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यहां आत्माएं करती हैं मनरेगा में काम, गांव का गरीब मजदूर बेरोजगार !

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Published : Oct 13, 2020, 8:20 PM IST

Updated : Oct 13, 2020, 10:06 PM IST

मंदसौर के गरोठ जनपद क्षेत्र के सिमरोल गांव में मनरेगा के तहत हो रहे काम में बड़ा घोटाला सामने आया है, यहां कुछ मजदूरों का भुगतान नहीं किया गया है, जबकि कागजों पर, मरे हुए इंसानों से मनरेगा की मजदूरी दी जा रही है.

Corruption in MNREGA in Simrol Panchayat of Mandsaur
मंदसौर के सिमरोल में मनरेगा में भ्रष्टाचार

मंदसौर। लॉकडाउन में बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए सरकार ने मनरेगा के तहत कई काम कराने का निर्देश दिए हैं और इसके लिए फंड भी रिलीज किया गया है. लेकिन सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना का लाभ मजदूरों को नहीं मिल रहा है.

मंदसौर के सिमरोल में मनरेगा में भ्रष्टाचार

मंदसौर जिले का एक ऐसा गांव है, जहां मनरेगा के तहत मजदूरों को लाभ नहीं मिल रहा है. यहां घोटाला करने के लिए मजदूरों की मौत के बाद भी उनका नाम जॉब कार्ड में नाम शामिल कर लिया गया, जिस कारण यहां के जिंदा गरीब मजदूर परेशान हैं. मामला गरोठ जनपद क्षेत्र के सेमरोल गांव का है.

इन मजदूरों को किया गया मजदूरी का भुगतान
गरोठ जनपद के सिमरोल ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड के अनुसार शिव लाल पिता उदा की मृत्यु 25 जून 2019 को हो चुकी है, लेकिन उस व्यक्ति का मजदूरी भुगतान कार्ड क्रमांक 168 में भुगतान 9 अगस्त 2020 को पंचायत ने भुगतान किया है. वहीं दूसरा व्यक्ति दिनेश पिता छगनलाल है, जिसकी मौत 16 अप्रैल 2018 को हो गई थी, इसकी भी मजदूरी का भुगतान पंचायत ने साल 2020 में कर दिया है.

मामले में सहायक सचिव पंकज सेठिया से जब ईटीवी भारत से बात की, तो उन्होंने कहा कि वे यहां के अतिरिक्त प्रभार में हैं. उन्होंने काम की अधिकता के कारण वरिष्ठ अधिकारी के कहने पर नाम भर दिए, जिनमें दो व्यक्ति मृत भी हैं. अधिकारी के कहे अनुसार कार्य करना उनकी मजबूरी है.

ईटीवी भारत ने जब गांव के सरपंच बंशीलाल मीणा से बात की तो उन्होंने मास्टर (मजदूरी भुगतान की लिस्ट) के बारे में कहा कि थोड़ा कम पढ़ा लिखा होने की वजह से ये सारे कार्य सचिव बालाराम मीणा देखते हैं. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है, जो गलत किया है वो भुगतेगा.

सरकारें ग्रामीण विकास का लाख दावा कर लें, लेकिन अंतिम व्यक्ति को लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. योजनाएं लगातार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही हैं. ऐसे में जरूरत है कि जिला प्रशासन ऐसे घोटालों को रोके, ताकि गरीब मजदूरों को उनका हक मिल सके.

मंदसौर। लॉकडाउन में बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए सरकार ने मनरेगा के तहत कई काम कराने का निर्देश दिए हैं और इसके लिए फंड भी रिलीज किया गया है. लेकिन सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना का लाभ मजदूरों को नहीं मिल रहा है.

मंदसौर के सिमरोल में मनरेगा में भ्रष्टाचार

मंदसौर जिले का एक ऐसा गांव है, जहां मनरेगा के तहत मजदूरों को लाभ नहीं मिल रहा है. यहां घोटाला करने के लिए मजदूरों की मौत के बाद भी उनका नाम जॉब कार्ड में नाम शामिल कर लिया गया, जिस कारण यहां के जिंदा गरीब मजदूर परेशान हैं. मामला गरोठ जनपद क्षेत्र के सेमरोल गांव का है.

इन मजदूरों को किया गया मजदूरी का भुगतान
गरोठ जनपद के सिमरोल ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड के अनुसार शिव लाल पिता उदा की मृत्यु 25 जून 2019 को हो चुकी है, लेकिन उस व्यक्ति का मजदूरी भुगतान कार्ड क्रमांक 168 में भुगतान 9 अगस्त 2020 को पंचायत ने भुगतान किया है. वहीं दूसरा व्यक्ति दिनेश पिता छगनलाल है, जिसकी मौत 16 अप्रैल 2018 को हो गई थी, इसकी भी मजदूरी का भुगतान पंचायत ने साल 2020 में कर दिया है.

मामले में सहायक सचिव पंकज सेठिया से जब ईटीवी भारत से बात की, तो उन्होंने कहा कि वे यहां के अतिरिक्त प्रभार में हैं. उन्होंने काम की अधिकता के कारण वरिष्ठ अधिकारी के कहने पर नाम भर दिए, जिनमें दो व्यक्ति मृत भी हैं. अधिकारी के कहे अनुसार कार्य करना उनकी मजबूरी है.

ईटीवी भारत ने जब गांव के सरपंच बंशीलाल मीणा से बात की तो उन्होंने मास्टर (मजदूरी भुगतान की लिस्ट) के बारे में कहा कि थोड़ा कम पढ़ा लिखा होने की वजह से ये सारे कार्य सचिव बालाराम मीणा देखते हैं. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है, जो गलत किया है वो भुगतेगा.

सरकारें ग्रामीण विकास का लाख दावा कर लें, लेकिन अंतिम व्यक्ति को लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. योजनाएं लगातार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही हैं. ऐसे में जरूरत है कि जिला प्रशासन ऐसे घोटालों को रोके, ताकि गरीब मजदूरों को उनका हक मिल सके.

Last Updated : Oct 13, 2020, 10:06 PM IST
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