ETV Bharat / state

मंडला में एनीमिया और कुपोषण का कहर, 15 हजार से ज्यादा बच्चे पीड़ित

मंडला में कुपोषित, अतिकुपोषित और एनीमिया से पीड़ित बच्चों की संख्या 15 हजार से ज्यादा है. जिले में 0-5 साल तक के बच्चों की संख्या करीब 85 हजार है. दस्तक अभियान के तहत सभी बच्चों की जांच नहीं हुई है, लेकिन जो आकंड़े सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं.

फोटो
author img

By

Published : Jul 22, 2019, 11:12 AM IST

मंडला। दस्तक अभियान के तहत कुपोषण से ग्रस्त बच्चों के जो आंकड़े सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं. जिले में 0 से 5 साल तक कुल 85 हजार 456 बच्चे हैं. सभी का चेकअप नहीं हो पाया है, लेकिन जितने बच्चों की जांच हुई है, उनमें अब तक 1,776 एनीमिया से जबकि 15 हजार के करीब बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.

मंडला में एनीमिया और कुपोषण का कहर

इन बच्चों में खून का एचबी लेवल 7 ग्राम से कम है, जबकि एचबी लेवल 10 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए. एनीमिया से पीड़ित बच्चों के आंकड़े स्वास्थ्य विभाग और शासन-प्रशासन की चिंता बढ़ाने वाले हैं. इसके अलावा जिले में कुपोषण भी पैर पसार रहा है. अब तक 100 बच्चों में से 17 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं, जबकि 100 बच्चों पर 2 बच्चे अतिकुपोषित की श्रेणी में हैं.

आकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो कुल 85 हजार 456 बच्चों में से 14 हजार 446 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. वहीं 1290 बच्चे अतिकपोषण के श्रेणी में आते हैं, जबकि 1776 बच्चे एनिमिया के शिकार हैं. ये आकंड़े स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास की योजनाओं पर सवाल उठाती हैं.

दरअसल, दस्तक अभियान के दौरान जब जीरो से 5 साल के बच्चों की घर-घर जाकर जांच की जा रही है. 20 जून से शुरू हुआ अभियान 20 जुलाई तक चलना था, लेकिन सभी बच्चों का चैकअप नहीं होने से अभियान का समय 30 जुलाई तक बढ़ा दिया गया है. जिसमें चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ सकते हैं.

मंडला। दस्तक अभियान के तहत कुपोषण से ग्रस्त बच्चों के जो आंकड़े सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं. जिले में 0 से 5 साल तक कुल 85 हजार 456 बच्चे हैं. सभी का चेकअप नहीं हो पाया है, लेकिन जितने बच्चों की जांच हुई है, उनमें अब तक 1,776 एनीमिया से जबकि 15 हजार के करीब बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.

मंडला में एनीमिया और कुपोषण का कहर

इन बच्चों में खून का एचबी लेवल 7 ग्राम से कम है, जबकि एचबी लेवल 10 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए. एनीमिया से पीड़ित बच्चों के आंकड़े स्वास्थ्य विभाग और शासन-प्रशासन की चिंता बढ़ाने वाले हैं. इसके अलावा जिले में कुपोषण भी पैर पसार रहा है. अब तक 100 बच्चों में से 17 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं, जबकि 100 बच्चों पर 2 बच्चे अतिकुपोषित की श्रेणी में हैं.

आकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो कुल 85 हजार 456 बच्चों में से 14 हजार 446 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. वहीं 1290 बच्चे अतिकपोषण के श्रेणी में आते हैं, जबकि 1776 बच्चे एनिमिया के शिकार हैं. ये आकंड़े स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास की योजनाओं पर सवाल उठाती हैं.

दरअसल, दस्तक अभियान के दौरान जब जीरो से 5 साल के बच्चों की घर-घर जाकर जांच की जा रही है. 20 जून से शुरू हुआ अभियान 20 जुलाई तक चलना था, लेकिन सभी बच्चों का चैकअप नहीं होने से अभियान का समय 30 जुलाई तक बढ़ा दिया गया है. जिसमें चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ सकते हैं.

Intro:मण्डला जिले में दस्तक अभियान के दौरान जब जीरो से 5 साल के बच्चों की घर घर जाकर जाँच की जा रही है तो जो आंकड़े एनिमिक बच्चों के सामने आ रहे हैं वे निश्चित ही चिंता बढाने वाले हैं यह अभियान 20 जून से शुरू हुआ है जो 20 जुलाई तक चलना है जिसमें अब तक डेढ़ हज़र एनिमिक बच्चे सामने आ चुके हैं जबकि अभी सभी बच्चों की जांच नहीं हुई है


Body:मण्डला के 0 से 5 साल के कुल 85 हज़ार 456 बच्चे हैं और दस्तक अभियान जो 20 जून से शुरू हुआ था और जुलाई की 20 तारीख तक इसे चलना है इस दौरान इन सभी बच्चों का घर घर जाकर परीक्षण किया जा रहा है और इनकी बीमारियों का पता लगा कर इन्हें उनसे संबंधित उपचार भी दिया जाना है इस अभियान को अभी पूरा होने में समय शेष है साथ ही इसे 30 जुलाई तक बढ़ा भी दिया है लेकिन सभी बच्चों की जाँच न होने के बाद अब तक के आंकड़े जो सामने आ रहे हैं वे स्वास्थ्य विभाग से लेकर शासन प्रशासन की चिंता बढाने वाले हैं अब तक 1776 एनिमिक बच्चे सामने आ चुके हैं जिनमे खून का hb लेबल 7 ग्राम से कम है जबकि सभी मे 10 ग्राम से कम hb लेबल नहीं होना चाहिये,ये आंकड़े बताते हैं कि इन सभी के लिए अव खून की व्यवस्था करनी होगी और इन्हें ब्लड ट्रान्फ्यूजन किया जाएगा,बता दें कि जिले में कुपोषण भी एक बड़ी बीमारी है जिसकी जद में 100 में से 17 बच्चे है,वहीं 2 बच्चे अति कुपोषित हैं 85 हज़ार 456 में से कुपोषण के शिकार 14 हज़ार 446 बच्चे हैं तो 1290 ऐसे बच्चे जो अति कुपोषित की श्रेणी में आते हैं उस पर 1776 बच्चे एनीमिया के शिकार जो निश्चित ही स्वास्थ्य विभाग की कार्य प्रणाली के साथ ही माहिया एवम बाल विकास द्वारा संचालित योजनाओं पर सवाल उठाती हैं


Conclusion:महिलाओं और बच्चों को लेकर सरकार लाख दावे करे लेकिन कुपोषण और एनिमिया के ये आंकड़े बताते हैं कि जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं बच्चे किसी न किसी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं


बाईट--के सी सरौते,जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी मण्डला
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.