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मंदसौर में ट्रामा सेंटर की सौगात अधर में लटकी, लोग परेशान, दुर्घटनाओं में जा रही जान - Mandsaur Road Accidents

मंदसौर जिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर नहीं होने से मरीजों का भारी परेशानी होती है. साल 2016 में सीएम शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद आज तक यहां ट्रामा सेंटर नहीं बन पाया है.

District Hospital
जिला अस्पताल
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Published : Sep 9, 2020, 1:01 PM IST

मंदसौर। मध्यप्रदेश के मालवा इलाके से गुजर रही फोर लेन सड़क पर आये दिन लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं. उचित इलाज नहीं मिलने से मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. इसकी वजह जिले में ट्रामा सेंटर की कमी महसूस हो रही है. साल 2016 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मंदसौर को ट्रामा सेंटर की सौगात दी थी, जो प्रशासनिक लापरवाही के चलते अधर में लटकी है. जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

ट्रामा सेंटर की सौगात अधर में लटकी

2016 में मिली थी मंजूरी

चार साल पहले मंदसौर दौरे पर गए मुख्यमंत्री से स्थानीय लोगों और विधायक ने जिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर की यूनिट खोलने की मांग की थी. दुर्घटनाओं में घायल हो रहे मरीजों के तत्काल इलाज संबंधी मामले में मुख्यमंत्री ने जिला अस्पताल में आधुनिक ट्रामा सेंटर खोलने की मंजूरी दी थी.

नहीं हो पाया जगह का चयन

217 करोड़ रुपए की मंजूरी से स्वास्थ्य विभाग भोपाल के अधिकारियों ने 6 महीने के बाद ही ट्रामा सेंटर का प्रोजेक्ट बनाकर जिला अस्पताल प्रबंधन को सौंप दिया था, लेकिन मेडिकल इंजीनियरों ने रेडक्रास द्वारा निर्मित मरीजों के परिजनों के रुकने वाले भवन में ट्रामा सेंटर को अनुकूल नहीं मानते हुए अस्पताल प्रबंधन द्वारा सुझाए गए स्थान को खारिज कर दिया.

ये प्लान भी खारिज

इस मामले में ऑपरेशन थिएटर और ओपीडी के बीच एक ऐसे स्थान का चयन करने की सलाह दी थी कि ट्रामा सेंटर में आए मरीजों को डॉक्टर द्वारा तत्काल देखने के बाद उनका ऑपरेशन थिएटर में इलाज हो सके. साल 2017 में जिला अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल परिसर स्थित विकलांग भवन तोड़कर इस स्थान पर ट्रामा सेंटर बनाने की सलाह दी. स्थानीय डॉक्टरों ने भी इसे ड्यूटी के अनुरूप सुलभ न मानते हुए इनकार कर दिया है.

कोरोना के चलते टल रहा काम

इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने जिला अस्पताल के मैटरनिटी वार्ड की जगह सेंटर बनाने का फैसला किया है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से पूरा अमला कोविड नियंत्रण में लग जाने से ये सौगात अब भी अधूरी पड़ी है.

कलेक्टर का आश्वसन

राज्य के चिकित्सा विभाग ने सेंटर की राशि की मंजूरी कर देने के बावजूद जिला अस्पताल इस सेंटर के निर्माण के लिए स्थान का अभी तक चयन नहीं कर पाया है. लिहाजा साल 2016 में मिली सौगात अब तक अधूरी है. हालांकि, कलेक्टर मनोज पुष्प ने बताया कि जल्द ही ट्रामा सेंटर का काम शुरू हो जाएगा.

दूसरे राज्यों में इलाज कराने को मजबूर लोग

पिछले 4 सालों के दौरान हर साल औसतन 350 लोगों की मौतें सड़क दुर्घटना में हुई है. ट्रामा सेंटर की सुविधा नहीं मिल पाने से डॉक्टर मरीजों को राजस्थान के उदयपुर और गुजरात के अहमदाबाद रेफर करते हैं. जिससे लोगों को परेशानी तो होती ही है, साथ ही उन पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता है. ऐसे हालात में लोगों ने यहां जल्द ही ट्रामा सेंटर खोलने की मांग की है.

