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इस जिला अस्पताल में मरीज के साथ डॉक्टर भी हैं परेशान... जानिए क्यों - केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते

मंडला जिले की स्वास्थ्य सुविधाएं भगवान भरोसे ही चल रही हैं, यहां जिला अस्पताल में 39 की जगह महज 4 डॉक्टरों को ही अस्पताल संभालना पड़ रहा है.

Shortage of doctors in Mandla district hospital facility in trouble
जिला अस्पताल में डॉक्टर नहीं, कैसे हो इलाज ?
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Published : Jan 4, 2020, 8:43 PM IST

Updated : Jan 4, 2020, 11:00 PM IST

मंडला। जिला अस्पताल के लिए साल 2019 भी बीते साल जैसे ही गुजरा. यहां चिकित्सा सुविधाएं पूरी तरह से बदहाल रहीं और मरीजों को वो इलाज नहीं मिल पाया, जिसकी उम्मीद लेकर वो आते हैं. बात डॉक्टरों की करें तो वे भी दिन-रात की ड्यूटी और ओवरटाइम से तंग आ चुके हैं, क्योंकि जितने डॉक्टर यहां होने चाहिए उसके एक तिहाई भी उपलब्ध नहीं हैं.

जिला अस्पताल में डॉक्टर नहीं, कैसे हो इलाज ?

जिले के ग्रामीण इलाकों से लोग जिला मुख्यालय के सबसे बड़े अस्पताल में ये सोचकर आते हैं कि यहां चिकित्सा सुविधाएं बेहतर होगीं, लेकिन चिकित्सकों और बाकी के स्टाफ की कमी से जूझ रहे जिला चिकित्सालय तो बीते कई सालों से खुद ही बीमार चल रहा है.

जिला चिकित्सालय के लिए 39 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं लेकिन सिर्फ 9 डॉक्टर ही यहां सेवा दे रहे हैं, जिनमें से एक मैटरनिटी लीव पर हैं तो एक अन्य चिकित्सक निजी कारणों से छुट्टी पर हैं. दो अन्य डॉक्टर फील्ड के लिए ट्रांसफर किये जा चुके हैं. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि महज 4 डॉक्टर के भरोसे जिले का ये अस्पताल चल रहा है. जिन्हें पोस्टमार्टम, ओपीडी और न्यायालय की पेशियां भी संभालनी होती हैं.

कुल मिलाकर यहां की व्यवस्थाएं डॉक्टरों की कमी के कारण भगवान भरोसे चल रही हैं. जिला अस्पताल में गिनती के डॉक्टर भी ओव्हरटाइम कर-कर के तंग आ चुके हैं, क्योंकि कई बार तो उन्हें नाइट शिफ्ट करने के बाद दिन में भी सेवाएं देनी पड़ती हैं.

मंडला के इस बदहाल अस्पताल का दौरा केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते, राज्यसभा सांसद संपतिया उइके से लेकर विधायक और संभागायुक्त भी एक नहीं कई बार कर चुके हैं और भरोसा भी दिलाया कि अस्पताल को जल्द ही दुरस्त कर दिया जाएगा और चिकित्सकों की भर्ती भी की जाएगी. लेकिन कई साल बीतने के बाद भी ये अस्पताल बीमार का बीमार ही है.

मंडला। जिला अस्पताल के लिए साल 2019 भी बीते साल जैसे ही गुजरा. यहां चिकित्सा सुविधाएं पूरी तरह से बदहाल रहीं और मरीजों को वो इलाज नहीं मिल पाया, जिसकी उम्मीद लेकर वो आते हैं. बात डॉक्टरों की करें तो वे भी दिन-रात की ड्यूटी और ओवरटाइम से तंग आ चुके हैं, क्योंकि जितने डॉक्टर यहां होने चाहिए उसके एक तिहाई भी उपलब्ध नहीं हैं.

जिला अस्पताल में डॉक्टर नहीं, कैसे हो इलाज ?

जिले के ग्रामीण इलाकों से लोग जिला मुख्यालय के सबसे बड़े अस्पताल में ये सोचकर आते हैं कि यहां चिकित्सा सुविधाएं बेहतर होगीं, लेकिन चिकित्सकों और बाकी के स्टाफ की कमी से जूझ रहे जिला चिकित्सालय तो बीते कई सालों से खुद ही बीमार चल रहा है.

