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बदहाल सड़क का किसी को नहीं ख्याल, सेमरखापा गांव की हालत खस्ताहाल, हर ओर गड्ढों का जाल

मंडला जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर सेमरखापा गांव में डेढ़ साल पहले बनी सड़क जर्जर अवस्था में है. जहां केवल गड्ढे ही दिखाई देते हैं, ऐसे में इस सड़क पर ग्रामीणों का पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है. देखिए पूरी खबर...

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Published : Jul 30, 2020, 6:27 AM IST

Decaying road
खस्ताहाल सड़क

मंडला। ग्रामीणों में हो रहे विकास कार्य को घटिया निर्माण कहे, भ्रष्टाचार कहें या फिर ग्रामीणों की फूटी किस्मत का नमूना कहें, जहां विकास तो होता है, लेकिन वो लापरवाही की भेंट चढ़ जाती है. मामला मंडला जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर सेमरखापा गांव का है. यहां की सड़क महज डेढ़ साल पहले ही बनी थी, लेकिन अब यहां केवल गड्ढे ही दिखाई देते हैं, जिसमें ग्रामीणों का पैदल चलना भी मुमकिन नहीं है.

डेढ़ साल में ही बर्बाद हुई सड़क

सेमरखापा गांव की जनसंख्या करीब डेढ़ हजार के आसपास है, जहां आने जाने वालों का एक ही मुख्यमार्ग है, जो आगे के बहुत से गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ती है. बीते डेढ़ साल पहले प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत इस सड़क को बनाया गया था, जो बमुश्किल 6 महीने ही दुरुस्त रहा, इसके बाद सड़क के परखच्चे उड़ने लगे, जो बारिश के आते-आते गड्ढों में तब्दील हो गया है. अब यह अंदाजा लगाना ही मुश्किल हो गया कि सड़क पर गड्ढे हैं या फिर गड्ढों में सड़क है.

Water fills in the pits
गड्ढों में भर जाता है पानी

हमेशा बनी रहती है दुर्घटनाओं की संभावना

सड़क पर 2 से 3 फीट के गड्ढे हैं, जिसमें पानी भरा रहता है, ऐसे में ये समझ पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है कि लोग आखिर अपने वाहन कहां से निकालें ? जिससे हादसा हो जाता है. वहीं इस सड़क में सामने से आ रही गाड़ियों को साइड नहीं मिलती और सारा कीचड़ वाहनों को सराबोर करता निकल जाता है, इसके साथ ही बहुत बार गड्ढे में वाहन फंस जाने के चलते यहां जाम भी लग जाता है.

difficult for people to come and go
लोगों का आना जाना हो रहा मुश्किल

धरना प्रदर्शन का भी नहीं हुआ असर

सेमरखापा की महिलाओं ने इस सड़क को लेकर चक्काजाम भी किया था, उनके सहयोग में सभी ग्रामीण भी सड़क पर आ बैठे थे. जहां क्षेत्रीय विधायक डॉक्टर अशोक मर्सकोले से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी भी आए और जल्द सड़क को ठीक कराने की बात कही, लेकिन इसकी खाना पूर्ति कुछ मुरम और गिट्टी डाल कर पूरी कर दी गई. जिसके बाद सड़क फिर से पूरी तरह बदहाल हो चुकी है. वहीं इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

क्या है सड़क की बर्बादी का कारण

सेमरखापा की ये सड़क प्रधानमंत्री योजना के तहत बनी हुई है. जिसकी भार वहन करने की क्षमता कम होती है. इस सड़क पर 10 से 15 टन तो छोड़िए 40 से 50 टन वजनी ट्रकों की आवाजाही हो रही थी, जिसके चलते सड़क के परखच्चे उड़ गए.

क्या कहते हैं जिम्मेदार

ईटीवी भारत द्वारा जब सड़क का मामला अधिकारी के संज्ञान में आया, तो उन्होंने आश्वासन दिया है कि जल्द ही इस सड़क को दुरुस्त करा दिया जाएगा. सड़क अभी गारंटी पीरियड में है और बरसात के बाद इसे ठेकेदार को बोल कर पूरी तरह से ठीक कराया जाएगा. इसके साथ ही जीपी पटले का कहना है कि सड़क के किनारे तालाब का होना और काली मिट्टी के चलते पानी के रिवास से सड़क बार-बार खराब हो जाती है, जिसका स्थायी समाधान करते हुए सड़क के किनारे नाली बनायी जाएगी.

