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मण्डला: जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं ग्रामीण, नहीं मिल रहा प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ

जिले के ग्राम पंचायत भंवरदा में ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं. इस गांव में किसी घर की छत पर त्रिपाल डाला गया है, तो किसी घर का छप्पर ही नहीं है. सरपंच और सचिव आवास योजना के आवेदन पास करने के एवज में रुपयों की मांग करते हैं.

जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं ग्रामीण
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Published : Jun 13, 2019, 7:59 PM IST

मण्डला। जिले के ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले पक्के मकानों का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिसकी वजह से गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले ग्रामीण टूटे-फूटे और जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच और सचिव आवास योजना के आवेदन पास करने के एवज में रुपयों की मांग करते हैं.

जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं ग्रामीण

जिले के ग्राम पंचायत भंवरदा में ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं. इस गांव में किसी घर की छत पर त्रिपाल डाला गया है, तो किसी घर का छप्पर ही नहीं है, किसी मकान की दीवार जमींदोज हो चुकी है और कोई मकान कब गिर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता.
गरीबी रेखा में जीवन यापन करने वाले ग्रामीणों ने दर्जनों बार प्रधानमंत्री आवास के लिए अपने आवेदन ग्राम पंचायत में जमा तो कराए, लेकिन इन्हें हर बार बस आश्वासन ही मिलता रहा. ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच और सचिव आवास योजना के आवेदन पास करने के लिए रुपयों की मांग करते हैं.
वहीं प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति और निर्माण में हो रही लेट लतीफी पर जिला पंचायत के अधिकारी का कहना है, कि मण्डला जिले को पहले 24 हजार आवास की स्वीकृति मिली थी, जो बाद में घट कर 15 हजार हो गयी. इसके बाद सरकार ने इसे और कम करते हुए सिर्फ 9 हजार तक सीमित कर दिया है. जिसकी वजह से लोगों को आवास के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है और स्वीकृति में देरी हो रही है.

मण्डला। जिले के ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले पक्के मकानों का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिसकी वजह से गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले ग्रामीण टूटे-फूटे और जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच और सचिव आवास योजना के आवेदन पास करने के एवज में रुपयों की मांग करते हैं.

जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं ग्रामीण

जिले के ग्राम पंचायत भंवरदा में ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं. इस गांव में किसी घर की छत पर त्रिपाल डाला गया है, तो किसी घर का छप्पर ही नहीं है, किसी मकान की दीवार जमींदोज हो चुकी है और कोई मकान कब गिर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता.
गरीबी रेखा में जीवन यापन करने वाले ग्रामीणों ने दर्जनों बार प्रधानमंत्री आवास के लिए अपने आवेदन ग्राम पंचायत में जमा तो कराए, लेकिन इन्हें हर बार बस आश्वासन ही मिलता रहा. ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच और सचिव आवास योजना के आवेदन पास करने के लिए रुपयों की मांग करते हैं.
वहीं प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति और निर्माण में हो रही लेट लतीफी पर जिला पंचायत के अधिकारी का कहना है, कि मण्डला जिले को पहले 24 हजार आवास की स्वीकृति मिली थी, जो बाद में घट कर 15 हजार हो गयी. इसके बाद सरकार ने इसे और कम करते हुए सिर्फ 9 हजार तक सीमित कर दिया है. जिसकी वजह से लोगों को आवास के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है और स्वीकृति में देरी हो रही है.

Intro:मण्डला जिले के ग्रामीणों तक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले पक्के मकानों का लाभ नहीं पहुँच पा रहा जिसके चलते गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले ये ग्रामीण टूटे फूटे और जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं।


Body:किसी घर की छत पर त्रिपाल डाला गया है तो किसी घर का छप्पर ही नहीं है तो किसी मकान की दीवार जमींदोज हो चुकी है और कोई मकान कब गिर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता ये नज़ारा है मण्डला जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत भँवरदा का,यहाँ के गरीबी रेखा में जीवन जीने वाले ग्रामीणों ने दर्जनो बार प्रधानमंत्री आवास के लिए अपने आवेदन ग्राम पंचायत में जमा तो कराए लेकिन इन्हें हर बार बस इंतज़ार करने का आस्वासन ही मिलता है,इन ग्रामीणों का कहना है कि कई साल पहले से भी दिए गए आवेदन ग्रामपंचायत में लंबित है साथ ही ग्रामीणों का कहना है सरपंच और सचिव आवास योजना के आवेदन पास करने के एवज में रुपयों की माँग करते हैं या फिर अपने खास लोगों को ही योजना का लाभ दिला रहे हैं,वहीं ग्रामीणों की मजबूरी यह है कि उनके कच्चे घर की दीवारों पर बड़ी बड़ी दरारे आ चुकी हैं और ये मकान कब गिर जाएँ कुछ कहा नहीं जा सकता,दूसरी तरफ इन मकानों की छप्पर भी ऐसी नहीं जो गर्मी या बरसात के मौषम को बर्दाश्त कर सके।


Conclusion:वहीं प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति और निर्माण में हो रही लेट लतीफी पर जिला पंचायत के अधिकारी का कहना है कि मण्डला जिले को पहले 24 हज़ार आवास की स्वीकृति मिली थी जो बाद में घट कर 15 हज़ार हो गयी इसके बाद सरकार ने इसे और कम करते हुए सिर्फ 9 हज़ार तक सीमित कर दिया है जिसके चलते लोगों को आवास के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ रहा और स्वीकृति में देरी हो रही है।

बाईट--स्थानीय निवासी
बाईट--जे समीर लाकरा,मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत मण्डला
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