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मंडला: कोरोना काल में सूने पड़े रैन बसेरे, बसों के संचालन का है इंतजार - कोरोना काल में सूने पड़े रैन बसेरे

बेसहारा और मुसाफिरों के लिए मंडला के बस स्टैंड में एक आश्रय स्थल बनवाया गया है. जहां कोरोना के चलते आश्रय स्थल खाली पड़े हुए हैं.

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कोरोना काल में सूने पड़े रैन बसेरे
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Published : Dec 24, 2020, 8:42 PM IST

मंडला। मंडला जिला मुख्यालय के बस स्टैंड पर पंडित दीनदयाल आश्रय स्थल है. जहां 15 पुरुष और 10 महिलाओं को पूरी तरह से सुरक्षित और व्यवस्थाओं के बीच रात काटने के इंतजाम किए गए हैं. ठंड में जिन लोगों के पास आशियाने नहीं हैं या ऐसे मुसाफिर जो यहां रुकना चाहते हैं, उनके लिए आश्रय स्थल काफी महत्वपूर्ण स्थान है. इटीवी भारत ने आश्रय स्थल का जायजा लिया और पाया कि बसों के अभी पूरी तरह से ना चलने के कारण आश्रय स्थल लगभग खाली पड़े हुए हैं. 15 में से महज तीन पुरुष यहां रात गुजारने के लिए ठहरे हुए थे. जबकि एक भी महिला यहां नहीं थी.

कोरोना काल में सूने पड़े रैन बसेरे

क्या व्यवस्थाएं हैं ?

आश्रय स्थल में साफ सफाई का बेहतर से ख्याल रखा जाता है. जिसकी जिम्मेदारी नगर पालिका की है. हर कमरों पर सीसीटीवी लगाए गए हैं. वहीं कोविड-19 के चलते सैनिटाइजर की व्यवस्था रखी गई है और बिछाए गए बिस्तरों के बीच भी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. आश्रय स्थल के प्रबंधक प्रतीक खरे ने बताया कि प्रतिदिन बिस्तरों को सैनिटाइज किया जाता है और लोगों को सलाह दी जाती है कि वे आपस में उचित शारीरिक दूरी बनाए रखें. इसके अलावा फर्स्ट एड बॉक्स और आग से बचाव के साधन भी यहां रखे मिले. लेकिन इतनी व्यवस्थाओं के बाद भी कोविड-19 का डर और यात्री बसों के अब तक पूरी तरह से संचालित ना होने के कारण रैन बसेरे पूरी तरह से खाली ही नजर आ रहे हैं. बता दें कि आश्रय स्थल पर लोगों को पूरी तरह से नि:शुल्क रुकने की व्यवस्था मुहैया कराई जाती है.

मंडला। मंडला जिला मुख्यालय के बस स्टैंड पर पंडित दीनदयाल आश्रय स्थल है. जहां 15 पुरुष और 10 महिलाओं को पूरी तरह से सुरक्षित और व्यवस्थाओं के बीच रात काटने के इंतजाम किए गए हैं. ठंड में जिन लोगों के पास आशियाने नहीं हैं या ऐसे मुसाफिर जो यहां रुकना चाहते हैं, उनके लिए आश्रय स्थल काफी महत्वपूर्ण स्थान है. इटीवी भारत ने आश्रय स्थल का जायजा लिया और पाया कि बसों के अभी पूरी तरह से ना चलने के कारण आश्रय स्थल लगभग खाली पड़े हुए हैं. 15 में से महज तीन पुरुष यहां रात गुजारने के लिए ठहरे हुए थे. जबकि एक भी महिला यहां नहीं थी.

कोरोना काल में सूने पड़े रैन बसेरे

क्या व्यवस्थाएं हैं ?

आश्रय स्थल में साफ सफाई का बेहतर से ख्याल रखा जाता है. जिसकी जिम्मेदारी नगर पालिका की है. हर कमरों पर सीसीटीवी लगाए गए हैं. वहीं कोविड-19 के चलते सैनिटाइजर की व्यवस्था रखी गई है और बिछाए गए बिस्तरों के बीच भी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. आश्रय स्थल के प्रबंधक प्रतीक खरे ने बताया कि प्रतिदिन बिस्तरों को सैनिटाइज किया जाता है और लोगों को सलाह दी जाती है कि वे आपस में उचित शारीरिक दूरी बनाए रखें. इसके अलावा फर्स्ट एड बॉक्स और आग से बचाव के साधन भी यहां रखे मिले. लेकिन इतनी व्यवस्थाओं के बाद भी कोविड-19 का डर और यात्री बसों के अब तक पूरी तरह से संचालित ना होने के कारण रैन बसेरे पूरी तरह से खाली ही नजर आ रहे हैं. बता दें कि आश्रय स्थल पर लोगों को पूरी तरह से नि:शुल्क रुकने की व्यवस्था मुहैया कराई जाती है.

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