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'साल में एक बार अगर पिहरी नहीं खाया तो कुछ नहीं खाया', जानें क्यों खास है मंडला का ये मशरूम

मंडला में रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ ही पोषक तत्वों की भरमार वाले खास प्रजाती के मशरूम की जमकर मांग होती है. इस मशरूम की कीमत हजार रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है.

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Published : Aug 22, 2019, 4:31 AM IST

special mushroom sells thousand rupees kg in mandla

मंडला। मंडला में कहावत है, 'साल में एक बार अगर पिहरी नहीं खाया तो कुछ नहीं खाया' पिहरी मशरूम की एक प्रजाति है, जिसकी मांग इन दिनों जोरों पर होती है, इसे क्षेत्रीय भाषा में पुटपुटा भी कहा जाता है. मांग ऐसी की इसकी कीमत 600 रुपये किलो से लेकर एक हजार रुपये किलो तक पहुंच जाती है. इसके बाबजूद भी इस खास मशरूम के शौकीनों की कमी नहीं है.

मंडला का खास मशरूम
ये मशरूम खासतौर से मानसून में मंडला के कुछ इलाकों में ही होता है. ज्यादातर मशरूम छतरी की तरह दिखाई देती है लेकिन इसकी दूसरी प्रजाति भी होती है जो गोल होती है और इसी मशरूम की मांग जमकर है. इस मशरूम की कोई खेती नहीं होती, ये खुद व खुद बारिश के मौसम में उग आता है. ये कार्बनिक पदार्थों की अधिकता वाले स्थानों में उगता है.


पिहरी और पुटपुटा प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट से भरपूर है. इसमें क्लोरोफिल नहीं होता, जिसके कारण ये हरे रंग के नहीं होते. इनकी पौष्टिकता अन्य सब्जियों के मुकाबले लगभग 23 गुना ज्यादा होती है.


जानकारों का कहना है कि इसमें रोगप्रतिरोधक क्षमता के साथ ही पोषक तत्वों की भरमार होती है, इसकी 100 से ज्यादा प्रजाती हैं, जिनमें से लगभग दर्जन भर खाने योग्य हैं बाकी जहरीली होती हैं. जिनके सेवन से लकवा, दिल का दौरा पड़ सकता है और मौत का भी कारण बन सकती हैं.

मंडला। मंडला में कहावत है, 'साल में एक बार अगर पिहरी नहीं खाया तो कुछ नहीं खाया' पिहरी मशरूम की एक प्रजाति है, जिसकी मांग इन दिनों जोरों पर होती है, इसे क्षेत्रीय भाषा में पुटपुटा भी कहा जाता है. मांग ऐसी की इसकी कीमत 600 रुपये किलो से लेकर एक हजार रुपये किलो तक पहुंच जाती है. इसके बाबजूद भी इस खास मशरूम के शौकीनों की कमी नहीं है.

मंडला का खास मशरूम
ये मशरूम खासतौर से मानसून में मंडला के कुछ इलाकों में ही होता है. ज्यादातर मशरूम छतरी की तरह दिखाई देती है लेकिन इसकी दूसरी प्रजाति भी होती है जो गोल होती है और इसी मशरूम की मांग जमकर है. इस मशरूम की कोई खेती नहीं होती, ये खुद व खुद बारिश के मौसम में उग आता है. ये कार्बनिक पदार्थों की अधिकता वाले स्थानों में उगता है.


पिहरी और पुटपुटा प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट से भरपूर है. इसमें क्लोरोफिल नहीं होता, जिसके कारण ये हरे रंग के नहीं होते. इनकी पौष्टिकता अन्य सब्जियों के मुकाबले लगभग 23 गुना ज्यादा होती है.


जानकारों का कहना है कि इसमें रोगप्रतिरोधक क्षमता के साथ ही पोषक तत्वों की भरमार होती है, इसकी 100 से ज्यादा प्रजाती हैं, जिनमें से लगभग दर्जन भर खाने योग्य हैं बाकी जहरीली होती हैं. जिनके सेवन से लकवा, दिल का दौरा पड़ सकता है और मौत का भी कारण बन सकती हैं.

Intro:मण्डला जिले की सब्जी बाज़ारों में इन दिनों पिहरी और पुटपुटा जो कि मशरूम हैं उनकी खाशी डिमांड है और आलम यह है कि इसकी कीमत 600 रुपये किलो से लेकर 1 हज़ार किलो तक है बाबजूद इसके शौकीनों की कमी नहीं और लोगों की भीड़ बता रही कि कितनी पसंदीदा है यह सब्जी


Body:मानसून सीजन में और निश्चित क्षेत्रों में ही मण्डला जिले की सबसे महँगी सब्जी ग्रामीणों के द्वारा बाज़ारों तक लायी जाती है औऱ जैसे ही इसकी आमाद होती है सारे ग्राहकों की भीड़ इसके इर्दगिर्द ही आ जाती है,लोगों के द्वारा इसे महंगी कीमत के बावजूद भी खरीदा जाता है और यही कारण है कि प्रति किलो इस सब्जी की कीमत 600 रुपये से लेकर एक हज़ार रुपए तक होता है,ग्रामीणों के द्वारा इसे पिहरी कहा जाता है जो एक छतरी की तरह दिखाई देती है जिसकी दूसरी प्रजाति जो गोल होती है उसे पुटपुटा कहा जाता है और यह प्राकृतिक मशरूम है,मण्डला जिले में कहावत है कि साल में एक बार अगर पिहरी नहीं खाया तो कुछ नहीं खाया जो इसकी पसन्द करने वालों की दीवानगी को बयां करती है,वहीं जब इसकी दीवानगी और पसन्द के बारे में जब हमने जानकारों की राय जानी तो पता चला कि इसके गुणों और रोगप्रतिरोधक छमता के साथ ही पोष्टिक तत्वों की भरमार इसे कीमती बनाती है और बीमारों के लिए तो जैसे यह रामबाण सा काम करती है,वहीं इसकी लगभग दर्जन भर प्रजाति हैं जो खाने योग्य है जबकि 100 से ज्यादा मशरूम जहरीली होती हैं जिन्हें गलती से खा लिया गया तो लकवा,ह्रदयाघात और मौत का भी ये कारण बन सकती हैं


Conclusion:प्रोटीन,विटामिन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर यह मशरूम फंजाई हैं जिनमे कोलोरोफिल नहीं होता इसके चलते ये हरे रंग की नहीं होती,लेकिन इनकी पौष्टिकता अन्य खाद्य पदार्थों के मुकाबले लगभग 23 गुना ज्यादा होती हैं वहीं ढाई किलो मीट या फिर इतने ही दर्जन अंडे के बराबर एक किलो मशरूम से मिलता है,जिनकी उतपत्ति कार्बनिक पदार्थों की अधिकता वाले स्थानों में होती है,

बाईट--अर्जुन कछवाहा,विक्रेता
बाईट--डॉ रमा गुप्ता
एसोसिएट प्रोफ़ेसर मण्डला कॉलेज
बाईट--डॉ सीमा शर्मा
एसोसिएट प्रोफ़ेसर मण्डला कॉलेज
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