मंदसौर। कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने में कलेक्टर मनोज पुष्प लगातार जुटे हुए हैं. इससे भी बड़ी बात ये है कि कलेक्टर अपनी मां की मौत की खबर सुनने के बाद भी जनसेवा से हटे नहीं, बल्कि पूरी सिद्धत के साथ जुटे रहे. इसके बाद उन्होंने घर पहुंचकर अपनी मां का अंतिम संस्कार विधि विधान से कराया. इसके बाद वे फिर से कोरोना के हालातों से निपटने में जुट गए.
मां के निधन की खबर सुनकर भी नहीं हटे ड्यूटी से
दरअसल, कलेक्टर मनोज पुष्प जब मंत्री हरदीप सिंह डंग के साथ सर्किट हाउस में बैठक कर रहे थे, तब उन्हें मां को वेंटिलेटर पर शिफ्ट करने की सूचना मिली. इस बैठक के बाद उज्जैन संभागायुक्त संदीप यादव के साथ वीसी में बैठे थे कि इस दौरान उनकी पत्नी विनीता का फोन पर मैसेज आया कि मां नहीं रहीं. मां के निधन की सूचना मिलने के बाद भी वो बैठक पूरी होने तक बैठे रहे. बाद में बंगले पर पहुंचे, मां (स्नेह प्रभा) को बेड से उतारा, अर्थी सजाई, अपने गार्ड, प्यून आदि के साथ शव वाहन से श्मशान घाट पहुंचे और मां को अंतिम विदाई देकर लौटे.
विधि विधान से किया मां का अंतिम संस्कार
श्मशान घाट से लौटने के तुरंत बाद फिर से वायरलेस और मोबाइल पर मैसेज आना शुरू हो गए कि अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म होने को है. कलेक्टर बिना किसी देरी के राजस्थान के सीमावर्ती जिलों, रतलाम आदि से ऑक्सीजन जुटाने में लग गए, जहां से भी व्यवस्था हुई पहले उन मरीजों तक पहुंचाए जिनके सिलेंडर खत्म होने को थे. जब महामारी से आमजन की जान पर बन आई हो तब मां के निधन पश्चात यह संभव नहीं कि जिले का कलेक्टर तीन या तेरह दिन के शोक में डूबा रहे. मां छह महीने से बीमार थीं, तबीयत यकायक बिगड़ने पर जिला अस्पताल कोविड मरीजों के लिए आरक्षित होने से निजी अस्पताल में दाखिल किया. डॉक्टरों ने घर ले जाने की सलाह दे दी, लेकिन उनकी मां ने दूसरे ही दिन अंतिम सांस ली.
मरीजों की सेवा में लगातार तत्पर हैं कलेक्टर
कलेक्ट्रेट के अधिकांश अधिकारी जब कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हों, तब उनके लिए किसी अन्य अधिकारी को प्रभार सौंपकर तीन दिन का शोक मनाना भी असंभव था. कलेक्टर मनोज पुष्प कि माता कि मौत कि खबर सुनकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर शोक संवेदना व्यक्त की.