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जिस बुजुर्ग को बेटे-बहू ने घर से किया बेदखल, प्रवाहिनी समिति ने उनका किया सम्मान

मंडला जिले में प्रवाहिनी समिति की महिलाओं ने ऐसे बुजुर्गों का सम्मान किया, जिन्हें उनके बेटे-बहु ने बोझ समझकर बेघर कर दिया. जहां अपना घर होते हुए एक बुजुर्ग झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर है. प्रवाहिनी समिति ने बुजुर्ग की झोपड़ी में पहुंचकर उनका सम्मान किया.

Pravahini committee honored the old man
प्रवाहिनी समिति ने किया बुजुर्ग का सम्मान
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Published : Oct 2, 2020, 12:35 AM IST

मंडला। अक्सर देखा जाता है कि लोग अपने माता-पिता को बोझ समझकर वृद्धावस्था में घर से बेदखल कर देते हैं. मंडला जिले की छोटी खैरी में एक ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनके 6 बेटे और बहू हैं, बावजूद इसके वे एक झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. लेकिन इन बुजुर्ग का सम्मान प्रवाहिनी समिति की महिलाओं द्वारा किया गया. इसके अलावा अलग-अलग जगहों पर जाकर इन महिलाओं ने ऐसे कई बुजुर्गों का सम्मान किया, जिन्हें बेघर एकाकी जीवन जीने को मजबूर होना पड़ रहा है.

बुजुर्ग लल्लूराम सिंगोर कई वर्षों से हनुमान घाट के हनुमान मंदिर में पारिश्रमिक के बदले साफ सफाई का काम करते हैं. जिनकी उम्र लगभग 80 साल करीब है, इनके 6 बेटे और बहू है. जिनमें से कोई भी अपने पिता को रखने के लिए तैयार नहीं है. बुजुर्ग ने बताया कि उनके प्रधानमंत्री आवास पर भी बेटे-बहू ने कब्जा कर लिया है. जिसके चलते उन्हें झोपड़ी में रहना पड़ रहा है. बुजुर्ग का कहना था की सेवा तो दूर खाने के लिए खाना भी मुश्किल से ही मिलता है. कभी किसी बेटे ने दे दिया तो कभी किसी बहू ने, ऐसे में दिन भर मंदिर की सेवा करते हैं और यही थक चुके शरीर की थकान उतारने फर्श पर ही लेट जाते है.

प्रवाहिनी समिति की संचालिका पुष्पा ज्योतिषी ने बताया कि इन बुजुर्ग को वह लंबे समय से जानती हैं और उनकी पारिवारिक स्थिति से भी वाकिफ है. बुजुर्ग का सम्मान कर उनके बच्चों की आंखें खोलना ही एकमात्र उद्देश्य था, जो माता-पिता को बोझ समझते हैं.

मंडला। अक्सर देखा जाता है कि लोग अपने माता-पिता को बोझ समझकर वृद्धावस्था में घर से बेदखल कर देते हैं. मंडला जिले की छोटी खैरी में एक ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनके 6 बेटे और बहू हैं, बावजूद इसके वे एक झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. लेकिन इन बुजुर्ग का सम्मान प्रवाहिनी समिति की महिलाओं द्वारा किया गया. इसके अलावा अलग-अलग जगहों पर जाकर इन महिलाओं ने ऐसे कई बुजुर्गों का सम्मान किया, जिन्हें बेघर एकाकी जीवन जीने को मजबूर होना पड़ रहा है.

बुजुर्ग लल्लूराम सिंगोर कई वर्षों से हनुमान घाट के हनुमान मंदिर में पारिश्रमिक के बदले साफ सफाई का काम करते हैं. जिनकी उम्र लगभग 80 साल करीब है, इनके 6 बेटे और बहू है. जिनमें से कोई भी अपने पिता को रखने के लिए तैयार नहीं है. बुजुर्ग ने बताया कि उनके प्रधानमंत्री आवास पर भी बेटे-बहू ने कब्जा कर लिया है. जिसके चलते उन्हें झोपड़ी में रहना पड़ रहा है. बुजुर्ग का कहना था की सेवा तो दूर खाने के लिए खाना भी मुश्किल से ही मिलता है. कभी किसी बेटे ने दे दिया तो कभी किसी बहू ने, ऐसे में दिन भर मंदिर की सेवा करते हैं और यही थक चुके शरीर की थकान उतारने फर्श पर ही लेट जाते है.

प्रवाहिनी समिति की संचालिका पुष्पा ज्योतिषी ने बताया कि इन बुजुर्ग को वह लंबे समय से जानती हैं और उनकी पारिवारिक स्थिति से भी वाकिफ है. बुजुर्ग का सम्मान कर उनके बच्चों की आंखें खोलना ही एकमात्र उद्देश्य था, जो माता-पिता को बोझ समझते हैं.

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