मंदसौर। पुलिस की नजर से बचते पिर रहे पुलिस अधिकारियों ने शनिवार को दोपहर के बाद राम कोटवानी को नगर पालिका के सम्मेलन में शिरकत करते वक्त ही गिरफ्तार कर लिया. भाजपा नेता राम कोटवानी ने तीन साल पहले शहर के सम्राट मार्केट स्थित अपने ऑफिस पर कोहिनूर निधि लिमिटेड नामक निजी बैंक खोलकर शहर के कई खाताधारकों की लाखों रुपए राशि जमा करवाई थी. संस्था ने फिक्स डिपॉजिट और अधिक ब्याज देने के नाम पर शहर के छोटे -छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मजदूरों से पैसे जमा करवाए थे.
निवेशकों ने भरोसे में जमा की राशि : संस्था ने डेली कलेक्शन की पॉलिसी भी शुरू की थी. इस संस्था में कोटवानी ने आदिल और आरिफ नामक दो डायरेक्टर को ऑफिस में नियुक्त किया था और पूरा रजिस्ट्रेशन उन्हीं के नाम पर था. दरअसल, कोटवानी उस वक्त नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर थे. लिहाजा, निवेशकों ने आंख मींचकर लाखों रुपए इस संस्था में निवेश कर दिए. 3 महीने पहले कई लोगों की फिक्स डिपॉजिट रकम और डेली कलेक्शन की राशि की अवधि पकने के बाद भी जब उन्हें राशिं नहीं मिली तो लोगों ने मामले की शिकायत सिटी कोतवाली थाने में कर दी.
दो आरोपी जेल जा चुके हैं : इस घटना के बाद पुलिस ने संस्था की रिसेप्शनिस्ट उषा गोस्वामी और संस्था के डायरेक्टर आदिल खान और आरिफ को पूछताछ के लिए बुलाया और दोषी पाए जाने के बाद आरिफ और आदिल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. दोनों से लंबी पूछताछ के बाद संस्था के मालिक के तौर पर राम कोटवानी के नाम का और बैंक भवन और उसके ऑफिस के मालिक भी राम कोटवानी होने का खुलासा हुआ. इसके बाद पुलिस पिछले एक महीने से उसकी तलाश कर रही थी. थी.
बीजेपी खेमे में हड़कंप : राम कोटवानी वर्तमान में नगर पालिका परिषद के पार्षद भी हैं. आज जब वे परिषद के पहले सम्मेलन को अटेंड करने पालिका कार्यालय पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें वहीं धर दबोचा. इसके बाद पुलिस ने शाम के वक्त कोटवानी को एडीजे कोर्ट में पेश किया जहां कोर्ट ने पूछताछ के लिए उन्हें 19 सितंबर तक की पुलिस रिमांड पर सौंप दिया. नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष की गिरफ्तारी से सत्ता पक्ष में हड़कंप का माहौल है. इस मामले में कोटवानी ने सत्तापक्ष के नेताओं पर ही उनकी राजनीतिक हत्या करने का आरोप भी लगाया है. उधर, पुलिस अधिकारियों ने संस्था के तमाम दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जप्त कर रिकॉर्ड की जांच शुरू कर दी है.