मंडला। जिले का सब्जी बाजार एक ऐसी पहेली है, जिसे आज तक कोई समझ नहीं पाया कि ये वैध है या फिर अवैध, ये बाजार उस सड़क पर कई दशक से लग रहा है, जो अस्पताल आने-जाने वालों की सुविधा के लिए बनाई गई थी, दूसरी तरफ सब्जी दुकानदारों से पर्ची काट कर की जी रही वसूली, अतिक्रमण को मौन समर्थन दे रही है. इससे परेशान हर कोई है, लेकिन नगर पालिका के पास इस मर्ज की कोई दवा भी नहीं है
मंडला का सड़क पर लगने वाला सब्जी बाजार जिला अस्पताल आने-जाने वालों के वाहन और एम्बूलेंस के निकलने के काबिल तो क्या, पैदल चलने वालों के लिए भी बाधा बनता है और जिले भर से आने वाले मरीजों को बढ़ चौराहा और उदय चौक के जाम भरे रास्ते से आना-जाना होता है.
दुकानदारों की समस्याएं-
थोक व्यापारी हों या फिर टोकनी में सब्जी बेचने वाले छोटे दुकानदार, सभी बताते हैं कि, उनसे हर रोज पर्ची काट कर पैसे तो लिए जाते हैं, लेकिन हर मौसम की उन्हें मार झेलनी पड़ती है, बिजली, टीन सेड, टॉयलेट, पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की तरफ न तो ठेकेदार, और न ही नगर पालिका कभी ध्यान देती है. वहीं पार्किंग न होने से सब्जी लाने ले जाने वाले और ग्राहकों के वाहन सड़क पर खड़े रहते हैं, साथ ही मवेशियों की भी हमेशा धमाचौकड़ी लगी रहती है.
व्यवस्था बनाने में विफल नगर पालिका-
हमेशा से ही सड़क पर लगने वाले सब्जी बाजार को व्यवस्थित करने में नगर पालिका आज तक विफल ही है. जिसके साथ सबसे बड़ी परेशानी ये है कि, सड़क पर लग रहे बाजार के लिए वो जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं करा सकती, क्योंकि सुविधाएं दी जाती हैं, तो ये सब्जी बाजार वैध माना जाएगा. दूसरी तरफ नगर पालिका क्षेत्र में दुकान लगाने वालों से वसूली का ठेका देकर कहीं न कहीं किए गए अतिक्रमण को बढ़ावा ही दिया जा रहा है.
क्या कहती हैं नपाध्यक्ष-
नगर पालिका अध्यक्ष पूर्णिमा शुक्ला का कहना है कि, सब्जी बाजार का ठेका 23 जून को दिया जाना है, वहीं सुविधाओं को दुरुस्त करने की बात भी उनके द्वारा कही गयी. वहीं उन्होंने खुद माना कि, ये अस्पताल के आवागमन की सुविधा के लिए बनाई गई सड़क है, जिस पर अतिक्रमण है, लेकिन ठेका देकर की जा रही नगर पालिका द्वारा वसूली पर उन्होंने बस यही कहा कि, कोशिश की जा रही कि शहर में कृषि उपज मंडी के स्थान पर सब्जी बाजार को शिफ्ट किया जाए.
कितने हैं दुकानदार-
सुपर मार्केट के करीब मुख्य सब्जी बाजार जो भीतर हैं या फिर सड़क पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों की हर रोज संख्या करीब 450 रहती है. जबकि ये संख्या रविवार को 700 तक पहुंच जाती है. शहर की व्यवस्था के साथ ही सुंदरता को बनाने की जिम्मेदारी निश्चित तौर पर नगर पालिका प्रशासन की है, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी जिले को एक सुव्यवस्थित सब्जी बाजार उपलब्ध न करा पाना ये व्यपारियों और दुकानदारों के लिए मुसीबत का सबब है. वहीं ग्राहकों के साथ ही जिला अस्पताल आने जाने वालों को हो रही असुविधाओं के लिए सीधे तौर पर नगर पालिका प्रशासन ही जिम्मेदार है.