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ओडीएफ घोषित होने के बाद भी ग्रामीण खुले में जा रहे शौच, 75 % घरों में नहीं है शौचालय

मण्डला के ग्राम पंचायत माधोपुर का मारार टोला गांव. यहां 170 परिवार के बीच 25 फीसदी ही शौचालय बने है. वहीं अधिकतर ग्रामीण शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर है.

मीण शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर
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Published : Sep 21, 2019, 3:09 PM IST

मण्डला। मध्यप्रदेश के मण्डला जिले को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. इसके बावजूद मण्ड्ला जिले के एक गांव में लोग आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है. मण्डला जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत माधोपुर का मारार गांव टोला गांव 170 परिवार निवास करते हैं जिनमें से 75 % घर ऐसे हैं जिनके पास शौचालय नहीं है.

स्वच्छता अभियान की खुली पोल

ग्रामीण के मुताबिक गांव में शौचालय नहीं बना है इसलिए अधिकतर ग्रामीण शौच के लिए खुले में जाने को मजबूर हैं.
एक ग्रामीण महिला ने बताया कि गांव में शौचालय बनाने के लिए पिछले तीन साल से प्रक्रिया चल रही है. इसके बाद भी शौचालय नहीं बना है. हालांकि ग्राम पंचायत ने शौचालय के लिए सामान तो डलवा दिया लेकिन बनाने की प्रक्रिया कब शुरु हो गई इसका पता ग्रामीणों को नहीं है.

जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि ओडीएफ के बाद एलओपी 1, एलओपी 2 शुरु कराई गई है. एलओपी 1 के तहत सभी शौचालय बनाए जा चुके हैं. एलओपी 2 के तहत जिन घरों में शौचालय बनने है उनकी प्रक्रिया जल्द शुरु कराई जाएगी.

वहीं ठेकेदार द्वारा काम लापरवाही बरतने पर जिला पंचायत सीईओ ने कहा कि यदि ठेकेदार काम में लापरवाही की बात सामने आई है. तो जांच के बाद संबंधित ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

जिले के सरकारी आंकड़े
स्वच्छ एमपी पोर्टल के सर्वे के अनुसार मण्डला जिले के 46 हजार से ज्यादा शौचालय अनुपयोगी पाए गए हैं जो पूर्ण नहीं हैं या फिर अधूरे हैं और इनमें लोग लकड़ी कंडे रख रहे हैं.

सर्वे के अनुसार अगर बात करें तो
* जिले में कुल घरों की संख्या 2 लाख 2 हज़ार 639 है,
* जिनमें से 1 लाख 77 हज़ार 51 घरों का सत्यापन किया गया
* 25 हजार 588 घरों का सत्यापन किया जाना शेष है लेकिन
*1 लाख 77 हज़ार 51 घरों के सत्यापन में ही 46 हजार 292 शौचालय अनुपयोगी या किसी भी काम के नहीं पाए गए।

क्या हैं कमियां
बहुत से शौचालय में सीट गायब है तो किसी में टंकी है ही नहीं, या नहीं लगाई गई,तो कहीं दरवाजे नहीं है,छत नहीं या फिर शौचालय इस हाल में ही नहीं है कि उनका उपयोग किया जा सके, दूसरी तरफ यदि शौचालय पूरी तरह बन भी गये तो उनका टैंक कम्प्लीट नहीं या फिर कनेक्शन ही नहीं हुआ है।

मण्डला। मध्यप्रदेश के मण्डला जिले को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. इसके बावजूद मण्ड्ला जिले के एक गांव में लोग आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है. मण्डला जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत माधोपुर का मारार गांव टोला गांव 170 परिवार निवास करते हैं जिनमें से 75 % घर ऐसे हैं जिनके पास शौचालय नहीं है.

स्वच्छता अभियान की खुली पोल

ग्रामीण के मुताबिक गांव में शौचालय नहीं बना है इसलिए अधिकतर ग्रामीण शौच के लिए खुले में जाने को मजबूर हैं.
एक ग्रामीण महिला ने बताया कि गांव में शौचालय बनाने के लिए पिछले तीन साल से प्रक्रिया चल रही है. इसके बाद भी शौचालय नहीं बना है. हालांकि ग्राम पंचायत ने शौचालय के लिए सामान तो डलवा दिया लेकिन बनाने की प्रक्रिया कब शुरु हो गई इसका पता ग्रामीणों को नहीं है.

जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि ओडीएफ के बाद एलओपी 1, एलओपी 2 शुरु कराई गई है. एलओपी 1 के तहत सभी शौचालय बनाए जा चुके हैं. एलओपी 2 के तहत जिन घरों में शौचालय बनने है उनकी प्रक्रिया जल्द शुरु कराई जाएगी.

वहीं ठेकेदार द्वारा काम लापरवाही बरतने पर जिला पंचायत सीईओ ने कहा कि यदि ठेकेदार काम में लापरवाही की बात सामने आई है. तो जांच के बाद संबंधित ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

जिले के सरकारी आंकड़े
स्वच्छ एमपी पोर्टल के सर्वे के अनुसार मण्डला जिले के 46 हजार से ज्यादा शौचालय अनुपयोगी पाए गए हैं जो पूर्ण नहीं हैं या फिर अधूरे हैं और इनमें लोग लकड़ी कंडे रख रहे हैं.

