मंदसौर। मालवाचंल की सबसे अहम सीटों में एक मानी जाने वाली मंदसौर लोकसभा सीट पर इस बार भी सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. बीजेपी प्रत्याशी और वर्तमान सांसद सुधीर गुप्ता के खिलाफ राहुल गांधी की कोर टीम की मेंबर मीनाक्षी नटराजन पर कांग्रेस ने फिर से दांव लगाया है. 2014 के चुनाव में सुधीर गुप्ता से मात का चुकी मीनाक्षा एक बार फिर मुकाबले में हैं.
मंदसौर के सियासी इतिहास पर नजर डाली जाए तो जनसंघ की नर्सरी होने के कारण इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है. अब तक हुए 16 चुनावों में से बीजेपी ने 11 बार जीत दर्ज की है. तो पांच बार कांग्रेस को कामयाबी मिली है. संघ खेमे के दिग्गज नेता डॉक्टर लक्ष्मी नारायण पांडे यहां से 8 बार जीत दर्ज कर चुकी है. हालांकि 2009 में कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन ने लक्ष्मीनारायण पांडे को हराकर बीजेपी के इस मजबूत गढ़ में सेंधमारी करते हुए कांग्रेस की वापसी कराई थी. लेकिन 2014 में बीजेपी के सुधीर गुप्ता ने नटराजन को हराकर यहां फिर बीजेपी की वापसी कराई.
मंदसौर के सियासी जानकार कहते है कि इस बार यहां खेती-किसानी अफीम की फसलों के भाव, बेरोजगारी और औद्योगिक विकास जैसे मुद्दे ही हावी रहेंगे. हालांकि जानकर यह भी कहते है कि किसान आंदोलन का प्रभाव यहां विधानसभा चुनाव में उतना नहीं रहा, जितना उम्मीद की गयी थी. जिससे लोकसभा में भी इसके प्रभाव के आसार कम ही नजर आते हैं.
किसान आंदोलन का केंद्र रहे मंदसौर में भले ही इस बार मुद्दे अलग हों लेकिन 2014 की मोदी लहर में जीते बीजेपी सुधीर गुप्ता और कांग्रेस की तेजतर्रार नेता मीनाक्षी नटराजन के बीच यहां जबरदस्त सियासी घमासान होने की उम्मीद है.