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अखंड सौभाग्य के लिए सुहागनों ने रखा करवा चौथ का व्रत

मण्डला में पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं निर्जला व्रत रखीं, जिसमें लगभग 50 महिलाओं ने एक साथ माता करवा की पूजा कर अखण्ड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगा.

चांद को देख कर कि पति की लंबी आयु कि कामना
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Published : Oct 17, 2019, 9:50 PM IST

मण्डला। करवा चौथ का व्रत महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इस दिन महिलाएं तब तक पानी नहीं पीतीं, जब तक चांद का दीदार न हो जाए. मण्डला के खरबंदा परिवार में आधा सैकड़ा महिलाएं करवा माता की पूजा-अर्चना कीं. इस दौरान महिलाएं सोलह श्रंगार कर पूजन सामग्री सुंदर थालियों में लेकर पहुंची और एक साथ सबने पूजा की. इन महिलाओं में नई उम्र की बहुएं भी थीं. साथ ही ऐसी महिलाएं भी थीं, जो 35 बार करवा चौथ का व्रत रख चुकी हैं.

महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत

महिलाओं ने बताया कि पति के स्वस्थ रहने की कामना के साथ ही उनकी लंबी आयु के लिए ये व्रत रखा जाता है, जिसमें सुबह महिलाएं अपने आराध्य की पूजा करती हैं. इसके बाद सात प्रकार की मिठाई, सात प्रकार के पकवान, फल आदि रखती हैं और अपनी श्रद्धा अनुसार पूजा करती हैं. इस व्रत को लेकर महिलाओं में उत्साह भी देखा जाता है. वे सोलह श्रंगार के साथ चांद निकलने के बाद उसकी पूजा करती हैं. इसके बाद पति के साथ ही चांद का दर्शन कर अखण्ड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मांगती हैं. इसके बाद पति अपनी पत्नी को जल पिला कर व्रत तोड़वाता है.

बता दें कि अखण्ड सौभाग्य और सुहाग की सलामती का ये व्रत हिन्दू धर्म और परम्परा को मानने वालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हर विवाहित महिला को ये व्रत रखना चाहिए क्योंकि पत्नी किया गया ये व्रत बड़ा ही फलदाई होता है.

मण्डला। करवा चौथ का व्रत महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इस दिन महिलाएं तब तक पानी नहीं पीतीं, जब तक चांद का दीदार न हो जाए. मण्डला के खरबंदा परिवार में आधा सैकड़ा महिलाएं करवा माता की पूजा-अर्चना कीं. इस दौरान महिलाएं सोलह श्रंगार कर पूजन सामग्री सुंदर थालियों में लेकर पहुंची और एक साथ सबने पूजा की. इन महिलाओं में नई उम्र की बहुएं भी थीं. साथ ही ऐसी महिलाएं भी थीं, जो 35 बार करवा चौथ का व्रत रख चुकी हैं.

महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत

महिलाओं ने बताया कि पति के स्वस्थ रहने की कामना के साथ ही उनकी लंबी आयु के लिए ये व्रत रखा जाता है, जिसमें सुबह महिलाएं अपने आराध्य की पूजा करती हैं. इसके बाद सात प्रकार की मिठाई, सात प्रकार के पकवान, फल आदि रखती हैं और अपनी श्रद्धा अनुसार पूजा करती हैं. इस व्रत को लेकर महिलाओं में उत्साह भी देखा जाता है. वे सोलह श्रंगार के साथ चांद निकलने के बाद उसकी पूजा करती हैं. इसके बाद पति के साथ ही चांद का दर्शन कर अखण्ड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मांगती हैं. इसके बाद पति अपनी पत्नी को जल पिला कर व्रत तोड़वाता है.

बता दें कि अखण्ड सौभाग्य और सुहाग की सलामती का ये व्रत हिन्दू धर्म और परम्परा को मानने वालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हर विवाहित महिला को ये व्रत रखना चाहिए क्योंकि पत्नी किया गया ये व्रत बड़ा ही फलदाई होता है.

Intro:मण्डला में पति की लंबी आयु के लिए महिलाओं के द्वारा निर्जला व्रत रखा गया वहीं लगभग 50 महिलाओं ने एक साथ माता करवा की पूजा कर अखण्ड सौभाग्य का आशीर्वाद माँगाBody:करवा चौथ का व्रत महिलाओं के द्वारा पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है इस दिन महिलाएं पानी भी तब तक नहीं पीती जब तक कि चाँद का दीदार न हो जाए मण्डला के खरबंदा परिवार में आधा सैकड़ा महिलाओं के द्वारा माता रानी की करवाचौथ पर पूजा अर्चना की गई,जहाँ महिलाएं पूरे सोलह श्रंगार कर पूजन सामग्री सुंदर थालियों में लेकर पहुँची और एक साथ सबने पूजा की इन महिलाओं में नई उम्र की बहुएं भी थीं वहीं ऐसी महिलाएं भी थीं जिन्हें उपवास रहते 35 साल हो चुके हैं इन महिलाओं ने बताया कि पति के स्वास्थ्य रहने की कामना के साथ ही उनकी लंबी आयु के लिए यह व्रत रखा जाता है जिसमे सुबह महिलाओं के द्वारा अपने आराध्य की पूजा की जाती है इसके बाद सात प्रकार की मिठाई,सात प्रकार के पकवान फल आदि अपनी शक्ति अनुसार पूजा की जाती है महिलाओं में इस व्रत को लेकर खाशा उत्साह भी देखा जाता है और वे पूरे सोलह श्रंगार के साथ रात्री के समय चंद्रमा निकलने के बाद उसकी पूजा करती हैं चंद्रमा को अर्ध्य देती हैं जिसके बाद छन्नी पर दीपक रख कर पति के साथ ही चाँद का दर्शन कर अखण्ड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद माँगती हैं,वहीं पति भी अपनी पत्नी को जल पिला कर पत्नी के प्रति आभार व्यक्त कर उपवास का पारण कराता हैConclusion:अखण्ड सौभाग्य और सुहाग की सलामती का यह व्रत हिन्दू धर्म और परम्परा को मानने वालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और प्रत्येक विवाहित महिलाओं को यह व्रत रखना चाहिए क्योंकि पत्नी के द्वारा किया गया यह निर्जला व्रत बड़ा ही फलदाई है।वहीं चाँद को देख कर ही पूजा अर्चना करनी चाहिए और अगर मौषम के चलते चाँद के दर्शन न हो पा रहे हों तो भी चुतुर्थ तिथि के चाँद निकलने के समय का मिलान कर ही उपवास तोड़ना चाहिये

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