मंडला। जिले के बम्हनी में रहने वाली कविता विश्वकर्मा ने कभी आर्ट की ट्रेनिंग नहीं ली लेकिन बांस से वो ऐसी चीजें बनाती हैं कि इनकी कला को प्रदेश की राजधानी से लेकर देश के दिल तक तक हर जगह सराहना मिल चुकी है.
बांस के गुलदस्ते हों या फिर जहाज से लेकर दूसरी सजावटी चीजें बनाने में कविता विश्वकर्मा को महारत हासिल है. ताज्जुब की बात ये कि कविता ने इन सबकी कहीं ना तो ट्रेनिंग ली ना ही कभी किसी कलाकार से सीखा है. कविता के पति जब लकड़ी और बांस पर कलाकारी करते थे तो उन्हें देखकर कविता ने बांस को आकार देना शुरू कर दिया.
कविता इतनी बारीकी के काम करती हैं कि जो भी देखे बस देखता रह जाए. इस काम में उनका बेटा भी उनकी मदद करता है.वहीं उनके पति लकड़ी से दूसरी तरह के सजावटी सामान बनाते हैं. कविता का कहना है कि दोनों के काम मे कोई दखल नहीं देता. दोनों अपनी रुचि और सोच को अलग-अलग तरह से आकार देते हैं, कविता दिल्ली, जयपुर, भोपाल जैसी जगहों पर लगने वाले आर्ट एंड क्राफ्ट मेलों में भी हिस्सा लेती हैं और उन्हें भोपाल में सम्मान भी मिल चुका है.
उनका कहना है कि सरकारी मदद नहीं मिल पाने के चलते की परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि कच्चा माल समय पर उपलब्ध नहीं हो पाता. वहीं मेहनत की लिहाज से लोग मेहनताना भी नहीं देना चाहते.