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मंडला के 26 सरकारी स्कूलों में न शिक्षक हैं न छात्र, विभाग ने लगाया ताला

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भले ही स्कूल शिक्षा व्यवस्था की तारीफ में कसीदें पढ़ते हैं, लेकिन आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में 26 सरकारी स्कूल केवल इसलिए बंद कर दिए गए क्योंकि न तो यहां पढ़ने के लिए स्टूडेंट्स थे और न पढ़ाने के लिए शिक्षक. इसलिए इन स्कूलों को बंद कर दिया गया.

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Published : Aug 20, 2020, 11:00 PM IST

mandla news
स्कूलों पर लगा ताला

मंडला। मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है. हालात ऐसे हैं कि स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं तक मयस्सर नहीं हैं. आपको जानकार हैरानी होगी कि मंडला जिले के कुल 26 स्कूल इसलिए बंद कर दिए गए क्योंकि यहां न तो छात्र थे और न शिक्षक. जिससे स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश पर इन स्कूलों में हमेशा के लिए ताला लगा दिया गया.

मंडला के 26 सरकारी स्कूल बंद

शिक्षा के अधिकार के तहत हर एक प्राथमिक स्तर पर पढ़ने वाले बच्चे को 2 किमी से ज्यादा दूरी तय न करना पड़े. ऐसा नियम सरकार ने बनाया है. लेकिन जब कम जनसंख्या वाले ग्रामीण क्षेत्रों में बिना सर्वे के सरकारी स्कूल खोल दिए जाएं तो बच्चों को शिक्षा का लाभ दिलाने की परिकल्पना पूरी नहीं होती, जबकि सरकार को जो आर्थिक तौर पर घाटा लगता है वो अलग. कुछ ऐसा ही हुआ मंडला जिले में जहां बजट के आभाव में 26 स्कूल बंद हो गए.

पेड़ के नीचे पढ़ते बच्चे
पेड़ के नीचे पढ़ते बच्चे

स्कूल शिक्षा विभाग ने दी जानकारी

स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी हीरेंद्र वर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि इन 26 स्कूलों को इस साल के शिक्षण सत्र में बंद कर दिया गया है. जिसकी मंजूरी खुद राज्य शिक्षा विभाग ने दी है. स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार मिडल स्कूल संचालित करने के लिए सरकारी स्कूल में 20 से ज्यादा स्टूडेंट होना जरुरी है. प्राइमरी स्कूल के लिए 40 से ज्यादा स्टूडेंट होने चाहिए. पर आपको ये जानकार हैरानी होगी कि मंडला जिले में 513 प्राइमरी-मिडल स्कूल जहां 20 स्टडेंट भी नहीं हैं, जबकि इन स्कूलों में 300 से ज्यादा शिक्षक पदस्थ हैं, जिनका सही इस्तेमाल तक नहीं हो रहा.

नहीं मिलती सुविधाएं
नहीं मिलती सुविधाएं

अब जरा इन आंकड़ों पर भी नजर डालिए

  • मंडला जिले में 2686 प्राइमरी-मिडिल स्कूल हैं
  • 1 लाख 19 हजार 350 छात्र पढ़ते हैं
  • 4600 शिक्षक स्कूलों में पदस्थ हैं
  • 2019-20 के शिक्षा सत्र में 25 सरकारी स्कूल बंद हुए
  • 2020-21 के शिक्षा सत्र में 26 स्कूल बंद हो गए
  • मंडला जिले के 513 स्कूलों में 20 से भी कम छात्र हैं
  • 111 स्कूलों में दस से कम छात्र हैं, जिन्हें पढ़ाने के लिए 164 शिक्षक हैं
  • 125 प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं

क्या कहते हैं नियम

स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार मिडल स्कूल संचालित करने के लिए सरकारी स्कूल में 20 से ज्यादा छात्र होना आवश्यक है तो प्राइमरी स्कूल भी उस स्थिति में ही संचालित हो सकते हैं, जब स्कूल में दर्ज स्टूडेंट की संख्या 40 से ज्यादा हो. अगर बात करें प्रदेश की तो स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार पूरे प्रदेश में 12 हजार 178 स्कूल ऐसे हैं, जहां 20 से कम छात्र हैं, जबकि 698 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी छात्र का एडमिशन नहीं हुआ है. पूरे प्रदेश में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की कुल संख्या 1 लाख 35 हजार 398 है.

मंडला जिले के स्कूलों में नहीं है बुनियादी सुविधाएं

मंडला जिले के ज्यादातर स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. जहां पीने के पानी, स्कूल भवन, शौचालय और शिक्षकों की कमी सालों से बनी हुई है. जिसका आज तक कोई समाधान नहीं हुआ. जिससे जिले के बच्चों को पर्याप्त सुविधाए नहीं मिल पाती. अब शायद आप समझ गए होंगे कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों का हाल क्यों इतना बुरा है. जिन स्कूलों में छात्र है, वहां पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है तो जिन स्कूलों में छात्र पढ़ने आ रहे हैं, वहां पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं. पूरी शिक्षा व्यवस्था ही डामाडोल है. जब ग्रामीण अंचल में न तो बच्चों को सही शिक्षा मिलेगी और न ही कोई सुविधा तो भारत का भविष्य कैसे संवारा जाएगा, ये सरकार और सिस्टम दोनों के लिए बड़ा सवाल है. जिसका जवाब कोई नहीं देता.

