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मण्डला में कुपोषण का आंकड़ा सरकारी योजनाओं और जागरूकता अभियान की उड़ा रहा धज्जियां

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Published : Nov 6, 2019, 3:00 AM IST

Updated : Nov 6, 2019, 7:53 AM IST

मण्डला जिले में 17 प्रतिशत कुपोषण हैं. ये आंकड़ा लगातार लाखों रुपए खर्च कर चलाई जा रही सरकारी योजनाओं और जागरूकता अभियान की धज्जियां उड़ा रहा है.

मण्डला में कुपोषण का आंकड़ा

मण्डला। जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग कुपोषण दूर करने के लिए अभियान चलाए जाने के दावे तो बहुत करता है, लेकिन जब भी आंकड़े पर बात की जाती है, तो ये सारे दावे जमीनी हकीकत बयां कर देते हैं. जिले में अब भी 0 से 5 साल के बच्चों का पीछा कुपोषण नहीं छोड़ रहा है.

मण्डला जिले में कुल 2304 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें 4608 कार्यकर्ता और सहायिकाएं काम करती हैं. जिनकी निगरानी के लिए 78 सुपरवाइजर और 9 ब्लॉक में 9 परियोजना अधिकारी हैं. इन पर जिम्मेदारी है 0 से 5 साल के बच्चों को पूरक पोषण आहार खिलाने और उनके स्वास्थ्य की नियमित जांच कराने की. साथ ही इनका काम बीमारियों को लेकर ग्रामीणों को जागरूक करना भी है, लेकिन इतने बड़े अमले के बाद भी मण्डला जिले में 17 प्रतिशत आबादी कुपोषण है, जो लगातार लाखों रुपए खर्च कर चलाई जा रही सरकारी योजनाओं और जागरूकता अभियान की धज्जियां उड़ाने के लिए काफी है.

मण्डला में कुपोषण का आंकड़ा

जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी प्रशान्त दीप सिंह ठाकुर इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों तक अवेयरनेस नहीं पहुंचने की बात स्वीकारते हैं और कुपोषण के लिए फ्लोराइड वाले पानी को भी दोषी ठहराने से नहीं चूकते, तो सत्ताधारी दल के विधायक जो खुद पेशे से डॉक्टर हैं, उनका कहना है कि जो भी कार्यक्रम आयोजित होते हैं, वो जिला मुख्यालय में होते हैं, जबकि इन्हें हर गांव की आंगनबाड़ी केंद्र में किया जाए, तो गांववालों में जागरूकता आएगी और कुपोषण कम किया जा सकेगा. कुपोषण राहत के लिए एनआरसी सेंटर पर भी भीड़ लग रही है.

मण्डला। जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग कुपोषण दूर करने के लिए अभियान चलाए जाने के दावे तो बहुत करता है, लेकिन जब भी आंकड़े पर बात की जाती है, तो ये सारे दावे जमीनी हकीकत बयां कर देते हैं. जिले में अब भी 0 से 5 साल के बच्चों का पीछा कुपोषण नहीं छोड़ रहा है.

मण्डला जिले में कुल 2304 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें 4608 कार्यकर्ता और सहायिकाएं काम करती हैं. जिनकी निगरानी के लिए 78 सुपरवाइजर और 9 ब्लॉक में 9 परियोजना अधिकारी हैं. इन पर जिम्मेदारी है 0 से 5 साल के बच्चों को पूरक पोषण आहार खिलाने और उनके स्वास्थ्य की नियमित जांच कराने की. साथ ही इनका काम बीमारियों को लेकर ग्रामीणों को जागरूक करना भी है, लेकिन इतने बड़े अमले के बाद भी मण्डला जिले में 17 प्रतिशत आबादी कुपोषण है, जो लगातार लाखों रुपए खर्च कर चलाई जा रही सरकारी योजनाओं और जागरूकता अभियान की धज्जियां उड़ाने के लिए काफी है.

