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मंडला: प्रवासी मजदूरों को लाने में सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ रही धज्जियां

मंडला जिले में देर रात एक बस जबलपुर की तरफ से आ रही थी, जिसको डोभी चेक पोस्ट पर रोका गया. जिसमें भेड़ बकरियों की तरह मजदूर भरे हुए थे. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना से बचाव की धज्जियां उड़ती हुई नजर आई.

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Published : May 15, 2020, 3:52 PM IST

Flying flags of social distancing to bring in migrant laborers
प्रवासी मजदूरों को लाने में सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ रही धज्जियां

मंडला। कोरोना वायरस से बचाव के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मास्क लगाना अनिवार्य किया है, लेकिन बाहरी राज्यों और जिलों से मजदूरों को लाने वाले वाहनों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होते नजर नहीं आ रहा है. ऐसा ही मामला मंडला जिले के डोभी चैक पोस्ट पर देखने को मिला है. जहां देर रात एक बस जबलपुर की तरफ से आ रही थी, जिसको डोभी चैक पोस्ट पर रोक दिया गया तो उसमें भेड़ बकरियों की तरह मजदूर भरे हुए थे. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना से बचाव की धज्जियां उड़ती हुई नजर आई.

जब इस मामले में बस के ड्राइवर से पूछा गया तो उसका कहना था कि मैं इन सभी को दीनदयाल बस स्टैंड से लेकर आया हूं, मेरी कोई गलती नहीं है. जबलपुर के अधिकारियों ने जबरजस्ती क्षमता से अधिक सवारी बिठा दी हैं.

वहीं जब बस में बैठे मजदूरों से पूछा गया कि आप लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन क्यों नहीं कर रहें है, तो उनका कहना था कि उन्हें बस स्टैंड पर बोला गया कि अब कोई बस नही हैं. आपको अपने जिले तक जाना हैं तो इसी में बैठकर जाओ, इस लिए वे लोग इसी में बैठ गए.

अब सवाल ये उठता है कि जिन लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. अगर वहीं जिम्मेदार लोग इस तरह लापरवाही करेंगे तो आम जनता इसका पालन कैसे करेगी. जबकि इस बस में बैठे हुए मजदूर महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा से आए हुए थे.

मंडला। कोरोना वायरस से बचाव के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मास्क लगाना अनिवार्य किया है, लेकिन बाहरी राज्यों और जिलों से मजदूरों को लाने वाले वाहनों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होते नजर नहीं आ रहा है. ऐसा ही मामला मंडला जिले के डोभी चैक पोस्ट पर देखने को मिला है. जहां देर रात एक बस जबलपुर की तरफ से आ रही थी, जिसको डोभी चैक पोस्ट पर रोक दिया गया तो उसमें भेड़ बकरियों की तरह मजदूर भरे हुए थे. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना से बचाव की धज्जियां उड़ती हुई नजर आई.

जब इस मामले में बस के ड्राइवर से पूछा गया तो उसका कहना था कि मैं इन सभी को दीनदयाल बस स्टैंड से लेकर आया हूं, मेरी कोई गलती नहीं है. जबलपुर के अधिकारियों ने जबरजस्ती क्षमता से अधिक सवारी बिठा दी हैं.

वहीं जब बस में बैठे मजदूरों से पूछा गया कि आप लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन क्यों नहीं कर रहें है, तो उनका कहना था कि उन्हें बस स्टैंड पर बोला गया कि अब कोई बस नही हैं. आपको अपने जिले तक जाना हैं तो इसी में बैठकर जाओ, इस लिए वे लोग इसी में बैठ गए.

अब सवाल ये उठता है कि जिन लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. अगर वहीं जिम्मेदार लोग इस तरह लापरवाही करेंगे तो आम जनता इसका पालन कैसे करेगी. जबकि इस बस में बैठे हुए मजदूर महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा से आए हुए थे.

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