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बदहाली के आंसू रो रही है शिवना नदी, पानी के इस्तेमाल से हो सकती है कैंसर जैसी घातक बीमारी

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Published : Jun 17, 2019, 10:19 PM IST

भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के किनारे बहने वाली शिवना नदी इन दिनों बड़े बदहाली से गुजर रही है. नदी में जमा गंदगी के चलते उसका पानी इतना गंदा हो चुका है कि इससे जानलेवा बीमारी भी हो सकती है.

शिवना नदी में गंदगी का अंबार

मंदसौर। देश और दुनिया में मंदसौर शहर को पहचान दिलाने वाली शिवना नदी इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रही है. जीवनदायनी मानी जाने वाली शिवना नदी दी पिछले दो दशक से भारी प्रदूषण की शिकार है. नदी के प्रदूषण निवारण के लिए पिछले 17 सालों से शासन प्रशासन द्वारा यहां कई योजनाओं पर काम जारी है, लेकिन हालात सुधरने के बजाय दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं.

90 के दशक के बाद शासन और प्रशासन की उपेक्षा के चलते यह नदी भारी प्रदूषण की शिकार हो गई है. राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले से निकली यह नदी मंदसौर शहर के अलावा इसके किनारे बसे 62 गांवों की जिंदगी का सबसे खास हिस्सा है.


नगर पालिका ने बनाई थी 7 करोड़ की स्कीम


हालात इतने बदतर हैं कि पशुपतिनाथ घाट और छोटी पुल के डाउन स्टीम में नदी में मिल रहे हैं. शहर और फैक्ट्रियों के गंदे पानी की वजह से नदी का पानी काला होकर अब सड़ रहा है. नदी के इन हालातों के कारण नगर पालिका परिषद ने सन 2003 में दिल्ली की वाप्कोस कंपनी और नदी संरक्षण विभाग के जरिए इस के उत्थान के लिए 7 करोड़ की स्कीम बनाई थी. सबसे चिंताजनक बात यह है कि हाल ही में नगरी प्रशासन मंत्रालय द्वारा नदी के पानी का परीक्षण करवाए जाने के बाद आई रिपोर्ट में इसके पानी के उपयोग से कैंसर जैसी घातक बीमारियां होने का खुलासा हुआ है.

शिवना नदी में गंदगी का अंबार


कलेक्टर ने कही जल्द शुद्धिकरण की बात


शिवना नदी के हालातों को सुधारने के लिए शहरवासियों ने प्रदूषण निवारण की पक्की स्कीम बनाने की मांग उठाई है. नदी के प्रदूषण निवारण को लेकर शहरवासी पिछले 8 सालों से लगातार यहां श्रमदान कर जन जागरण अभियान चला रहे हैं.शहर की 18 समाज सेवी संस्थाएं हर साल नदी के दोनों घाटों की सफाई के अलावा इसमें जमा मलबों को निकालने का काम भी करती है. वहीं कलेक्टर ने जल्द ही शुद्धिकरण की बात कही है.

मंदसौर। देश और दुनिया में मंदसौर शहर को पहचान दिलाने वाली शिवना नदी इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रही है. जीवनदायनी मानी जाने वाली शिवना नदी दी पिछले दो दशक से भारी प्रदूषण की शिकार है. नदी के प्रदूषण निवारण के लिए पिछले 17 सालों से शासन प्रशासन द्वारा यहां कई योजनाओं पर काम जारी है, लेकिन हालात सुधरने के बजाय दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं.

90 के दशक के बाद शासन और प्रशासन की उपेक्षा के चलते यह नदी भारी प्रदूषण की शिकार हो गई है. राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले से निकली यह नदी मंदसौर शहर के अलावा इसके किनारे बसे 62 गांवों की जिंदगी का सबसे खास हिस्सा है.


नगर पालिका ने बनाई थी 7 करोड़ की स्कीम


हालात इतने बदतर हैं कि पशुपतिनाथ घाट और छोटी पुल के डाउन स्टीम में नदी में मिल रहे हैं. शहर और फैक्ट्रियों के गंदे पानी की वजह से नदी का पानी काला होकर अब सड़ रहा है. नदी के इन हालातों के कारण नगर पालिका परिषद ने सन 2003 में दिल्ली की वाप्कोस कंपनी और नदी संरक्षण विभाग के जरिए इस के उत्थान के लिए 7 करोड़ की स्कीम बनाई थी. सबसे चिंताजनक बात यह है कि हाल ही में नगरी प्रशासन मंत्रालय द्वारा नदी के पानी का परीक्षण करवाए जाने के बाद आई रिपोर्ट में इसके पानी के उपयोग से कैंसर जैसी घातक बीमारियां होने का खुलासा हुआ है.

शिवना नदी में गंदगी का अंबार


कलेक्टर ने कही जल्द शुद्धिकरण की बात


शिवना नदी के हालातों को सुधारने के लिए शहरवासियों ने प्रदूषण निवारण की पक्की स्कीम बनाने की मांग उठाई है. नदी के प्रदूषण निवारण को लेकर शहरवासी पिछले 8 सालों से लगातार यहां श्रमदान कर जन जागरण अभियान चला रहे हैं.शहर की 18 समाज सेवी संस्थाएं हर साल नदी के दोनों घाटों की सफाई के अलावा इसमें जमा मलबों को निकालने का काम भी करती है. वहीं कलेक्टर ने जल्द ही शुद्धिकरण की बात कही है.

