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लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी के गढ़ में कांग्रेस की मजबूत चुनौती, मंदसौर में किसके हाथ लगेगी बाजी

मंदसौर लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी-कांग्रेस में जोरदार टक्कर होने की उम्मीद है. बीजेपी ने यहां वर्तमान सांसद सुधीर गुप्ता को फिर से टिकट दिया है. तो कांग्रेस ने एक बार फिर मीनाक्षी नटराजन पर को मौका दिया है. 2014 के चुनाव में भी इन दोनों प्रत्याशियों के बीच ही मुकाबला हुआ था. जहां बीजेपी को जीत मिली थी.

मंदसौर लोकसभा सीट
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Published : Apr 9, 2019, 7:50 PM IST

मंदसौर। मालवाचंल की सबसे अहम सीटों में एक मानी जाने वाली मंदसौर लोकसभा सीट पर इस बार भी सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. बीजेपी प्रत्याशी और वर्तमान सांसद सुधीर गुप्ता के खिलाफ राहुल गांधी की कोर टीम की मेंबर मीनाक्षी नटराजन पर कांग्रेस ने फिर से दांव लगाया है. 2014 के चुनाव में सुधीर गुप्ता से मात का चुकी मीनाक्षा एक बार फिर मुकाबले में हैं.

मंदसौर के सियासी इतिहास पर नजर डाली जाए तो जनसंघ की नर्सरी होने के कारण इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है. अब तक हुए 16 चुनावों में से बीजेपी ने 11 बार जीत दर्ज की है. तो पांच बार कांग्रेस को कामयाबी मिली है. संघ खेमे के दिग्गज नेता डॉक्टर लक्ष्मी नारायण पांडे यहां से 8 बार जीत दर्ज कर चुकी है. हालांकि 2009 में कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन ने लक्ष्मीनारायण पांडे को हराकर बीजेपी के इस मजबूत गढ़ में सेंधमारी करते हुए कांग्रेस की वापसी कराई थी. लेकिन 2014 में बीजेपी के सुधीर गुप्ता ने नटराजन को हराकर यहां फिर बीजेपी की वापसी कराई.

मंदसौर लोकसभा सीट का सियासी समीकरण।

मंदसौर के सियासी जानकार कहते है कि इस बार यहां खेती-किसानी अफीम की फसलों के भाव, बेरोजगारी और औद्योगिक विकास जैसे मुद्दे ही हावी रहेंगे. हालांकि जानकर यह भी कहते है कि किसान आंदोलन का प्रभाव यहां विधानसभा चुनाव में उतना नहीं रहा, जितना उम्मीद की गयी थी. जिससे लोकसभा में भी इसके प्रभाव के आसार कम ही नजर आते हैं.

किसान आंदोलन का केंद्र रहे मंदसौर में भले ही इस बार मुद्दे अलग हों लेकिन 2014 की मोदी लहर में जीते बीजेपी सुधीर गुप्ता और कांग्रेस की तेजतर्रार नेता मीनाक्षी नटराजन के बीच यहां जबरदस्त सियासी घमासान होने की उम्मीद है.

मंदसौर। मालवाचंल की सबसे अहम सीटों में एक मानी जाने वाली मंदसौर लोकसभा सीट पर इस बार भी सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. बीजेपी प्रत्याशी और वर्तमान सांसद सुधीर गुप्ता के खिलाफ राहुल गांधी की कोर टीम की मेंबर मीनाक्षी नटराजन पर कांग्रेस ने फिर से दांव लगाया है. 2014 के चुनाव में सुधीर गुप्ता से मात का चुकी मीनाक्षा एक बार फिर मुकाबले में हैं.

मंदसौर के सियासी इतिहास पर नजर डाली जाए तो जनसंघ की नर्सरी होने के कारण इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है. अब तक हुए 16 चुनावों में से बीजेपी ने 11 बार जीत दर्ज की है. तो पांच बार कांग्रेस को कामयाबी मिली है. संघ खेमे के दिग्गज नेता डॉक्टर लक्ष्मी नारायण पांडे यहां से 8 बार जीत दर्ज कर चुकी है. हालांकि 2009 में कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन ने लक्ष्मीनारायण पांडे को हराकर बीजेपी के इस मजबूत गढ़ में सेंधमारी करते हुए कांग्रेस की वापसी कराई थी. लेकिन 2014 में बीजेपी के सुधीर गुप्ता ने नटराजन को हराकर यहां फिर बीजेपी की वापसी कराई.

मंदसौर लोकसभा सीट का सियासी समीकरण।

मंदसौर के सियासी जानकार कहते है कि इस बार यहां खेती-किसानी अफीम की फसलों के भाव, बेरोजगारी और औद्योगिक विकास जैसे मुद्दे ही हावी रहेंगे. हालांकि जानकर यह भी कहते है कि किसान आंदोलन का प्रभाव यहां विधानसभा चुनाव में उतना नहीं रहा, जितना उम्मीद की गयी थी. जिससे लोकसभा में भी इसके प्रभाव के आसार कम ही नजर आते हैं.

किसान आंदोलन का केंद्र रहे मंदसौर में भले ही इस बार मुद्दे अलग हों लेकिन 2014 की मोदी लहर में जीते बीजेपी सुधीर गुप्ता और कांग्रेस की तेजतर्रार नेता मीनाक्षी नटराजन के बीच यहां जबरदस्त सियासी घमासान होने की उम्मीद है.

