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कहां गए मंगलेश्वर तीर्थ के ये पौराणिक कुंड ? जिसके एक मात्र दर्शन से मिट जाते सारे पाप !

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Published : Oct 10, 2020, 10:04 PM IST

मंडला: पतित पावनी नर्मदा के किनारे बसे मंडला के मंगलेश्वर तीर्थ में बने दो पैराणिक कुंड पाप मोचन कुंड और ऋण मोचन कुंड कालातीत हो गए हैं, जिसे जीर्णोद्धार किए जाने की मांग की जा रही है.

Mangleshwar shrine of Mandla
मंडला का मंगलेश्वर तीर्थ

मंडला। मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली पतित पावनी मां नर्मदा के किनारे कई तीर्थ मौजूद हैं, जो व्यक्ति को प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद देने के साथ ही, आध्यात्म की शांति देते हैं. ऐसे ही दो कुंड मौजूद हैं मंडला जिले के महराजपुर स्थित मंगलेश्वर तीर्थ क्षेत्र में, जिन्हें ऋण मोचन और पाप मोचन कुंड के नाम से जाना जाता है. लेकिन मंडलेश्वर धाम के ये दोनों कुंड कालातीत हो गए.

कहां गए मंगलेश्वर तीर्थ के ये पौराणिक कुंड

कैसे पड़ा मंगलेश्वर नाम ?
शंकर भगवान के बड़े पुत्र मंगल ने नर्मदा के किनारे तपस्या की थी और अपने हाथों से भगवान शंकर की पिंडी भी स्थापित की थी. इस दिन मंगलवार था, इस कारण इसका नाम महा मंगलेश्वर हो गया, जिसका उल्लेख नर्मदा पुराण के अलावा भी अन्य पुराणों में मिलता है.

Mangleshwar shrine of Mandla
मंगलेश्वर तीर्थ

कहां है मंगलेश्वर तीर्थ
नर्मदा नदी के दक्षिण तट में महाराजपुर के ज्वालाजी वार्ड में यह स्थित है. शिव पुत्र मंगल ने इसकी स्थापना की इसके चलते नाम मंगलेश्वर पड़ा. नर्मदा पुराण /अ.69/11 में इसका उल्लेख है, कि भगवान शिव की तपस्या से प्रसन्न होकर खुद प्रकट हुए, और अपने पुत्र को वरदान दिया, श्रद्धालुओं का मानना है कि मंगलवार को पड़ने वाली चतुर्थी के दिन यहां पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है, और इस स्थान पर भगवान शंकर वास करते हैं.मंगलेश्वर तीर्थ के दक्षिण में पाप मोचन कुंड हुआ करता था, जबकि इसके दूसरे तट नानाघाट के करीब ऋण मोचन तीर्थ बताया जाता है.
ऋण मोचन कुंड- पौराणिक मान्यता के अनुसार ऋण मोचन कुंड में डुबकी लगाने से देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण मतलब की तीनों ही प्रकार के ऋणों से मुक्ति मिल जाती थी.

पाप मोचन कुंड- कहते हैं गंगा नदी में स्नान से तो नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से सारे पाप धुल जाते हैं. लेकिन महा मंगलेश्वर तीर्थ के करीब ही एक ऐसा कुंड हुआ करता था जिसमें डुबकी लगाने से मनुष्य के जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते थे.

कहां गए दोनों ही कुंड
धीरे-धीरे बाढ़ में बह कर आई मिट्टी, रेत और पत्थरों से भरते गए और अब इनकी निशानियां भी नहीं दिखाई देती. कुछ लोग दावा करते हैं कि भीषण गर्मी के समय इन्हें बहुत सिमटे हुए आकार में देखा जा सकता है, जो उल्टे श्रीयंत्र की तरह दिखाई देते है.

Mangleshwar shrine of Mandla
मंगलेश्वर तीर्थ

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
ईटीवी भारत के द्वारा जब इन कुंड के साथ ही महा मंगलेश्वर तीर्थ पर स्थानीय पार्षद शिखा श्रीवास्तव से चर्चा की गई, तो उन्होंने माना की यदि मंदिर प्रांगण में सुव्यवस्थित तरीके से निर्माण किया जाए, तो यहां पर्यटन के रास्ते खुल जाएंगे. शिखा ने बताया की इसके लिए उन्होंने नगरीय प्रशासन को कई पत्र लिखे, लेकिन अभी तक कोई खास जवाब नहीं आया, हालांकि उन्होंने बताया कि क्षेत्र में कई घाट ऐसे हैं, जिसका जीर्णोद्धार कराया गया है, और जालियां लगाई गईं हैं.

संरक्षण की जरूरत
जिस तीर्थ का धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख हो और उसका अस्तित्व जमीन पर नजर ही न आए, यह विडम्बना ही कही जा सकती है. जरूरत है इस तीर्थ के लगभग 500 मीटर घाट को पक्का किया जाए और ऋण मोचन, पाप मोचन कुंड को खोज कर उन्हें संरक्षित किया जाए. जिसे खोज पाना अभी भी संभव है, वरना समय के साथ इनका अस्तित्व पूरी तरह से मिट जाएगा, और धार्मिक महत्व के ये स्थान सिर्फ पुराणों में सिमट कर रह जाएंगे.

