मंडला। प्रकृति के विपरीत यदि कुछ भी देखने को मिलता है तो वह लोगों की जिज्ञासा का कारण बनता है. इसके साथ ही ऐसी चीजों को लेकर लोगों की अलग-अलग अवधारणाएं भी बन जाती हैं. प्रकृति के विपरीत कुछ ऐसा ही मंडला जिले में देखने को मिलता है, यहां एक ऐसा कुंड है, जो नर्मदा नदी के डूब क्षेत्र के बीच स्थित है और उसका पानी हमेशा सामान्य से ज्यादा गर्म रहता है.
कहां है गरम पानी का अनोखा कुंड
मंडला जिले से करीब 25 किलोमीटर दूर बबेहा और चिरई डोंगरी के बीच स्थित है जो कि करीब 70 फिट गहरा है, ये कुंड चारों तरफ से नर्मदा नदी पर बने बरगी डैम के बैक वाटर से घिरा हुआ है. आस-पास के पानी का तापमान मौसम के लिहाज से बदलता रहता है, लेकिन सामान्य पानी के बीच इस कुंड का पानी हर मौसम में 5 से 6 डिग्री ज्यादा ही गर्म रहता है, जो लोगों के लिए कौतूहल के साथ ही धार्मिक आस्था की वजह भी है.
क्यों रहता है पानी गर्म
मंडला पुरात्तव संघ के सदस्य प्रशांत श्रीवास्तव बताते हैं कि रसायन विज्ञान के साथ ही भोगौलिक परिवर्तन पर अध्ययन करने वालों के लिए भी यह स्थान बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि जब पृथ्वी आग के गोले से ठंडी हो रही थी तब लगातार होने वाली बारिश से ऊपर की सतह तो ठंडी हुई, लेकिन भीतर का लावा आंतरिक दबाव के चलते ज्वालामुखी के जरिए बाहर आता रहता था. कुछ ज्वालामुखी बहुत बड़े तो कुछ छोटे हुआ करते थे, जिनके मुहाने कुंड का स्वरुप ले लेते थे. इसके अलावा नर्मदा और सोन नदी की वैली कभी मीठे पानी की झील हुआ करती थी. इस घाटी में प्राकृतिक भौगोलिक परिवर्तन के फलस्वरूप भूकंप और ज्वालामुखी निकलते रहे हैं. ऐसे ही एक सल्फर युक्त ज्वालामुखी के मुहाने से इस कुंड का निर्माण हुआ है. सल्फर की मौजूदगी के कारण ही इस कुंड में मौजूद पानी का तापमान अधिक ही होगा.
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कुंड से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
गर्म पानी के इस कुंड को भगवान परशुराम की तपोभूमि भी कहा जाता है. माना जाता है कि इस कुंड का पानी उनके तप के तेज की वजह से गर्म हुआ है, जिसका उल्लेख नर्मदा पुराण या अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है. इस कुंड में स्नान करने से खुजली, चर्म रोगों और दूसरी तरह की बीमारियों से निजात मिलने का दावा धार्मिक आस्था रखने वाले करते हैं. विज्ञान के मुताबिक सल्फर युक्त पानी से स्नान करने पर खुजली का दूर होना स्वाभाविक है. वहीं इस स्थान को लेकर और भी मान्यताएं हैं कि यहां मुरादें पूरी होती हैं, जिसके चलते मकर संक्रांति और शिवरात्रि जैसे पर्वों पर हजारों की संख्या में लोग यहां स्नान के लिए आते हैं.
पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण
मध्यप्रदेश पर्यटन ने इस स्थान को जब से अपने विभाग में शामिल किया है, तब से इस कुंड को चारों तरफ निर्माण कर इसे सुरक्षित किया गया. वहीं इसमें स्नान करने वाले अधिक गहराई में न जा सकें इसे देखते हुए 5 फिट नीचे जालियां लगा दी गई हैं. मुख्य मार्ग से कुंड तक पक्की सड़क और चारों तरफ सीमेंट के पक्के फर्श के साथ ही आकर्षक और आरामदेह सीढियों और चारों तरफ दीवार का निर्माण कर इसे काफी सुरक्षित किया गया है.
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भौगोलिक परिवर्तन के फलस्वरूप बने इस कुंड में सल्फर की अधिकता के कारण सामान्य से ज्यादा गर्म पानी मौजूद है, जिसका महत्व हर लिहाज से मंडला जिले के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काफी है. जरूरत है तो सिर्फ इतनी कि इसका और ज्यादा प्रचार-प्रसार किया जाए.