मण्डला। एक तरफ प्रदेश सरकार टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नए-नए जतन कर रही है, लेकिन सरकारी बेबसाइट पर जब पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने की बात आती है तो प्रशासनिक उदासीनता सामने आती है क्योंकि एनआईसी ने मण्डला जिले की वेबसाइट पर सिर्फ चार पर्यटन स्थलों का ही जिक्र किया है, जिन्हें वह टूरिज्म के लिहाज से उपयोगी मान रही है, जबकि यहां पर कई ऐतिहासिक, धार्मिक और टूरिज्म के लिहाज से सैलानियों को आकर्षित करने वाले स्थान मौजूद हैं.
एनआईसी की वेबसाइट पर जिले के कई स्थानों को तवज्जो नहीं दी गयी है, जबकि टूरिज्म को बढ़ावा देने की थोड़ी भी कोशिश की जाये तो जिले में ऐसे सैकड़ों स्थान हैं, जिनका जिक्र इस साइट पर किया जा सकता है. प्रशासन ध्यान दे तो निश्चित ही टाइगर के दीदार के लिए कान्हा नेशनल पार्क आने वाले सैलानियों को इन जगहों से परिचित कराया जा सकता है, जिसके जरिये देसी-विदेशी सैलानियों को आकर्षित कर राजस्व और रोजगार बढ़ाया जा सकता है.
मण्डला जिले में मंडल मिश्र और आदि शंकराचार्य के बीच शास्त्रार्थ हुआ था, इसे माहिष्मति नगरी कहा जाता है, यहां आदिवासियों का सबसे बड़ा तीर्थ चौगान भी मौजूद है, पुरानी वैद्यशाला, सैकड़ों मूर्तियों के साथ जमीदोंज हो चुकी इमारत, कई आधे-अधूरे महल हैं, जो इतिहास से रूबरू कराते है, जबकि आजादी की लड़ाई के समय की बहुत सी निशानियां मौजूद हैं, पुरातत्व विभाग का वो संग्रहालय भी यहीं मौजूद है, जहां सैकड़ों साल पुरानी मूर्तियां संजोई गई हैं, अकबर की बेगम के भतीजे आसफ खां का 400 साल पुराना मकबरा भी यहीं मौजूद है.