मंडला। जिले के उदयपुर में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के तलवारबाज खिलाड़ी संसाधनों के अभाव से जूझ रहे हैं, ये प्रतिभावान खिलाड़ी बीते वर्षो में राज्य स्तरीय तलवारबाजी प्रतियोगिता में 62 पदक जीत कर प्रदेश का नाम रोशन कर चुके है, लेकिन आज आलम ये है कि इन्हें प्रैक्टिस के लिए किट तक मुहैया नहीं करवाया जा रहा है.
मंडला: खेल संसाधनों की कमी से दम तोड़ रही हैं प्रतिभाएं, किट को मोहताज खिलाड़ी - उदयपुर मंडला
आदिवासी बहुल जिले मंडला में तलवारबाजी के खिलाड़ी संसाधनों के कमी की मार झेलने को मजबूर है. देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके ये खिलाड़ी किट के लिए प्रशासन की बेरुखी का सामना कर रहे हैं.
तलवारबाजी के खिलाड़ी
मंडला। जिले के उदयपुर में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के तलवारबाज खिलाड़ी संसाधनों के अभाव से जूझ रहे हैं, ये प्रतिभावान खिलाड़ी बीते वर्षो में राज्य स्तरीय तलवारबाजी प्रतियोगिता में 62 पदक जीत कर प्रदेश का नाम रोशन कर चुके है, लेकिन आज आलम ये है कि इन्हें प्रैक्टिस के लिए किट तक मुहैया नहीं करवाया जा रहा है.
Intro:संसाधनों के आभाव में दम तोड़ रही तलवारबाजो की प्रतिभा
तलवारबाजी में 62 पदक जीत कर जिले सहित प्रदेश का नाम रोशन किया, फिर भी हाथ में लकड़ी की किट
एंकर-आदिवासी बाहुल्य जिले मंडला में तलवारबाज खिलाड़ियों की उम्मीदे आसमान पर है, इनके हौसले फौलादी है और ये जी तोड़ मेहनत भी कर रहें है लेकिन संसादनो व प्रोत्साहन का आभाव भारी पड़ रहा है। आलम यह हैं कि मुकाम तक पहुँचे से पहले ही तलवारबाजी की प्रतिभाऐ दम तोड़ती नजर आरही है या फिर ये भी कहें सक्ते हैं कि यहां के प्रतिभामान खिलाड़ीओ को नेताओं व अधिकारियो की उपेक्षाओ का सामना करना पड़ रहा हैं और प्रदेश की मुख्यमंत्री व खेल मंत्री की साख को बट्टा लगा रहें हैं। Body:हम बात कर रहें है आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले के उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय उदयपुर के तलबारबाज खिलाडीयो की जिन्होंने संसाधनों के आभाव में सिर्फ तीन वर्षो में पदक जीत कर देश में जिले सहित प्रदेश का नाम रोशन किया है। लेकिन इन खिलाडीयो की सुधलेने वाला कोई नही है। ये खिलाडी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता की तैयारी लकड़ी की छड़ी यानी लाठी से कर रहें है साधनो का आभाव उनकी राह में बाधा बन रही है। बताय गया है कि कॉमनवेल्थ और ओलम्पिक गेमो में शिमल तलवारबाजी फेसिंग खेल के तलवारबाज खिलाड़ी साधनो के आभाव में अभ्यास कर रहे है।
आदिवासी विभाग की मप्र टीम का प्रतिनिधित्व करने वाले उदयपुर के खिलाडीयो के पास अभ्यास करने के लिऐ किट नही है। सुरक्षित मैदान व हॉल की भी व्यवस्था नही है। इसके बाद भी अभावो के बीच में यहां के खिलाडीयो ने बीते वर्ष राज्य स्तरीय तलवार बाजी प्रतियोगिता में 62 पदक जीते है। इतना ही नही यहाँ के 9 खिलाड़ियों ने अमृतसर और इंफाल में खेली गई प्रतियोगिता में उम्दा प्रदर्शन किया तथा स्कूल के ही सुरेन्द्र बरकड़े ने नेशनल गेम में सिल्वर पदक हासिल सबको चोंका दिया।Conclusion:तलवारबाजी में तीन इवेंट होते है
1👉🏻 सेबर- इसमें कमर के ऊपर का भाग टॉरगेट होता है, जो खिलाडी अपने प्रतिद्वद्वि को 5 बार पहले मार देता वह जीत जाता है, इसमें कोंचते भी है,काटते भी है।
2👉🏻 फॉयल- इसमें कोंचा जाता है,चकमा देना अचानक बार और बचाव तथा जबाबी हमला इसके दांव है। इसमें गर्दन से नीचे का भाग टॉरगेट होता है और पाँच बार छू जाने पत व्यक्ति हार जाता है।
3👉🏻 एपे- ये तिकोन और फवायल से भारी होता है। इसका ऊपरी संरक्षक बड़ा होता है। इसमें खिलाड़ियों को श्वेत वस्त्र धारण करना अनिवार्य होता है। धड़, हाथ, पैर, सिर कही भी बार किया जासक्ता है। तीन बार चोट खाने पर खिलाड़ी हार जाता हे।
उधारी की किट से प्रतियोगिता में लेते है हिस्सा
