर पर बाढ़ से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह तैयार है.
अब के सीएम तब करते थे हल्ला
पिछले साल जिले में आई बाढ़ के मामले में पीड़ितों की मदद के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्ट्रेट के बाहर 24 घंटे का धरना देकर शासन से गुहार लगाई थी, हालांकि उस समय कमलनाथ सरकार थी, जिसने तीन हजार करोड़ रुपए की सरकारी मदद देकर लोगों को राहत देने का काम किया था, जबकी राहत राशियां समय पर नहीं मिलने से कई लोग आज भी मुआवजे से वंचित हैं. अब जब प्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार है तो शहर में पुख्ता इंतजाम न होने से मानसून आते ही लोगों में दहशत का महौल है.