मंडला। मंडला में किसान ने धान की बुवाई की, फसल को समय- समय पर खाद डीएपी,यूरिया के साथ- साथ कीटनाशक भी डाला, फसल अच्छे से तैयार भी हुई, लेकिन फसल पकने के बाद दाने अपने आप खेत में झड़ने लगे और जो बचे भी वो खोखले निकले.
सकुन जंघेला के अनुसार न तो उनकी फसल में किसी तरह की बीमारी लगी और न ही किसी चीज की कमी उनके द्वारा रखी गई. ऐसे में उनके अनाज के दाने झड़ना समझ नहीं आ रहा. सालों से खेती करने वाले किसान के साथ ऐसा पहली बार हुआ है, जिससे उन्हें लाखों रुपए का नुकसान हुआ. इसकी वजह किसान खाद और कीटनाशकों का रिएक्शन मान रहे हैं, इसके साथ ही मामले कृषि वैज्ञानिकों से जांच किए जाने की भी मांग की है.
सकुन बीते कई सालों से खेती किसानी का काम कर रहीं हैं और हर साल 6 से 7 सौ क्विंटल धान की पैदावर उनके खेतों से होती हैं, लेकिन इस साल जो दानें खेत में झड़ कर बिखर गए हैं, उनसे सकुन की खेती 4 से 5 सीजन के लिए खराब हो चुकी है, क्योंकि ये धान अब फसल बुवाई के समय खरपतवार के रूप में उगेगी और इसके दाने हर बार ऐसे ही झड़ेंगे और लगाई फसल को नुकसान पहुंचाएंगे.