मण्डला में कुपोषण का आंकड़ा

जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी प्रशान्त दीप सिंह ठाकुर इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों तक अवेयरनेस नहीं पहुंचने की बात स्वीकारते हैं और कुपोषण के लिए फ्लोराइड वाले पानी को भी दोषी ठहराने से नहीं चूकते, तो सत्ताधारी दल के विधायक जो खुद पेशे से डॉक्टर हैं, उनका कहना है कि जो भी कार्यक्रम आयोजित होते हैं, वो जिला मुख्यालय में होते हैं, जबकि इन्हें हर गांव की आंगनबाड़ी केंद्र में किया जाए, तो गांववालों में जागरूकता आएगी और कुपोषण कम किया जा सकेगा. कुपोषण राहत के लिए एनआरसी सेंटर पर भी भीड़ लग रही है.

Intro:मण्डला जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा कुपोषण दूर करने के लिए अभियान चलाए जाने के दावे तो बहुत किये जाते हैं लेकिन जब भी आँकड़े पर बात की जाती है तो ये सारे दावे जमीनी हकीकत बयाँ कर देते हैं कि जिले में अब भी 0 से 5 साल के बच्चों का पीछा कुपोषण नहीं छोड़ रहा


Body:मण्डला जिले में कुल 2304 आंगनवाड़ी हैं जिनमे 4608 कार्यकर्ता और सहायिकाएं काम करती हैं जिनकी निगरानी के लिए 78 सुपरवाइजर और 9 ब्लॉक में 9 परियोजना अधिकारी हैं इन पर जिम्मेदारी है 0 से 5 साल के बच्चों को पूरक पोषण आहार खिलाएं साथ ही उनके स्वास्थ्य की भी नियमित जाँच कराई जाए और बीमारियों को लेकर ग्रामीणों को जागरूक करें इतने बड़े अमले के बाद भी मण्डला जिले में कुपोषण 17 प्रतिशत है जो की लगातार लाखों रुपये खर्च कर चलाई जा रही सरकारी योजनाओं और जागरूकता अभियान की जमीनी हकीकत को समझाने के लिए काफी है।मण्डला जिले में आंगनबाड़ी में कुल बजन किए 85215 बच्चों में कम वजन (कुपोषित) वाले बच्चों की संख्या 14489 है जबकि अतिकम बजन (अतिकुपोषित) वाले बच्चों की संख्या 1170 है जो कि जिले के लिहाज से बड़ी चिंता का विषय हैं क्योंकि कुपोषण का शिकार 100 में से 17 बच्चे हैं जबकि 1 बच्चा अतिकुपोषित है ऐसे में समझा जा सकता है कि जागरूकता अभियान या फिर सरकारी योजनाओं का जमीनी स्तर पर ठीक से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा।जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी प्रशान्त दीप सिंह ठाकुर इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों तक अवेयरनेस नहीं आ पाने की बात स्वीकारते हैं और कुपोषण के लिए फ्लोराइड वाले पानी को भी दोषी ठहराने से नही चूकते, तो सत्ताधारी दल के विधायक जो खुद पैसे से डॉक्टर हैं उनका कहना है कि जो भी कार्यक्रम आयोजित होते हैं वे जिला मुख्यालय में होते हैं जबकि इन्हें हर गाँव की आंगनबाड़ी में किया जाए तो ग्रामीण क्षेत्र में जगरूकता आएगी और कुपोषण कम किया जा सकेगा साथ ही वे विभाग की कार्यप्रणाली को कटघरे में लाकर खड़ा करते हैं


Conclusion:17 प्रतिशत बच्चों का कुपोषण से शिकार होना सरकारी योजनाओं के फैल होने के साथ ही यह दर्शाता है कि इसे लेकर जिम्मदार गंभीर नहीं और कुपोषण राहत के लिए एनआरसी सेन्टर पर भीड़ लग रही वहीं पैसे फजूल ही खर्च हो रहे जब आंकड़ों में सुधार ही नही देखा जा रहा।

बाईट--प्रशांत दीप ठाकुर,जिला महिला बाल विकास अधिकारी
बाईट--डॉ अशोक मर्सकोले,विधायक निवास विधानसभा क्षेत्र।
Last Updated : Nov 6, 2019, 7:53 AM IST
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