Intro:मंदसौर। देश और दुनिया में मंदसौर शहर को पहचान दिलाने वाले भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के, किनारे बहने वाली शिवना नदी इन दिनों बड़े बदहाली के दौर से गुजर रही है ।राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले से निकली यह नदी मंदसौर शहर के अलावा इसके किनारे बसे 62 गांवों की जिंदगी का सबसे खास हिस्सा है। लेकिन जीवनदाई मानी जाने वाली,यह पवित्र नदी पिछले दो दशक से भारी प्रदूषण की शिकार है ।नदी के प्रदूषण निवारण के लिए पिछले 17 सालों से शासन प्रशासन द्वारा यहां कई योजनाओं पर काम जारी है ।लेकिन हालात सुधरने के बजाय दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं।


Body:राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के अरनोद की पहाड़ियों से निकली शिवना नदी मालवा की सबसे बड़ी और पवित्र नदी मानी जाती है। मंदसौर के पूरे शहर की पेयजल व्यवस्था और 62 गांवों की आजीविका चलाने वाली इस धरोहर के किनारे विश्व प्रसिद्ध भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर भी स्थित है। 90 के दशक के बाद शासन और प्रशासन की उपेक्षा के चलते यह नदी भारी प्रदूषण की शिकार हो गई है। मंदसौर शहर से सटे लगभग 6 किलोमीटर एरिया वाले नदी के हिस्से में, इसके संरक्षण की जिम्मेदारी वाला नगर पालिका प्रशासन ही इसमें मिल रहे शहर की गंदी नालियों के पानी को नहीं रोक पा रहा है ।नदी के हालात इतने बदतर हैं कि पशुपतिनाथ घाट और छोटी पुल के डाउन स्टीम में नदी में मिल रहे शहर और फैक्ट्रियों के गंदे पानी से इसमें जमा पूरा पानी काला होकर अब सड़ाँध मार रहा है ।नदी के घाटों और पुल इलाके से गुजरने वाले लोग पानी की दुर्गंध के मारे भारी परेशान हैं ।नदी के इन हालातों के कारण नगर पालिका परिषद ने सन 2003 में दिल्ली की वाप्कोस कंपनी और नदी संरक्षण विभाग के जरिए इस के उत्थान के लिए 7 करोड़ की स्कीम बनाई थी। पहली बार बनी इस स्कीम में नदी के दोनों किनारों पर घाटों का विकास ,बगीचों का निर्माण और शहर के सीवरेज वाटर को 5 किलोमीटर दूर ले जाकर इसका ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करना शामिल था। कागजों में पूरी हुई इस स्किम का जमीन पर कोई काम नहीं हुआ। इसके बाद वर्ष 2008 में नगर पालिका परिषद ने फिर से नई स्कीम के तहत एक करोड़ की लागत से नदी के किनारे इंटेक वेल बनाकर शहर के सीवरेज वाटर को इन में डालने और यहां से पंपिंग कर 5 किलोमीटर दूर फेंकने की स्कीम बनाई हालांकि इस योजना पर थोड़ा काम हुआ लेकिन तकनीकी तौर पर फेल हुई यह स्कीम भी नदी के प्रदूषण को रोकने में कारगर साबित नहीं हुई। इसके बाद वर्ष 2014 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भगवान पशुपतिनाथ मंदिर की पहुंच के लिए बनाए गए बड़े पुल का उद्घाटन करते हुए शहर को पवित्र नगरी का दर्जा देते हुए नदी संरक्षण और मंदिर विकास के लिए 5 करोड़ की घोषणा भी की लेकिन इस मद से हुए विकास काम पर भी प्रशासन का कोई ध्यान न होने से नदी प्रदूषण के हालात आज भी जस के तस है ।सबसे चिंताजनक बात यह है कि हाल ही में नगरी प्रशासन मंत्रालय द्वारा नदी के पानी का परीक्षण करवाए जाने के बाद ,आई रिपोर्ट में इसके पानी के उपयोग से कैंसर जैसी घातक बीमारियां होने का खुलासा हुआ है। इन हालातों में शहरवासियों ने इसके प्रदूषण निवारण की पक्की स्कीम बनाने की मांग उठाई है।
byte 1_ श्याम सिंह आंजना, स्थानीय युवक, मंदसौर
byte 2_विनोद सिंह कुशवाह, समाज सेवक, मंदसौर


Conclusion:नदी के प्रदूषण निवारण को लेकर शहरवासी पिछले 8 सालों से लगातार यहां श्रमदान कर जन जागरण अभियान चला रहे हैं। शहर की 18 समाज सेवी संस्थाएं हर साल नदी के दोनों घाटों की सफाई के अलावा इसमें जमा मलबों को निकालने का काम भी करती है ।लेकिन इन संस्थाओं में श्रमदान करने वाले लोगों ने जिला प्रशासन और सरकार से यहां बड़े पैमाने पर काम शुरू कर इसे नर्मदा की तरह शुद्ध करने की मांग उठाई है। हालाकी नवागत कलेक्टर मनोज पुष्पने नदी के घाटों और पशुपतिनाथ मंदिर के इलाकों का दौरा कर इसके जल्द ही शुद्धिकरण करने की बात कही है।
byte 3_ मनोज पुष्प ,कलेक्टर, मंदसौर




विनोद गौड़, रिपोर्टर, मंदसौर
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