मंडला। मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली पतित पावनी मां नर्मदा के किनारे कई तीर्थ मौजूद हैं, जो व्यक्ति को प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद देने के साथ ही, आध्यात्म की शांति देते हैं. ऐसे ही दो कुंड मौजूद हैं मंडला जिले के महराजपुर स्थित मंगलेश्वर तीर्थ क्षेत्र में, जिन्हें ऋण मोचन और पाप मोचन कुंड के नाम से जाना जाता है. लेकिन मंडलेश्वर धाम के ये दोनों कुंड कालातीत हो गए.

कहां गए मंगलेश्वर तीर्थ के ये पौराणिक कुंड

कैसे पड़ा मंगलेश्वर नाम ?
शंकर भगवान के बड़े पुत्र मंगल ने नर्मदा के किनारे तपस्या की थी और अपने हाथों से भगवान शंकर की पिंडी भी स्थापित की थी. इस दिन मंगलवार था, इस कारण इसका नाम महा मंगलेश्वर हो गया, जिसका उल्लेख नर्मदा पुराण के अलावा भी अन्य पुराणों में मिलता है.

Mangleshwar shrine of Mandla
मंगलेश्वर तीर्थ

कहां है मंगलेश्वर तीर्थ
नर्मदा नदी के दक्षिण तट में महाराजपुर के ज्वालाजी वार्ड में यह स्थित है. शिव पुत्र मंगल ने इसकी स्थापना की इसके चलते नाम मंगलेश्वर पड़ा. नर्मदा पुराण /अ.69/11 में इसका उल्लेख है, कि भगवान शिव की तपस्या से प्रसन्न होकर खुद प्रकट हुए, और अपने पुत्र को वरदान दिया, श्रद्धालुओं का मानना है कि मंगलवार को पड़ने वाली चतुर्थी के दिन यहां पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है, और इस स्थान पर भगवान शंकर वास करते हैं.मंगलेश्वर तीर्थ के दक्षिण में पाप मोचन कुंड हुआ करता था, जबकि इसके दूसरे तट नानाघाट के करीब ऋण मोचन तीर्थ बताया जाता है.
ऋण मोचन कुंड- पौराणिक मान्यता के अनुसार ऋण मोचन कुंड में डुबकी लगाने से देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण मतलब की तीनों ही प्रकार के ऋणों से मुक्ति मिल जाती थी.

पाप मोचन कुंड- कहते हैं गंगा नदी में स्नान से तो नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से सारे पाप धुल जाते हैं. लेकिन महा मंगलेश्वर तीर्थ के करीब ही एक ऐसा कुंड हुआ करता था जिसमें डुबकी लगाने से मनुष्य के जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते थे.

कहां गए दोनों ही कुंड
धीरे-धीरे बाढ़ में बह कर आई मिट्टी, रेत और पत्थरों से भरते गए और अब इनकी निशानियां भी नहीं दिखाई देती. कुछ लोग दावा करते हैं कि भीषण गर्मी के समय इन्हें बहुत सिमटे हुए आकार में देखा जा सकता है, जो उल्टे श्रीयंत्र की तरह दिखाई देते है.

Mangleshwar shrine of Mandla
मंगलेश्वर तीर्थ

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
ईटीवी भारत के द्वारा जब इन कुंड के साथ ही महा मंगलेश्वर तीर्थ पर स्थानीय पार्षद शिखा श्रीवास्तव से चर्चा की गई, तो उन्होंने माना की यदि मंदिर प्रांगण में सुव्यवस्थित तरीके से निर्माण किया जाए, तो यहां पर्यटन के रास्ते खुल जाएंगे. शिखा ने बताया की इसके लिए उन्होंने नगरीय प्रशासन को कई पत्र लिखे, लेकिन अभी तक कोई खास जवाब नहीं आया, हालांकि उन्होंने बताया कि क्षेत्र में कई घाट ऐसे हैं, जिसका जीर्णोद्धार कराया गया है, और जालियां लगाई गईं हैं.

संरक्षण की जरूरत
जिस तीर्थ का धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख हो और उसका अस्तित्व जमीन पर नजर ही न आए, यह विडम्बना ही कही जा सकती है. जरूरत है इस तीर्थ के लगभग 500 मीटर घाट को पक्का किया जाए और ऋण मोचन, पाप मोचन कुंड को खोज कर उन्हें संरक्षित किया जाए. जिसे खोज पाना अभी भी संभव है, वरना समय के साथ इनका अस्तित्व पूरी तरह से मिट जाएगा, और धार्मिक महत्व के ये स्थान सिर्फ पुराणों में सिमट कर रह जाएंगे.

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