Intro:मंदसौर ।17 वें लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस बार भी मालवा इलाके की सबसे खास मानी जाने वाली सीट मंदसौर पर, सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा और कांग्रेस में ही सीधा मुकाबला है। भाजपा ने इस बार भी संघ खेमे के कद्दावर नेता और वर्तमान सांसद सुधीर गुप्ता को ही दोबारा टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने भी इस सीट पर कोई रिस्क ना लेते हुए पार्टी की पूर्व सचिव और पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन को ही तीसरी बार चुनावी मैदान में उतारा है। 16 वें लोकसभा चुनाव की तरह ही ,इस चुनाव में दोनों ही नेता एक बार फिर आमने-सामने हैं ।लिहाजा इस चुनाव में यहां कौन-कौन से मुद्दे असरकारक रहेंगे ,इस फैक्ट को जानने के लिए ईटीवी भारत ने चुनावी समीकरणों की पड़ताल की....


Body:17 वें लोकसभा चुनाव का आगाज हो गया है।राजनैतिक इतिहास के मुताबिक मंदसौर संसदीय क्षेत्र में भगवा पार्टियों का हमेशा पलड़ा भारी रहा है। यहां 11 बार भगवा पार्टियों ने जीत हासिल की है ।वहीं केवल 5 बार ही कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीत मिली है। क्षेत्र में 19 मई को मतदान होना है। लोकसभा चुनाव में दोनो ही पार्टियों ने इस बार भी 2014 की जोड़ी को रिपीट किया है ।इस चुनाव में भाजपा के वर्तमान सांसद सुधीर गुप्ता के सामने कांग्रेस की पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन मैदान में खड़ी है। हालांकि यह सीट परंपरागत तौर पर भगवा सीट मानी जाती है और इतिहास पर यदि नजर डाली जाए तो 16 में से 11 बार यहां जनसंघ और भाजपा के सांसद चुनकर आए हैं। 5 बार कांग्रेस के सांसदों ने भी विजय हासिल की लेकिन जनसंघ की नर्सरी होने के कारण इस सीट को भगवा सीट ही माना जाता है। कांग्रेसी शासन काल में अधिकतर ऐसा हुआ कि सत्तारूढ़ पार्टी के ही सांसद चुनकर आए लेकिन इलाके में विकास ना होने से मतदाताओं ने पार्टी को न करना शुरू कर दिया। एक नजर के मुताबिक 70 साल के लोकतांत्रिक इतिहास में 16 बार चुनाव हुए हालांकि शुरुआती 2 चुनाव में कांग्रेस और उसके बाद दो बार जन संघ के नेताओं ने इस क्षेत्र से जीत हासिल की। लेकिन वर्ष 1989 से इस क्षेत्र में भाजपा ने अपना दबदबा बनाना शुरू किया।लोकसभा चुनाव के 16 कार्यकाल में से, यहां संघ खेमे के दिग्गज नेता डॉक्टर लक्ष्मी नारायण पांडे ने अकेले 8 बार जीत हासिल की। उन्हें इस क्षेत्र से अजय योद्धा माने जाने लगा था। लेकिन उनके कार्यकाल में भी इलाके का विकास न होने से मतदाता फिर भाजपा से नाराज हुए ।लिहाजा 2009 में कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदलते हुए पार्टी की राष्ट्रीय सचिव और महिला नेत्री मीनाक्षी नटराजन को मैदान में उतारा और उन्होंने भाजपा का गढ़ तोड़कर 20 साल बाद कांग्रेस का जनप्रतिनिधित्व हासिल किया ।हालांकि मीनाक्षी नटराजन अगले ही चुनाव में संघ खेमे के नेता सांसद सुधीर गुप्ता से 3 लाख 6 हजार 459 वोटों से हार गई। वहीँ इस चुनाव में पार्टी ने फिर इस सीट पर दोनों को चुनावी मैदान में भेजा है ।दोनों ही पार्टियों ने अब घोषणा पत्र भी जारी कर दिए हैं ।इन हालातों मे राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस बार यहां खेती-किसानी से जुड़े और युवा मतदाता इस सीट का फैसला करेंगे ।इस सीट पर इस बार कृषि व्यवसाय से जुड़े अफीम और फसलों के भाव के अलावा बेरोजगारी और औद्योगिक विकास जैसे मुद्दे ज्यादा असरकारक होंगे ।
byte 1:बृजेश जोशी ,वरिष्ठ पत्रकार, मंदसौर


Conclusion:मंदसौर लोकसभा सीट पर इस बार 17 लाख 44 हजार 495 मतदाता अपने नेता का चुनाव करेंगे ।वही सीट की 8 विधानसभाओं में करीब 7लाख मतदाता खेती किसानी के कारोबार से भी जुड़े होने के कारण उनके हित कारक मुद्दे भी इस बार ज्यादा प्रभाव शाली होते नजर आ रहे हैं ।क्षेत्र में सिंचाई के संसाधनों की कमी और फसलों के वाजिब दाम के मुद्दे पर यहां किसान आंदोलन भी हुआ। लेकिन इन मुद्दों पर भी किसान हित मे ठोस कार्रवाई ना होने के साथ ही बेरोजगारी की दिशा में भी पहल ना होने से यहां के मतदाताओं में फिलहाल दोनों ही पार्टियों से नाराजगी है ।राजनीती के हलकों के जानकारों का मानना है कि इस चुनाव में औद्योगिक विकास और क्षेत्र में पैदा होने वाली अफीम की खेती से किसानों को लाभ और उसके सामाजिक दुष्परिणाम का मुद्दा भी यहां काफी असर कारक होगा।
byte2: डॉ घनश्याम बटवाल, वरिष्ठ पत्रकार, मंदसौर


विनोद गौड़, रिपोर्टर ,मंदसौर
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