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मंडला: वन भूमि के पट्टों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मंत्रियों का बयान, 'आदिवासियों को नहीं होने देंगे बेदखल'

मंडला में वन भूमि के पट्टों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मंत्रियों ने दी प्रतिक्रिया, कहा- आदिवासियों को नहीं होने देंगे बेदखल

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Published : Feb 26, 2019, 2:51 PM IST

वन भूमि पर काबिज लोगों के आवेदन निरस्त

मंडला। सुप्रीम कोर्ट ने वन भूमि पर काबिज लोगों के आवेदन निरस्त कर दिए थे, जिसके बाद मण्डला लोकसभा क्षेत्र से सांसद और बीजेपी आदिवासी जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष फग्गनसिंह कुलस्ते और आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार मरकाम ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

इस आदेश पर मण्डला जिले के सांसद और पूर्व बीजेपी जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष फग्गनसिंह कुलस्ते का कहना है कि इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए और सभी दलों के द्वारा विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों को वन भूमि का पट्टा दिए जाने के संबंध में ठोस निर्णय लेना चाहिए.

मंडला, mp
वन भूमि पर काबिज लोगों के आवेदन निरस्त

ओमकार मरकाम ने साधा पूर्व की शिवराज सरकार पर निशाना
वहीं आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार मरकाम ने केंद्र सरकार और प्रदेश की पूर्व बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इनकी नाकामी और मजबूती से सुप्रीम कोर्ट में आदिवासियों के हित में पक्ष नहीं रख पाने के चलते यह आदेश आया है. उन्होंने कहा कि ये सालों से वन भूमि पर रह रहे आदिवासियों के खिलाफ है. ओमकार मरकाम का कहना है कि इस आदेश के खिलाफ फिर से सुप्रीम कोर्ट जाया जाएगा और आदिवासियों को जमीन से बेदखल होने नहीं दिया जाएगा.

वन भूमि पर काबिज लोगों के आवेदन निरस्त

बता दें कि एनजीओ फॉरेस्ट फस्ट और अन्य ने 13 फरवरी को एक याचिका दायर की थी, जिस पर महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वन अधिकार अधिनियम के तहत राज्य सरकारों को आदेश दिया है. आदेश के मुताबिक वन भूमि पर काबिज लोगों के आवेदन निरस्त कर यहां से कब्जा हटाने को कहा गया है. इस आदेश के बाद निरस्त हुए आवेदनों की संख्या को लेकर अलग-अलग तरह के आंकड़े सामने आ रहे हैं.

मंडला। सुप्रीम कोर्ट ने वन भूमि पर काबिज लोगों के आवेदन निरस्त कर दिए थे, जिसके बाद मण्डला लोकसभा क्षेत्र से सांसद और बीजेपी आदिवासी जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष फग्गनसिंह कुलस्ते और आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार मरकाम ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

इस आदेश पर मण्डला जिले के सांसद और पूर्व बीजेपी जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष फग्गनसिंह कुलस्ते का कहना है कि इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए और सभी दलों के द्वारा विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों को वन भूमि का पट्टा दिए जाने के संबंध में ठोस निर्णय लेना चाहिए.

मंडला, mp
वन भूमि पर काबिज लोगों के आवेदन निरस्त

ओमकार मरकाम ने साधा पूर्व की शिवराज सरकार पर निशाना
वहीं आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार मरकाम ने केंद्र सरकार और प्रदेश की पूर्व बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इनकी नाकामी और मजबूती से सुप्रीम कोर्ट में आदिवासियों के हित में पक्ष नहीं रख पाने के चलते यह आदेश आया है. उन्होंने कहा कि ये सालों से वन भूमि पर रह रहे आदिवासियों के खिलाफ है. ओमकार मरकाम का कहना है कि इस आदेश के खिलाफ फिर से सुप्रीम कोर्ट जाया जाएगा और आदिवासियों को जमीन से बेदखल होने नहीं दिया जाएगा.

वन भूमि पर काबिज लोगों के आवेदन निरस्त

बता दें कि एनजीओ फॉरेस्ट फस्ट और अन्य ने 13 फरवरी को एक याचिका दायर की थी, जिस पर महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वन अधिकार अधिनियम के तहत राज्य सरकारों को आदेश दिया है. आदेश के मुताबिक वन भूमि पर काबिज लोगों के आवेदन निरस्त कर यहां से कब्जा हटाने को कहा गया है. इस आदेश के बाद निरस्त हुए आवेदनों की संख्या को लेकर अलग-अलग तरह के आंकड़े सामने आ रहे हैं.

Intro:एनजीओ फारेस्ट फस्ट एवं अन्य द्वारा दायर याचिका पर 13 फरवरी को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए देश की सर्वोच्च न्यायालय ने वनों में हुए उन कब्जों को बेदखल किया है जिनके दावा आवेदनों को वन अधिकार अधिनियम के तहत निरस्त किया गया था जिसके बाद पहली प्रतिक्रिया देते हुए मण्डला लोकसभा के सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी आदिवासी जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष फग्गनसिंह कुलस्ते और आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार मरकाम ने प्रतिक्रिया दी हैं


Body:सुप्रीमकोर्ट ने राज्य सरकारों से वन भूमि पर काबिज लोगो के आवेदन निरस्त होने के बाद उनका वन भूमि से कब्जा हटाने का आदेश दिया है इस आदेश के बाद एक नयी बहस छिड़ गई है और निरस्त हुए आवेदनों की संख्या को भी लेकर अलग अलग तरह के आंकड़े सामने आ रहे हैं,ऐसे आदिवाशियों को बेदखल करने की बात पर मण्डला जिले के सांसद और पूर्व भाजपा जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कहना है कि इस निर्णय पर फिर से विचार किया जाना चाहिए और सभी दलों के द्वारा विशेष सत्र बुला कर आदिवाशियों को वन भूमि का पट्टा दिए जाने के सम्बंध में ठोस निर्णय लेना चाहिए,वहीं प्रदेश सरकार में आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार मरकाम ने केंद्र सरकार और प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इनकी नाकामी और मजबूती से सुप्रीम कोर्ट में आदिवाशियों के हित मे पक्ष न रख पाने के चलते यह आदेश आया है जो सालों से वन भूमि में रह रहै आदिवाशियों के खिलाफ है प्रदेश सरकाए के द्वारा जल्द ही एक समीति बना कर सारे तथ्यों का अध्यन किया जाएगा और फिर उन्हें बेदखल करने के आदेश पर ठोस निर्णय लिया जाएगा फिर से सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और आदिवाशियों को बेदखल नहीं किया जाएगा


Conclusion:पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते बड़े आदिवाशी नेता के साथ ही भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आए इस आदेश के बाद आदिवासी समाज निश्चित ही उन से अपने बेदखल होने के सवाल पर जहां जबाब ढूंढ रहा है वहीं ओमकार मरकाम का यह बयान की वन भूमि से उनको बेदख़ल नहीं किया जाएगा और प्रदेश सरकार आदिवाशियों के हित की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में फिर से लड़ेगी कुछ राहत देने के लिए काफी होगा
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