मंदसौर। मध्यप्रदेश के मालवा इलाके से गुजर रही फोर लेन सड़क पर आये दिन लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं. उचित इलाज नहीं मिलने से मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. इसकी वजह जिले में ट्रामा सेंटर की कमी महसूस हो रही है. साल 2016 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मंदसौर को ट्रामा सेंटर की सौगात दी थी, जो प्रशासनिक लापरवाही के चलते अधर में लटकी है. जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

ट्रामा सेंटर की सौगात अधर में लटकी

2016 में मिली थी मंजूरी

चार साल पहले मंदसौर दौरे पर गए मुख्यमंत्री से स्थानीय लोगों और विधायक ने जिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर की यूनिट खोलने की मांग की थी. दुर्घटनाओं में घायल हो रहे मरीजों के तत्काल इलाज संबंधी मामले में मुख्यमंत्री ने जिला अस्पताल में आधुनिक ट्रामा सेंटर खोलने की मंजूरी दी थी.

नहीं हो पाया जगह का चयन

217 करोड़ रुपए की मंजूरी से स्वास्थ्य विभाग भोपाल के अधिकारियों ने 6 महीने के बाद ही ट्रामा सेंटर का प्रोजेक्ट बनाकर जिला अस्पताल प्रबंधन को सौंप दिया था, लेकिन मेडिकल इंजीनियरों ने रेडक्रास द्वारा निर्मित मरीजों के परिजनों के रुकने वाले भवन में ट्रामा सेंटर को अनुकूल नहीं मानते हुए अस्पताल प्रबंधन द्वारा सुझाए गए स्थान को खारिज कर दिया.

ये प्लान भी खारिज

इस मामले में ऑपरेशन थिएटर और ओपीडी के बीच एक ऐसे स्थान का चयन करने की सलाह दी थी कि ट्रामा सेंटर में आए मरीजों को डॉक्टर द्वारा तत्काल देखने के बाद उनका ऑपरेशन थिएटर में इलाज हो सके. साल 2017 में जिला अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल परिसर स्थित विकलांग भवन तोड़कर इस स्थान पर ट्रामा सेंटर बनाने की सलाह दी. स्थानीय डॉक्टरों ने भी इसे ड्यूटी के अनुरूप सुलभ न मानते हुए इनकार कर दिया है.

कोरोना के चलते टल रहा काम

इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने जिला अस्पताल के मैटरनिटी वार्ड की जगह सेंटर बनाने का फैसला किया है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से पूरा अमला कोविड नियंत्रण में लग जाने से ये सौगात अब भी अधूरी पड़ी है.

कलेक्टर का आश्वसन

राज्य के चिकित्सा विभाग ने सेंटर की राशि की मंजूरी कर देने के बावजूद जिला अस्पताल इस सेंटर के निर्माण के लिए स्थान का अभी तक चयन नहीं कर पाया है. लिहाजा साल 2016 में मिली सौगात अब तक अधूरी है. हालांकि, कलेक्टर मनोज पुष्प ने बताया कि जल्द ही ट्रामा सेंटर का काम शुरू हो जाएगा.

दूसरे राज्यों में इलाज कराने को मजबूर लोग

पिछले 4 सालों के दौरान हर साल औसतन 350 लोगों की मौतें सड़क दुर्घटना में हुई है. ट्रामा सेंटर की सुविधा नहीं मिल पाने से डॉक्टर मरीजों को राजस्थान के उदयपुर और गुजरात के अहमदाबाद रेफर करते हैं. जिससे लोगों को परेशानी तो होती ही है, साथ ही उन पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता है. ऐसे हालात में लोगों ने यहां जल्द ही ट्रामा सेंटर खोलने की मांग की है.

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