मंदसौर। देश और दुनिया में मंदसौर शहर को पहचान दिलाने वाली शिवना नदी इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रही है. जीवनदायनी मानी जाने वाली शिवना नदी दी पिछले दो दशक से भारी प्रदूषण की शिकार है. नदी के प्रदूषण निवारण के लिए पिछले 17 सालों से शासन प्रशासन द्वारा यहां कई योजनाओं पर काम जारी है, लेकिन हालात सुधरने के बजाय दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं.
90 के दशक के बाद शासन और प्रशासन की उपेक्षा के चलते यह नदी भारी प्रदूषण की शिकार हो गई है. राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले से निकली यह नदी मंदसौर शहर के अलावा इसके किनारे बसे 62 गांवों की जिंदगी का सबसे खास हिस्सा है.
नगर पालिका ने बनाई थी 7 करोड़ की स्कीम
हालात इतने बदतर हैं कि पशुपतिनाथ घाट और छोटी पुल के डाउन स्टीम में नदी में मिल रहे हैं. शहर और फैक्ट्रियों के गंदे पानी की वजह से नदी का पानी काला होकर अब सड़ रहा है. नदी के इन हालातों के कारण नगर पालिका परिषद ने सन 2003 में दिल्ली की वाप्कोस कंपनी और नदी संरक्षण विभाग के जरिए इस के उत्थान के लिए 7 करोड़ की स्कीम बनाई थी. सबसे चिंताजनक बात यह है कि हाल ही में नगरी प्रशासन मंत्रालय द्वारा नदी के पानी का परीक्षण करवाए जाने के बाद आई रिपोर्ट में इसके पानी के उपयोग से कैंसर जैसी घातक बीमारियां होने का खुलासा हुआ है.
कलेक्टर ने कही जल्द शुद्धिकरण की बात
शिवना नदी के हालातों को सुधारने के लिए शहरवासियों ने प्रदूषण निवारण की पक्की स्कीम बनाने की मांग उठाई है. नदी के प्रदूषण निवारण को लेकर शहरवासी पिछले 8 सालों से लगातार यहां श्रमदान कर जन जागरण अभियान चला रहे हैं.शहर की 18 समाज सेवी संस्थाएं हर साल नदी के दोनों घाटों की सफाई के अलावा इसमें जमा मलबों को निकालने का काम भी करती है. वहीं कलेक्टर ने जल्द ही शुद्धिकरण की बात कही है.