मंडला। जिले के जगमंडल अंजनिया के अंतर्गत आने वाले ककैया बीट में हजारों की संख्या में अजगर पाए जाते हैं. 1.5 हेक्टेयर का यह क्षेत्र अजगरों की बस्ती कहा जाता है. यह बस्ती दमदम नाम से भी जानी जाती है. क्योंकि यहां की जमीन व चट्टानें खोखली हैं. जहां चलने पर कदमों की धमक की आवाज आती है. यही कारण है इसे दमदम कहते है. यहां हजारों की संख्या में अजगर पाए जाते हैं, जिसे अजगर दादर के नाम से भी जाना जाता है. यहां पाया जाने वाला अजगर रॉक पायथन प्रजाति के हैं. MP mandla snake pythons home
ठंड के मौसम में बिलों से निकलते हैं : अजगर दादर में अजगरों को देखने का सीजन नवम्बर से फरवरी यानी ठंड का सीजन होता है. धूप सेंकते अजगरों को सुबह 8 बजे के लगभग से दोपहर 12 बजे तक देखा जा सकता है. अजगरों को देखने यहां दूर-दूर से पर्यटक आते हैं. यहां की खोखली चट्टानों व खोखली जमीन में सैकड़ों बिल हैं, जहां से अजगर बाहर निकलते हैं. यगां की खोखली जमीन व चट्टानों में जंगली खरगोश, चमगादड़ व अन्य छोटे जीव भी पनपते हैं, जो यहां रहने वाले अजगरों की खुराक होते हैं. अजगर दादर से लगी रहवासी बस्ती भी है. लेकिन यहां अभी तक किसी भी प्रकार की कोई अप्रिय घटना नहीं हुई. MP mandla snake pythons home
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यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं : यहां के अजगर अपने ही क्षेत्र में विचरण करते देखे जाते हैं. कान्हा नेशनल पार्क से लगा होने के कारण इस छेत्र का संरक्षित होना आवश्यक है. जिसे स्नेक पार्क बनाया जा सकता है. अंजनिया परिक्षेत्र जग मण्डल पूर्व (स) की रेंजर लतिका तिवारी उपाध्याय ने बताया कि अजगर दादर 1.5 हेक्टेयर का क्षेत्र है, जहां बहुत अधिक रॉक पायथन प्रजाति के अजगर पाए जाते हैं. जो शेड्यूल वन्य प्राणी हैं. ये अजगर 4 फिट से लेकर 15 फिट लंबे हैं. अजगर दादर इको पर्यटन क्षेत्र भी प्रस्तावित है. क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, जिसके संरक्षण व विकास के लिए प्रयास जारी हैं. MP mandla snake pythons home