सर्वे के अनुसार अगर बात करें तो
* जिले में कुल घरों की संख्या 2 लाख 2 हज़ार 639 है,
* जिनमें से 1 लाख 77 हज़ार 51 घरों का सत्यापन किया गया
* 25 हजार 588 घरों का सत्यापन किया जाना शेष है लेकिन
*1 लाख 77 हज़ार 51 घरों के सत्यापन में ही 46 हजार 292 शौचालय अनुपयोगी या किसी भी काम के नहीं पाए गए।

क्या हैं कमियां
बहुत से शौचालय में सीट गायब है तो किसी में टंकी है ही नहीं, या नहीं लगाई गई,तो कहीं दरवाजे नहीं है,छत नहीं या फिर शौचालय इस हाल में ही नहीं है कि उनका उपयोग किया जा सके, दूसरी तरफ यदि शौचालय पूरी तरह बन भी गये तो उनका टैंक कम्प्लीट नहीं या फिर कनेक्शन ही नहीं हुआ है।

Intro:पूरे मण्डला जिले को ओडीएफ काफी पहले घोषित किया जा चुका है लेकिन जिले के किसी भी गाँव चले जाइये निश्चित ही खुले में सौच को जाते हुए लोग नज़र आ जाएंगे और इन्ही में नज़र आ जाएगी आधी आबादी की वो मजबूरी जो उन्हें शर्म के बीच खुले में सौच को जाने के लिए विवश करती है लेकिन जिले को मिला प्रमाणपत्र दावा करता है कि मण्डला खुले में सौच मुक्त हो चुका है।


Body:मण्डला जिला मुख्यालय से बस 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत माधोपुर का गाँव मारार टोला,यहाँ लगभग 170 परिवार निवास करते हैं जिनमें से 75 % घर ऐसे हैं जहाँ सरकार की मदद से बनने वाले सौचालय बने ही नहीं हैं और सभी लोग खुले खेत खलिहान या फिर सड़क किनारे सौच को जाने मजबूर हैं जिनमें सबसे ज्यादा फजीहत झेलनी पड़ती है उस आधी आबादी को जो शर्म के बीच लोटा या डब्बा उठाए बीच गाँव से निकलती है और घूँघट से मुँह ढाँक कर खुले में ही सौच को जाती है,जो ओडीएफ की हकीकत को बयाँ करने के लिए काफी हैं

क्या कहते हैं जिले के सरकारी आँकड़े--

स्वच्छ एम पी पोर्टल के द्वारा कराए गए सर्वे के अनुसार मण्डला जिले के 46292 सौचालय अनुपयोगी पाए गए हैं जो पूर्ण नहीं है या फिर अधूरे हैं और इनमे लोग लकड़ी कंडे रख रहे हैं

सर्वे के अनुसार अगर बात करें तो
* जिले में कुल घरों की संख्या 2 लाख 2हज़ार 639 है,
* जिनमें से 1 लाख 77 हज़ार 51 घरों का सत्यापन किया गया जबकि
* 25 हजार 588 घरों का सत्यापन किया जाना शेष है लेकिन
*1 लाख 77 हज़ार 51 घरों के सत्यापन में ही 46 हजार 292 शौचालय अनुपयोगी या किसी भी काम के नहीं पाए गए।

क्या हैं कमियां--
बहुत से सौचालय में सीट गायब है तो किसी ने टंकी है ही नहीं, या नहीं लगाई गई,तो कहीं दरवाजे नहीं है,छत नहीं या फिर शौचालय इस हाल में ही नहीं है कि उनका उपयोग किया जा सके दूसरी तरफ यदि सौचालय पूरी तरह बन भी गये तो उनका टैंक कम्प्लीट नहीं या फिर कनेक्शन ही नही हुआ है।

कैसे होता है सत्यापन--

बता दें कि शौचालय के सत्यापन की प्रक्रिया शासन के द्वारा काफी कड़ी रखी गई है बनाए गए शौचालयों को पोर्टल में अपडेट करने के लिए हितग्राही की तस्वीर नाम के साथ पोर्टल पर अपडेट की जाती है इसके साथ ही सेटेलाइट से जियो टैगिंग होती है एक शौचालय के निर्माण की पुष्टि के लिए हितग्राही के बाद सरपंच,सचिव, रोजगार सहायक से लेकर सीओ तक के हस्ताक्षर और पुष्टि की जरूरत पड़ती है ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे जिले में इतनी बड़ी संख्या में शौचालयों में गड़बड़ी कर दी गई इसके लिए कहीं न कहीं पूरा सिस्टम ही जिम्मेदार कहा जा सकता है जिसे शायद शौचालय के निर्माण का सत्यापन से ज्यादा जरूरी ओडीएफ का प्रमाण पत्र पाना जरूरी था।


Conclusion:मण्डला जिले में बड़ी संख्या में सौचालय निर्माण में हुई गड़बड़ियों को लेकर प्रशासन के अपने तर्क है और कार्यवाही की बात भी कही जा रही हैं लेकिन जिन ग्रामीणों के घरों पर शौचालय आधे अधूरे बने हैं या फिर बने ही नही हैं उन्हें ओडीएफ प्रमाणपत्र की शाबासी से ज्यादा इंतजार है इस बात का की कब खेत खलिहान और सड़क किनारे सौच जाने से मुक्ति मिले वहीं मोदी का सपना क्या इन आंकड़ों से सच होगा यह भी सबसे बड़ा सवाल है।

बाईट--मुन्नीबाई, निवासी मारार टोला
बाईट--राजकुमारी मारार टोला
बाईट--संतोष कुमार कछवाहा,उपसरपंच मारार टोला
बाईट--तन्वी हुड्डा,सीईओ जिला पंचायत मण्डला
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