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वेबसाइट पर सिर्फ चार टूरिस्ट प्लेस दर्ज कर NIC ने राजस्व का किया नुकसान

कई दार्शनिक स्थलों का एनआईसी की वेबसाइट पर जिक्र ही नहीं है, जबकि सैलानियों को आकर्षित करने वाले कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान यहां मौजूद हैं. बावजूद इसके जिले की बेबसाइट पर सिर्फ चार स्थानों का ही जिक्र किया गया है.

NIC में सिर्फ चार टूरिस्ट प्लेस दर्ज
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Published : Aug 6, 2019, 3:22 PM IST

मण्डला। एक तरफ प्रदेश सरकार टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नए-नए जतन कर रही है, लेकिन सरकारी बेबसाइट पर जब पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने की बात आती है तो प्रशासनिक उदासीनता सामने आती है क्योंकि एनआईसी ने मण्डला जिले की वेबसाइट पर सिर्फ चार पर्यटन स्थलों का ही जिक्र किया है, जिन्हें वह टूरिज्म के लिहाज से उपयोगी मान रही है, जबकि यहां पर कई ऐतिहासिक, धार्मिक और टूरिज्म के लिहाज से सैलानियों को आकर्षित करने वाले स्थान मौजूद हैं.

NIC में सिर्फ चार टूरिस्ट प्लेस दर्ज

एनआईसी की वेबसाइट पर जिले के कई स्थानों को तवज्जो नहीं दी गयी है, जबकि टूरिज्म को बढ़ावा देने की थोड़ी भी कोशिश की जाये तो जिले में ऐसे सैकड़ों स्थान हैं, जिनका जिक्र इस साइट पर किया जा सकता है. प्रशासन ध्यान दे तो निश्चित ही टाइगर के दीदार के लिए कान्हा नेशनल पार्क आने वाले सैलानियों को इन जगहों से परिचित कराया जा सकता है, जिसके जरिये देसी-विदेशी सैलानियों को आकर्षित कर राजस्व और रोजगार बढ़ाया जा सकता है.

मण्डला जिले में मंडल मिश्र और आदि शंकराचार्य के बीच शास्त्रार्थ हुआ था, इसे माहिष्मति नगरी कहा जाता है, यहां आदिवासियों का सबसे बड़ा तीर्थ चौगान भी मौजूद है, पुरानी वैद्यशाला, सैकड़ों मूर्तियों के साथ जमीदोंज हो चुकी इमारत, कई आधे-अधूरे महल हैं, जो इतिहास से रूबरू कराते है, जबकि आजादी की लड़ाई के समय की बहुत सी निशानियां मौजूद हैं, पुरातत्व विभाग का वो संग्रहालय भी यहीं मौजूद है, जहां सैकड़ों साल पुरानी मूर्तियां संजोई गई हैं, अकबर की बेगम के भतीजे आसफ खां का 400 साल पुराना मकबरा भी यहीं मौजूद है.

मण्डला। एक तरफ प्रदेश सरकार टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नए-नए जतन कर रही है, लेकिन सरकारी बेबसाइट पर जब पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने की बात आती है तो प्रशासनिक उदासीनता सामने आती है क्योंकि एनआईसी ने मण्डला जिले की वेबसाइट पर सिर्फ चार पर्यटन स्थलों का ही जिक्र किया है, जिन्हें वह टूरिज्म के लिहाज से उपयोगी मान रही है, जबकि यहां पर कई ऐतिहासिक, धार्मिक और टूरिज्म के लिहाज से सैलानियों को आकर्षित करने वाले स्थान मौजूद हैं.

NIC में सिर्फ चार टूरिस्ट प्लेस दर्ज

एनआईसी की वेबसाइट पर जिले के कई स्थानों को तवज्जो नहीं दी गयी है, जबकि टूरिज्म को बढ़ावा देने की थोड़ी भी कोशिश की जाये तो जिले में ऐसे सैकड़ों स्थान हैं, जिनका जिक्र इस साइट पर किया जा सकता है. प्रशासन ध्यान दे तो निश्चित ही टाइगर के दीदार के लिए कान्हा नेशनल पार्क आने वाले सैलानियों को इन जगहों से परिचित कराया जा सकता है, जिसके जरिये देसी-विदेशी सैलानियों को आकर्षित कर राजस्व और रोजगार बढ़ाया जा सकता है.