बतादे खिलाडीयो के पास तलवारबाजी की किट नही है। पिछले वर्ष भोपाल में हुई राज्य स्तरीय तलवारबाजी प्रतियोगिता में उदयपुर के स्कूल के बच्चो ने उम्दा प्रदर्शन कर उधारी की किट से 62 पदक जीते थे। इस बार भी आगामी प्रतियोगिता के लिऐ यहां के 40 छात्र छात्राऐं लकड़ियों के सहारे प्रतियोगिता की तैयारी कर रहें जिससे खिलाडीयो का मनोबल कम हो रहा है। वही कोच भी खिलाडीयो के भवष्य को लेकर चिंतित है।
बाइट 1- खिलाड़ी- छात्राऐ
बाइट 2- खिलाड़ी- छात्राऐ
बाइट 3- खिलाड़ी- छात्राऐ
बाइट 4- खिलाड़ी- छात्र
बाइट 5- खिलाड़ी- छात्र
बाइट 6- संदीप वर्मा
mpc10083
तलवारबाजी में 62 पदक जीत कर जिले सहित प्रदेश का नाम रोशन किया, फिर भी हाथ में लकड़ी की किट
एंकर-आदिवासी बाहुल्य जिले मंडला में तलवारबाज खिलाड़ियों की उम्मीदे आसमान पर है, इनके हौसले फौलादी है और ये जी तोड़ मेहनत भी कर रहें है लेकिन संसादनो व प्रोत्साहन का आभाव भारी पड़ रहा है। आलम यह हैं कि मुकाम तक पहुँचे से पहले ही तलवारबाजी की प्रतिभाऐ दम तोड़ती नजर आरही है या फिर ये भी कहें सक्ते हैं कि यहां के प्रतिभामान खिलाड़ीओ को नेताओं व अधिकारियो की उपेक्षाओ का सामना करना पड़ रहा हैं और प्रदेश की मुख्यमंत्री व खेल मंत्री की साख को बट्टा लगा रहें हैं। Body:हम बात कर रहें है आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले के उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय उदयपुर के तलबारबाज खिलाडीयो की जिन्होंने संसाधनों के आभाव में सिर्फ तीन वर्षो में पदक जीत कर देश में जिले सहित प्रदेश का नाम रोशन किया है। लेकिन इन खिलाडीयो की सुधलेने वाला कोई नही है। ये खिलाडी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता की तैयारी लकड़ी की छड़ी यानी लाठी से कर रहें है साधनो का आभाव उनकी राह में बाधा बन रही है। बताय गया है कि कॉमनवेल्थ और ओलम्पिक गेमो में शिमल तलवारबाजी फेसिंग खेल के तलवारबाज खिलाड़ी साधनो के आभाव में अभ्यास कर रहे है।
आदिवासी विभाग की मप्र टीम का प्रतिनिधित्व करने वाले उदयपुर के खिलाडीयो के पास अभ्यास करने के लिऐ किट नही है। सुरक्षित मैदान व हॉल की भी व्यवस्था नही है। इसके बाद भी अभावो के बीच में यहां के खिलाडीयो ने बीते वर्ष राज्य स्तरीय तलवार बाजी प्रतियोगिता में 62 पदक जीते है। इतना ही नही यहाँ के 9 खिलाड़ियों ने अमृतसर और इंफाल में खेली गई प्रतियोगिता में उम्दा प्रदर्शन किया तथा स्कूल के ही सुरेन्द्र बरकड़े ने नेशनल गेम में सिल्वर पदक हासिल सबको चोंका दिया।Conclusion:तलवारबाजी में तीन इवेंट होते है
1👉🏻 सेबर- इसमें कमर के ऊपर का भाग टॉरगेट होता है, जो खिलाडी अपने प्रतिद्वद्वि को 5 बार पहले मार देता वह जीत जाता है, इसमें कोंचते भी है,काटते भी है।
2👉🏻 फॉयल- इसमें कोंचा जाता है,चकमा देना अचानक बार और बचाव तथा जबाबी हमला इसके दांव है। इसमें गर्दन से नीचे का भाग टॉरगेट होता है और पाँच बार छू जाने पत व्यक्ति हार जाता है।
3👉🏻 एपे- ये तिकोन और फवायल से भारी होता है। इसका ऊपरी संरक्षक बड़ा होता है। इसमें खिलाड़ियों को श्वेत वस्त्र धारण करना अनिवार्य होता है। धड़, हाथ, पैर, सिर कही भी बार किया जासक्ता है। तीन बार चोट खाने पर खिलाड़ी हार जाता हे।
उधारी की किट से प्रतियोगिता में लेते है हिस्सा
बतादे खिलाडीयो के पास तलवारबाजी की किट नही है। पिछले वर्ष भोपाल में हुई राज्य स्तरीय तलवारबाजी प्रतियोगिता में उदयपुर के स्कूल के बच्चो ने उम्दा प्रदर्शन कर उधारी की किट से 62 पदक जीते थे। इस बार भी आगामी प्रतियोगिता के लिऐ यहां के 40 छात्र छात्राऐं लकड़ियों के सहारे प्रतियोगिता की तैयारी कर रहें जिससे खिलाडीयो का मनोबल कम हो रहा है। वही कोच भी खिलाडीयो के भवष्य को लेकर चिंतित है।
बाइट 1- खिलाड़ी- छात्राऐ
बाइट 2- खिलाड़ी- छात्राऐ
बाइट 3- खिलाड़ी- छात्राऐ
बाइट 4- खिलाड़ी- छात्र
बाइट 5- खिलाड़ी- छात्र
बाइट 6- संदीप वर्मा
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