मंदसौर। मौसम विभाग अगले सीजन के मानसून को लेकर संभावनाएं जताने के बाद किसानों की चिंता बढ़ गई है, जिसके बाद किसान खरीफ सीजन के खाद-बीज के पुराने कर्ज को माफ करने की मांग की है. लंबे समय से कर्ज माफी का इंतजार कर रहे कई किसानों के कर्ज की रकम अब तक खातों में जमा नहीं हुई है, जिस वजह से वे अपने केसीसी खाते रेगुलर नहीं कर पाए हैं. लिहाजा अब उन्हें अगली फसल के लिए खाद-बीज भी नहीं मिल पा रही है.
कर्जमाफी के मुद्दे पर हजारों किसान पिछले दो साल से अधर में लटके हैं, प्रदेश सरकार 6 महीने पहले 50 हजार तक का कर्ज माफ की थी, लेकिन दो लाख तक की सीमा वाले किसानों को कोई लाभ नहीं मिला. इन किसानों के बैंक खाते 3 साल से ओवरड्यू पड़े हैं. पिछले साल आई बाढ़ से फसल बर्बाद हो गई और अब कई किसानों के पास इस सीजन में बुवाई के लिए बीज भी नहीं हैं.
सरकारी योजना के तहत मिलने वाला खाद-बीज भी उन्हें इसलिए नहीं मिल पा रहा है क्योंकि उनका कर्ज अभी तक जमा नहीं हो पाया है. सहकारी समितियों में सभी तरह के खाद-बीज का पर्याप्त भंडारण है, लेकिन बैंक मैनेजरों ने कर्ज माफी से वंचित किसानों को नए सिरे से खाद-बीज पर कर्ज देने से इनकार कर दिया है. दो साल से लगातार प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे किसानों की रबी और खरीफ फसल चौपट हो गई है.
ऐसे हालात में किसानों के पास न तो जमा करने की रकम है और न ही अगली फसल की बुवाई के लिए उनके पास बीज और खाद की कोई व्यवस्था है. वहीं 2 साल से लगातार कर्ज माफी का आश्वासन झेल रहे किसानों में अब ताजा हालातों से काफी आक्रोश का माहौल है. किसानों ने प्रदेश सरकार से तत्काल कर्जमाफी की रकम जमा कराने की मांग उठाई है.
मौसम विभाग ने 5 जून तक मानसून के आमद की संभावना जताई है, ऐसे हालात में 15 जून तक प्रदेश में भी मानसूनी बरसात शुरू हो जाएगी, लेकिन कर्ज माफी योजना से बीच में लटक रहे कई किसानों के पास खाद-बीज की व्यवस्था नहीं हो पाई है, ऐसे में उन्हें एक बार फिर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.