मंडला। मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है. हालात ऐसे हैं कि स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं तक मयस्सर नहीं हैं. आपको जानकार हैरानी होगी कि मंडला जिले के कुल 26 स्कूल इसलिए बंद कर दिए गए क्योंकि यहां न तो छात्र थे और न शिक्षक. जिससे स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश पर इन स्कूलों में हमेशा के लिए ताला लगा दिया गया.

मंडला के 26 सरकारी स्कूल बंद

शिक्षा के अधिकार के तहत हर एक प्राथमिक स्तर पर पढ़ने वाले बच्चे को 2 किमी से ज्यादा दूरी तय न करना पड़े. ऐसा नियम सरकार ने बनाया है. लेकिन जब कम जनसंख्या वाले ग्रामीण क्षेत्रों में बिना सर्वे के सरकारी स्कूल खोल दिए जाएं तो बच्चों को शिक्षा का लाभ दिलाने की परिकल्पना पूरी नहीं होती, जबकि सरकार को जो आर्थिक तौर पर घाटा लगता है वो अलग. कुछ ऐसा ही हुआ मंडला जिले में जहां बजट के आभाव में 26 स्कूल बंद हो गए.

पेड़ के नीचे पढ़ते बच्चे
पेड़ के नीचे पढ़ते बच्चे

स्कूल शिक्षा विभाग ने दी जानकारी

स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी हीरेंद्र वर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि इन 26 स्कूलों को इस साल के शिक्षण सत्र में बंद कर दिया गया है. जिसकी मंजूरी खुद राज्य शिक्षा विभाग ने दी है. स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार मिडल स्कूल संचालित करने के लिए सरकारी स्कूल में 20 से ज्यादा स्टूडेंट होना जरुरी है. प्राइमरी स्कूल के लिए 40 से ज्यादा स्टूडेंट होने चाहिए. पर आपको ये जानकार हैरानी होगी कि मंडला जिले में 513 प्राइमरी-मिडल स्कूल जहां 20 स्टडेंट भी नहीं हैं, जबकि इन स्कूलों में 300 से ज्यादा शिक्षक पदस्थ हैं, जिनका सही इस्तेमाल तक नहीं हो रहा.

नहीं मिलती सुविधाएं
नहीं मिलती सुविधाएं

अब जरा इन आंकड़ों पर भी नजर डालिए

  • मंडला जिले में 2686 प्राइमरी-मिडिल स्कूल हैं
  • 1 लाख 19 हजार 350 छात्र पढ़ते हैं
  • 4600 शिक्षक स्कूलों में पदस्थ हैं
  • 2019-20 के शिक्षा सत्र में 25 सरकारी स्कूल बंद हुए
  • 2020-21 के शिक्षा सत्र में 26 स्कूल बंद हो गए
  • मंडला जिले के 513 स्कूलों में 20 से भी कम छात्र हैं
  • 111 स्कूलों में दस से कम छात्र हैं, जिन्हें पढ़ाने के लिए 164 शिक्षक हैं
  • 125 प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं

क्या कहते हैं नियम

स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार मिडल स्कूल संचालित करने के लिए सरकारी स्कूल में 20 से ज्यादा छात्र होना आवश्यक है तो प्राइमरी स्कूल भी उस स्थिति में ही संचालित हो सकते हैं, जब स्कूल में दर्ज स्टूडेंट की संख्या 40 से ज्यादा हो. अगर बात करें प्रदेश की तो स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार पूरे प्रदेश में 12 हजार 178 स्कूल ऐसे हैं, जहां 20 से कम छात्र हैं, जबकि 698 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी छात्र का एडमिशन नहीं हुआ है. पूरे प्रदेश में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की कुल संख्या 1 लाख 35 हजार 398 है.

मंडला जिले के स्कूलों में नहीं है बुनियादी सुविधाएं

मंडला जिले के ज्यादातर स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. जहां पीने के पानी, स्कूल भवन, शौचालय और शिक्षकों की कमी सालों से बनी हुई है. जिसका आज तक कोई समाधान नहीं हुआ. जिससे जिले के बच्चों को पर्याप्त सुविधाए नहीं मिल पाती. अब शायद आप समझ गए होंगे कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों का हाल क्यों इतना बुरा है. जिन स्कूलों में छात्र है, वहां पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है तो जिन स्कूलों में छात्र पढ़ने आ रहे हैं, वहां पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं. पूरी शिक्षा व्यवस्था ही डामाडोल है. जब ग्रामीण अंचल में न तो बच्चों को सही शिक्षा मिलेगी और न ही कोई सुविधा तो भारत का भविष्य कैसे संवारा जाएगा, ये सरकार और सिस्टम दोनों के लिए बड़ा सवाल है. जिसका जवाब कोई नहीं देता.

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