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टिड्डी दल से फसलों पर मंडराया खतरा, किसानों की मदद में जुटा प्रशासन - टिड्डियों को भगाया गया

जिले में टिड्डियों के हमले से कई गांव की फसलों को नुकसान पहुंचा है. टिड्डियों का ये झुंड जिस खेत में बैठता है, वहां की फसलें चट कर जाता है. कृषि विभाग की मदद से इन टिड्डियों पर काबू पाया जा रहा है. किसान खेत में लगी मूंग और सब्जी को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं.

Locust attack
टिड्डियों का हमला
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Published : May 31, 2020, 1:10 PM IST

मंदसौर। इस समय देश कोरोना और टिड्डियों की दोहरी मार झेल रहा है. कोरोना ने सबसे ज्यादा मजदूरों वर्ग को प्रभावित किया और पाकिस्तान से भारत में आए इन टिड्डी दलों से किसानों का जीना दुश्वार हो गया है. मध्य प्रदेश के अलावा यूपी, हरियाणा, राजस्थान सहित अन्य राज्यों में इन टिड्डियों ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है.

टिड्डियों का हमला

समझदारी के चलते कम हुआ नुकसान

जिले में टिड्डी दल के हमले से किसानों के खेत इस बार बाल-बाल बच गए. पिछले हफ्ते अचानक आए टिड्डी के 3 झुंडों ने चार तहसीलों के कई गांव में रात को डेरा डाला था. खाली पड़े खेतों और गर्मी होने की वजह से टिड्डी दल कुछ फसलों का ही नुकसान कर पाए. पिछली 18 मई की शाम को नीमच जिले की तरफ से आए टिड्डी दल ने जिले के मल्हारगढ़ और गरोठ के अलावा भानपुरा तहसील के करीब 12 गांव में चार किमी वाले एरिया को ढक लिया था. इन दिनों ज्यादातर खेतों में फसल नहीं होने से टिड्डी दल ज्यादा नुकसान नही कर पाए. हालांकि कुछ खेतों में लगी सब्जी और मवेशियों के चारे को इन टिड्डियों की वजह से मामूली नुकसान पहुंचा है. वहीं गरोठ और भानपुरा इलाके के बगीचों में लगे संतरों को किसान और कृषि विभाग की जागरुकता से बचा लिया गया.

Damage to crops
फसलों को नुकसान
Dead locusts with medicine
दवाई से मरी टिड्डियां

सूझबूझ से टिड्डियों को भगाया

इस टिड्डी दल की पहले ही सूचना मिल जाने से प्रशासनिक अमला तत्काल प्रभावित गांवों में पहुंच गया था. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अमले ने टिड्डियों को मारने के लिए रात भर कीटनाशक दवाई का छिड़काव करवाया. सुबह होते ही किसानों ने ढोल, नगाड़े और थालियां बजाकर इस दल को खेतों से खदेड़ दिया.

क्या है वैज्ञानिक की सलाह

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जीएस चुंडावत ने किसानों को भविष्य में इन कीड़ों से सचेत रहने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि यदि किसी गांव में टिड्डी दल आता है तो, तत्काल विभाग को सूचना दें. किसान खेत पर थाली, ढोल, टीन का डिब्बा या हॉर्न बजाकर इन टिड्डियों को भगा सकते हैं. उन्होंने कहा कि कीड़ों के संकरण काल का समय नही होने से इन टिड्डियों ने खेतों में अंडे नही दिए. इसी वजह से प्रशासनिक अमले ने भी नुकसान का सर्वे शुरू नही किया है.

मंदसौर। इस समय देश कोरोना और टिड्डियों की दोहरी मार झेल रहा है. कोरोना ने सबसे ज्यादा मजदूरों वर्ग को प्रभावित किया और पाकिस्तान से भारत में आए इन टिड्डी दलों से किसानों का जीना दुश्वार हो गया है. मध्य प्रदेश के अलावा यूपी, हरियाणा, राजस्थान सहित अन्य राज्यों में इन टिड्डियों ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है.

टिड्डियों का हमला

समझदारी के चलते कम हुआ नुकसान

जिले में टिड्डी दल के हमले से किसानों के खेत इस बार बाल-बाल बच गए. पिछले हफ्ते अचानक आए टिड्डी के 3 झुंडों ने चार तहसीलों के कई गांव में रात को डेरा डाला था. खाली पड़े खेतों और गर्मी होने की वजह से टिड्डी दल कुछ फसलों का ही नुकसान कर पाए. पिछली 18 मई की शाम को नीमच जिले की तरफ से आए टिड्डी दल ने जिले के मल्हारगढ़ और गरोठ के अलावा भानपुरा तहसील के करीब 12 गांव में चार किमी वाले एरिया को ढक लिया था. इन दिनों ज्यादातर खेतों में फसल नहीं होने से टिड्डी दल ज्यादा नुकसान नही कर पाए. हालांकि कुछ खेतों में लगी सब्जी और मवेशियों के चारे को इन टिड्डियों की वजह से मामूली नुकसान पहुंचा है. वहीं गरोठ और भानपुरा इलाके के बगीचों में लगे संतरों को किसान और कृषि विभाग की जागरुकता से बचा लिया गया.

Damage to crops
फसलों को नुकसान
Dead locusts with medicine
दवाई से मरी टिड्डियां

सूझबूझ से टिड्डियों को भगाया

इस टिड्डी दल की पहले ही सूचना मिल जाने से प्रशासनिक अमला तत्काल प्रभावित गांवों में पहुंच गया था. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अमले ने टिड्डियों को मारने के लिए रात भर कीटनाशक दवाई का छिड़काव करवाया. सुबह होते ही किसानों ने ढोल, नगाड़े और थालियां बजाकर इस दल को खेतों से खदेड़ दिया.

क्या है वैज्ञानिक की सलाह

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जीएस चुंडावत ने किसानों को भविष्य में इन कीड़ों से सचेत रहने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि यदि किसी गांव में टिड्डी दल आता है तो, तत्काल विभाग को सूचना दें. किसान खेत पर थाली, ढोल, टीन का डिब्बा या हॉर्न बजाकर इन टिड्डियों को भगा सकते हैं. उन्होंने कहा कि कीड़ों के संकरण काल का समय नही होने से इन टिड्डियों ने खेतों में अंडे नही दिए. इसी वजह से प्रशासनिक अमले ने भी नुकसान का सर्वे शुरू नही किया है.

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