सभी को इस खराब सड़क का मर्ज और उपचार दोनों पता है, लेकिन बार-बार सड़क निर्माण और फिर उसकी मरम्मत का सिलसिला बरसों से चला आ रहा है. इन सब का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है. ऐसे में सड़क दुरुस्त होगी या नहीं ये एक संशय का विषय बना हुआ है.

मंडला। ग्रामीणों में हो रहे विकास कार्य को घटिया निर्माण कहे, भ्रष्टाचार कहें या फिर ग्रामीणों की फूटी किस्मत का नमूना कहें, जहां विकास तो होता है, लेकिन वो लापरवाही की भेंट चढ़ जाती है. मामला मंडला जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर सेमरखापा गांव का है. यहां की सड़क महज डेढ़ साल पहले ही बनी थी, लेकिन अब यहां केवल गड्ढे ही दिखाई देते हैं, जिसमें ग्रामीणों का पैदल चलना भी मुमकिन नहीं है.

डेढ़ साल में ही बर्बाद हुई सड़क

सेमरखापा गांव की जनसंख्या करीब डेढ़ हजार के आसपास है, जहां आने जाने वालों का एक ही मुख्यमार्ग है, जो आगे के बहुत से गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ती है. बीते डेढ़ साल पहले प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत इस सड़क को बनाया गया था, जो बमुश्किल 6 महीने ही दुरुस्त रहा, इसके बाद सड़क के परखच्चे उड़ने लगे, जो बारिश के आते-आते गड्ढों में तब्दील हो गया है. अब यह अंदाजा लगाना ही मुश्किल हो गया कि सड़क पर गड्ढे हैं या फिर गड्ढों में सड़क है.

Water fills in the pits
गड्ढों में भर जाता है पानी

हमेशा बनी रहती है दुर्घटनाओं की संभावना

सड़क पर 2 से 3 फीट के गड्ढे हैं, जिसमें पानी भरा रहता है, ऐसे में ये समझ पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है कि लोग आखिर अपने वाहन कहां से निकालें ? जिससे हादसा हो जाता है. वहीं इस सड़क में सामने से आ रही गाड़ियों को साइड नहीं मिलती और सारा कीचड़ वाहनों को सराबोर करता निकल जाता है, इसके साथ ही बहुत बार गड्ढे में वाहन फंस जाने के चलते यहां जाम भी लग जाता है.

difficult for people to come and go
लोगों का आना जाना हो रहा मुश्किल

धरना प्रदर्शन का भी नहीं हुआ असर

सेमरखापा की महिलाओं ने इस सड़क को लेकर चक्काजाम भी किया था, उनके सहयोग में सभी ग्रामीण भी सड़क पर आ बैठे थे. जहां क्षेत्रीय विधायक डॉक्टर अशोक मर्सकोले से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी भी आए और जल्द सड़क को ठीक कराने की बात कही, लेकिन इसकी खाना पूर्ति कुछ मुरम और गिट्टी डाल कर पूरी कर दी गई. जिसके बाद सड़क फिर से पूरी तरह बदहाल हो चुकी है. वहीं इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

क्या है सड़क की बर्बादी का कारण

सेमरखापा की ये सड़क प्रधानमंत्री योजना के तहत बनी हुई है. जिसकी भार वहन करने की क्षमता कम होती है. इस सड़क पर 10 से 15 टन तो छोड़िए 40 से 50 टन वजनी ट्रकों की आवाजाही हो रही थी, जिसके चलते सड़क के परखच्चे उड़ गए.

क्या कहते हैं जिम्मेदार

ईटीवी भारत द्वारा जब सड़क का मामला अधिकारी के संज्ञान में आया, तो उन्होंने आश्वासन दिया है कि जल्द ही इस सड़क को दुरुस्त करा दिया जाएगा. सड़क अभी गारंटी पीरियड में है और बरसात के बाद इसे ठेकेदार को बोल कर पूरी तरह से ठीक कराया जाएगा. इसके साथ ही जीपी पटले का कहना है कि सड़क के किनारे तालाब का होना और काली मिट्टी के चलते पानी के रिवास से सड़क बार-बार खराब हो जाती है, जिसका स्थायी समाधान करते हुए सड़क के किनारे नाली बनायी जाएगी.

सभी को इस खराब सड़क का मर्ज और उपचार दोनों पता है, लेकिन बार-बार सड़क निर्माण और फिर उसकी मरम्मत का सिलसिला बरसों से चला आ रहा है. इन सब का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है. ऐसे में सड़क दुरुस्त होगी या नहीं ये एक संशय का विषय बना हुआ है.

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