मण्डला जिले में मंडल मिश्र और आदि शंकराचार्य के बीच शास्त्रार्थ हुआ था, इसे माहिष्मति नगरी कहा जाता है, यहां आदिवासियों का सबसे बड़ा तीर्थ चौगान भी मौजूद है, पुरानी वैद्यशाला, सैकड़ों मूर्तियों के साथ जमीदोंज हो चुकी इमारत, कई आधे-अधूरे महल हैं, जो इतिहास से रूबरू कराते है, जबकि आजादी की लड़ाई के समय की बहुत सी निशानियां मौजूद हैं, पुरातत्व विभाग का वो संग्रहालय भी यहीं मौजूद है, जहां सैकड़ों साल पुरानी मूर्तियां संजोई गई हैं, अकबर की बेगम के भतीजे आसफ खां का 400 साल पुराना मकबरा भी यहीं मौजूद है.

Intro:एक तरफ तो हर जिले में ट्यूरिज्म के बढ़ावे के लिए नए नए प्रयास किये जाते हैं वहीं जिले की सरकारी बेबसाईट में जब ट्यूरिज्म को बढ़ाए जाने की बात आती है तो एनआईसी के द्वारा इतना भी नहीं किया जाता कि जिले के उन स्थानों का जिक्र इसमें हो सके जो ऐतिहासिक,धार्मिक या फिर ट्यूरिज्म के लिहाज से शैलानियों को आकर्षित करें,जिले की बेबसाईट में सिर्फ चार जगहों का जिक्र है जिन्हें वह ट्यूरिज्म के लिहाज से उपयोगी मान रही है


Body:मण्डला जिले में मंडल मिश्र और आदि शंकराचार्य के बीच शास्त्रार्थ हुआ था,इसे महिष्मति नगरी भी कहा जाता है,यहाँ आदिवासियों का सबसे बड़ा तीर्थ चौगान भी है,तारा गढ़ को सबसे पुरानी वेधशाला माना जाता है जो अब खण्डहर है लेकिन इसकी निशानियाँ सैकड़ों मूर्तियों के साथ ही जमीदोंज हो चुकी इमारत के रूप में मिलती है,1903 में शुरू हुए नैरोगेज का म्यूजिम नैनपुर में है जहाँ एक सदी से पुराने रेल इंजन,बोगी और बहुत कुछ संरक्षित हैं,गढ़ी झिरिया गौंड कालीन बावली है,मण्डला शहर में ही बहुत से आधे अधूरे महल हैं जो इतिहास से रूबरू कराते है,वहीं आज़दी की लड़ाई के समय की बहुत सी निशानियाँ है,पुरात्तव का वो संग्रहालय है जहाँ सैकड़ों साल पुरानी मूर्तियाँ है,अकबर की बेगम के भतीजे आसफखां खां का 400 साल पुराना मकबरा है लेकिन एनआईसी याने सरकारी बेबसाईट के हिसाब से ये तमाम चीजें शैलानियों के लिहाज से महत्वपूर्ण नहीं शायद इस लिए इस बेबसाईट में कान्हा नैशनल पार्क,रामनगर के महल,गर्म पानी कुंड और सहस्त्रधारा को ही इस बेबसाईट में स्थान दिया गया है बाकी जगहों को एनआईसी की बेबसाईट में तब्बजो ही नहीं दी गयी जबकि ट्यूरिज्म के लिए अगर थोड़ी कोसिस की जाए तो जिले में सैकड़ों ऐसे स्थान हैं जिनका जिक्र इस साइट पर किया जा सकता था जो देश विदेश में देखी जाती है और शैलानियों को आकर्षित भी इस माध्यम से कर जिले का राजस्व और रोजगार बढ़ाया जा सकता है।


Conclusion:मण्डला जिले को काला पहाड़ से लेकर देवगाँव संगम के साथ ही गढ़ी झिरिया और खैराकी धाम जैसे प्राकृतिक सौंदर्य से भरे स्थानों की सौगात कुदरत ने अता की है अगर इन पर जिला प्रशासन ध्यान दे तो निश्चित ही टाइगर का दीदार करने कान्हा नैशनल पार्क आने वाले शैलानियों को इन जगहों से परिचित कराया जा सकता है जो मण्डला को प्रदेश के मानचित्र में नया स्थान दिलाने में सहायक होंगे

बाईट--हेमन्तिका शुक्ला,पुरातत्व अधिकारी मण्डला
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