जिला चिकित्सालय के लिए 39 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं लेकिन सिर्फ 9 डॉक्टर ही यहां सेवा दे रहे हैं, जिनमें से एक मैटरनिटी लीव पर हैं तो एक अन्य चिकित्सक निजी कारणों से छुट्टी पर हैं. दो अन्य डॉक्टर फील्ड के लिए ट्रांसफर किये जा चुके हैं. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि महज 4 डॉक्टर के भरोसे जिले का ये अस्पताल चल रहा है. जिन्हें पोस्टमार्टम, ओपीडी और न्यायालय की पेशियां भी संभालनी होती हैं.

कुल मिलाकर यहां की व्यवस्थाएं डॉक्टरों की कमी के कारण भगवान भरोसे चल रही हैं. जिला अस्पताल में गिनती के डॉक्टर भी ओव्हरटाइम कर-कर के तंग आ चुके हैं, क्योंकि कई बार तो उन्हें नाइट शिफ्ट करने के बाद दिन में भी सेवाएं देनी पड़ती हैं.

मंडला के इस बदहाल अस्पताल का दौरा केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते, राज्यसभा सांसद संपतिया उइके से लेकर विधायक और संभागायुक्त भी एक नहीं कई बार कर चुके हैं और भरोसा भी दिलाया कि अस्पताल को जल्द ही दुरस्त कर दिया जाएगा और चिकित्सकों की भर्ती भी की जाएगी. लेकिन कई साल बीतने के बाद भी ये अस्पताल बीमार का बीमार ही है.

Intro:2019 मण्डला के जिला अस्पताल के लिए बीते सालों जैसे ही गुजरा यहाँ चिकित्सा सुविधाएं पूरी तरह से बदहाल रहीं और लोगों को वो इलाज नहीं मिल पाया जिसकी उम्मीद लेकर वे आते हैं वहीं बात चिकित्सकों की करें तो वे भी दिन रात की ड्यूटी कर तंग आ गए हैं क्योंकि जितने डॉक्टर यहाँ होने चाहिए उसके एक तिहाई भी नहीं हैं


Body:मण्डला जिले के ग्रामीण इलाकों से लोग जिला मुख्यालय के सबसे बड़े अस्पताल में ये सोच कर आते हैं कि यहाँ चिकित्सा सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले बेहतर होंगीं लेकिन चिकित्सकों और बाकी के स्टाफ की कमी से जूझ रहे जिला चिकित्सालय तो बीते कई सालों से खुद ही बीमार चल रहा है वो इन बीमारों और ग्रामीणों की उम्मीदों पर भला कैसे खरा उतर सकता है,बात करें यहाँ डॉक्टरों के स्वीकृत पदों की तो जिला चिकित्सालय के लिए 39 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं लेकिन सिर्फ 9 डॉक्टर ही यहाँ सेवा दे रहे जिनमे से एक मैटरनिटी लीव पर हैं तो एक अन्य चिकित्सक निजी कारणों से छुट्टी पर हैं वहीं दो अन्य चिकित्सक फील्ड के लिए ट्रांसफर किये जा चुके हैं ऐसे में यह कहा जा सकता है कि महज 4 डॉक्टर के भरोसे जिले का यह अस्पताल चल रहा जिन्हें,पोस्टमार्टम, ओपीडी और न्यायालय की पेशियां भी सम्हालनी होती हैं जिसके चलते जहाँ चिकित्सा सुविधा बदहाल हैं वहीं चिकित्सक भी ओव्हर टाइम कर कर के तंग आ चुके हैं क्योकि कई बार तो उन्हें नाइट शिफ्ट करने के बाद दिन में भी सेवाएं देनी होती हैं


Conclusion:मण्डला के बदहाल अस्पताल का दौरा केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते,राज्यसभा सांसद सम्पतिया उइके से लेकर विधायक और संभागायुक्त भी एक नहीं बहुत बार कर चुके हैं और सबने भरोसा भी कई बार दिलाया कि इस अस्पताल को जल्द ही दुरस्त कर दिया जाएगा और चिकित्सकों की भर्ती भी की जाएगी लेकिन कई साल बीतने के बाद भी अस्पताल बीमार का बीमार ही है।

बाईट--डॉ राकेश खरे,सिविल सर्जन जिला चिकित्सालय
बाईट--डॉ सुमित सिंगौर,चिकित्सा अधिकारी
बाईट--डॉ अशोक मर्सकोले विधायक निवास विधानसभा
Last Updated : Jan 4, 2020, 11:00 PM IST
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