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कागजों पर घर-घर में बने शौचालय, ईटीवी भारत को जमीन पर दिखी अलग हकीकत - मंदसौर में सरकारी रिकार्ड

मंदसौर में सरकारी रिकार्ड में तो गांवों के हर घर में शौचालय बन गए हैं. लेकिन ईटीवी भारत ने जब गांव में जाकर सच्चाई पता की तो वहां सरकारी दावों की पोल खुल गई.

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Published : Oct 3, 2019, 9:12 AM IST

Updated : Oct 3, 2019, 11:37 AM IST

मंदसौर। सरकारी रिकार्ड के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले की सभी तहसीलों के 930 गांवों में हजारों शौचालय बनवाए गए हैं. लेकिन इन दावों की हकीकत कागजी ही नजर आती है. ईटीवी भारत ने जब इन ग्रामीण क्षेत्रों का जायजा लिया. तो प्रशासनिक दावों की पोल खुल गई.

मंदसौर में ODF का रियलिटी चेक

ईटीवी भारत ने जब मंदसौर तहसील के गुलियाना गांव में पहुंचा तो वहां के लोगों ने शौचालय संबंधी समस्या की बात करते हुए इस मिशन में जनप्रतिनिधियों के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों के लापरवाह रवैये का भी खुलकर विरोध किया. इस गांव की आबादी महज 2230 लोगों की है. यहां के 663 मकानों में से अभी भी कई लोगों के घरों में शौचालय नहीं बने हैं. इन हालातों में लोगों को शौच के लिए जंगलों और खेतों का रुख करना पड़ता है.

जहां सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं और बच्चों को होती है. लोगों ने ग्राम पंचायत के पंचों, सरपंचों और सचिवों के अलावा जनपद के अधिकारियों के लापरवाह रवैये को इसका दोषी बताया है. महिलाओं का कहना है कि शौच के लिए उन्हें भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. खेतों पर जाने में एक डर भी सताता रहता है. लोगों ने जल्द ही इस समस्या से निजात दिलाने की मांग की है.

मंदसौर। सरकारी रिकार्ड के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले की सभी तहसीलों के 930 गांवों में हजारों शौचालय बनवाए गए हैं. लेकिन इन दावों की हकीकत कागजी ही नजर आती है. ईटीवी भारत ने जब इन ग्रामीण क्षेत्रों का जायजा लिया. तो प्रशासनिक दावों की पोल खुल गई.

मंदसौर में ODF का रियलिटी चेक

ईटीवी भारत ने जब मंदसौर तहसील के गुलियाना गांव में पहुंचा तो वहां के लोगों ने शौचालय संबंधी समस्या की बात करते हुए इस मिशन में जनप्रतिनिधियों के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों के लापरवाह रवैये का भी खुलकर विरोध किया. इस गांव की आबादी महज 2230 लोगों की है. यहां के 663 मकानों में से अभी भी कई लोगों के घरों में शौचालय नहीं बने हैं. इन हालातों में लोगों को शौच के लिए जंगलों और खेतों का रुख करना पड़ता है.

जहां सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं और बच्चों को होती है. लोगों ने ग्राम पंचायत के पंचों, सरपंचों और सचिवों के अलावा जनपद के अधिकारियों के लापरवाह रवैये को इसका दोषी बताया है. महिलाओं का कहना है कि शौच के लिए उन्हें भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. खेतों पर जाने में एक डर भी सताता रहता है. लोगों ने जल्द ही इस समस्या से निजात दिलाने की मांग की है.

Intro:मंदसौर :स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले को डेढ़ साल पहले ही ओडीएफ घोषित कर दिया है . इस मिशन में सभी तहसीलों के 930 आबाद ग्रामों में हजारों शौचालयों का भी निर्माण हुआ है. लेकिन कागज़ी दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। ईटीवी भारत की टीम ने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर, कई बस्तियों के लोगों से मुलाकात कर हकीकत का जायजा लिया तो प्रशासनिक दावों की तमाम पोल खुल गई.


Body:हमारी टीम जब मंदसौर तहसील के ग्राम गुलियाना पहुंची तो वहां के लोगों ने शौचालय संबंधी समस्या की बात करते हुए इस मिशन में जनप्रतिनिधियों के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों के लापरवाही पूर्वक रवैये का भी खुलकर विरोध किया ।इस गांव की आबादी महज 2230 लोगों की है ।यहां के 663 मकानों में से अभी भी कई लोगों के घरों में शौचालय नहीं है ।इन हालातों में लोगों को जंगलों और खेतों का रुख करना पड़ता है.


Conclusion:इस संबंध में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाएं और बच्चे परेशान हैं कई परिवारों में विभाजन के बाद भी इस तरह की समस्या खड़ी होने की बात सामने आई है। लोगों ने ग्राम पंचायत के पंचों सरपंचों और सचिवों के अलावा जनपद के अधिकारियों के असहयोग की शिकायत की है ।महिलाओं का कहना है कि शौच के लिए उन्हें भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। परेशान लोगों ने जल्द ही इस समस्या से निजात देने की मांग की है।
one to one: विनोद गौड़ रिपोर्टर मंदसौर
1. रमेश निनामा, स्थानीय नागरिक
2. कमलाबाई, स्थानीय महिला
3. भागीरथ प्रसाद, स्थानीय युवक
... विनोद गौड़, रिपोर्टर, मंदसौर

नोट: इस समाचार में बस्ती के विजुअल के अलावा कलेक्टर मनोज पुष्प की बाइट की भी फाइल भेजी गई है। कृपया यथोचित उपयोग करें।
Last Updated : Oct 3, 2019, 11:37 AM IST
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