मंडला। 21 जून यानि रविवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है. भारत आज विश्व को योग की शिक्षा देने वाला विश्व गुरू बनकर उभरा है. खासकर कोरोना काल जैसे समय में योग की भूमिका और बढ़ जाती है. पांच हजार साल पुरानी इस पद्धति को आज पूरा विश्व अपना रहा है. ईटीवी भारत योग दिवस के मौके पर स्पेशल टेलेंट की खोज कर रहा था, इस दौरान हमारी मुलाकात हुई मंडला जिले की 'रबर गर्ल' कही जाने वाली रोबीना सिंह से. जो महज 12 साल की हैं. लेकिन उनके योग अभ्यास को देखते हुए लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं.
'रबर गर्ल' नाम से मशहूर
रोबीना सिंह को देखकर ऐसा लगता है, मानो कोई रबर की गुड़िया हों. योग के तमाम आसन इतनी आसानी से करतीं हैं, जैसे कोई खेल हो. इसी वजह से लोग इन्हें 'रबर गर्ल' भी कहने लगे हैं.आज इसी कमाल के चलते वे अपने जिले का नाम पूरे प्रदेश में रोशन कर रहीं हैं. रोबीना ने जबलपुर रीजन के उस कम्पटीशन में बेस्ट परफार्मेंस दिया, जिसमें कई जिलों के सैकड़ों बच्चे शामिल हुए थे. इसके अलावा जनवरी महीने में इंदौर में आयोजित इंटरनेशनल योग फेस्टिवल कॉन्फ्रेंस एंड कम्पटीशन में चौथा स्थान पाया. इसके साथ ही उन्होंने जिला स्तरीय बहुत से डांस प्रतियोगिताएं भी जीतीं हैं.
मुश्किल आसन भी बना देतीं हैं आसान
रोबीना कभी सर के बल खड़ी होकर पैरों से विभिन्न मुद्राएं बनाती हैं, तो कभी पूरे शरीर को घुटनों पर ले आती हैं. लोगों के लिए जहां सामने झुकना मुश्किल हो जाता है, तो वहीं रोबीना पूरी तरह से पीछे की तरफ झुक के हाथों को जमीन पर टिका देती हैं और फिर पैरों को पूरा ऊपर उठा कर सीधी खड़ी भी हो जाती हैं.
एथलीट बनने का है लक्ष्य
रोबीना का कहना है कि, शुरुआत में तो उन्हें काफी परेशानी होती थी, लेकिन उनकी मां के एप्रीशिएशन और कड़ी मेहनत के चलते आज उन्हें योग करने में बहुत मजा आता है. इसी के सहारे वे डांस और दूसरे खेलों में भी वो सबसे आगे हैं. रोबीना एथलीट बनना चाहती है.
कठिन जगहों पर करती हैं योग
अपनी मां की देख-रेख में रोबीना नदियों के किनारे, झरनों के बीच, बड़ी चट्टानों पर, जंगलों और नेचर के बीच कठिन योगाभ्यास करती हैं. जिससे कि हर परिस्थितियों से निपटने की तैयारी हो जाती है. जो उन्हें लक्ष्य तक ले जाती है.
सालों की मेहनत का फल
ये कोई एक दिन की मेहनत नहीं है. ये तो रोबीना की मां मिनी सिंह की तपस्या है. जिन्होंने हर पल अपनी बेटी का साथ दिया. केंद्रीय विद्यालय की छठवीं क्लास में पढ़ने वाली रोबीना के कठिन प्रैक्टिस और उनकी मां के साथ का परिणाम है, कि वे आज इस मुकाम पर पहुंच गई हैं. इतनी कम उम्र में योग का इतना अभ्यास होना, जाहिर सी बात है, आगे चलकर रोबीना के पास उड़ान के लिए पूरा आसमान खाली है. रोबीना भी लोगों को यही संदेश देती हैं, कि 'करें योग रहें निरोग'