मंडला। जिला अस्पताल के लिए साल 2019 भी बीते साल जैसे ही गुजरा. यहां चिकित्सा सुविधाएं पूरी तरह से बदहाल रहीं और मरीजों को वो इलाज नहीं मिल पाया, जिसकी उम्मीद लेकर वो आते हैं. बात डॉक्टरों की करें तो वे भी दिन-रात की ड्यूटी और ओवरटाइम से तंग आ चुके हैं, क्योंकि जितने डॉक्टर यहां होने चाहिए उसके एक तिहाई भी उपलब्ध नहीं हैं.
जिले के ग्रामीण इलाकों से लोग जिला मुख्यालय के सबसे बड़े अस्पताल में ये सोचकर आते हैं कि यहां चिकित्सा सुविधाएं बेहतर होगीं, लेकिन चिकित्सकों और बाकी के स्टाफ की कमी से जूझ रहे जिला चिकित्सालय तो बीते कई सालों से खुद ही बीमार चल रहा है.
जिला चिकित्सालय के लिए 39 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं लेकिन सिर्फ 9 डॉक्टर ही यहां सेवा दे रहे हैं, जिनमें से एक मैटरनिटी लीव पर हैं तो एक अन्य चिकित्सक निजी कारणों से छुट्टी पर हैं. दो अन्य डॉक्टर फील्ड के लिए ट्रांसफर किये जा चुके हैं. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि महज 4 डॉक्टर के भरोसे जिले का ये अस्पताल चल रहा है. जिन्हें पोस्टमार्टम, ओपीडी और न्यायालय की पेशियां भी संभालनी होती हैं.
कुल मिलाकर यहां की व्यवस्थाएं डॉक्टरों की कमी के कारण भगवान भरोसे चल रही हैं. जिला अस्पताल में गिनती के डॉक्टर भी ओव्हरटाइम कर-कर के तंग आ चुके हैं, क्योंकि कई बार तो उन्हें नाइट शिफ्ट करने के बाद दिन में भी सेवाएं देनी पड़ती हैं.
मंडला के इस बदहाल अस्पताल का दौरा केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते, राज्यसभा सांसद संपतिया उइके से लेकर विधायक और संभागायुक्त भी एक नहीं कई बार कर चुके हैं और भरोसा भी दिलाया कि अस्पताल को जल्द ही दुरस्त कर दिया जाएगा और चिकित्सकों की भर्ती भी की जाएगी. लेकिन कई साल बीतने के बाद भी ये अस्पताल बीमार का बीमार ही है.