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इस गांव में एक दिन पहले मनाई जाती है होली, होलिका दहन के दिन होली खेलने की हो जाती है शुरूआत

मण्डला के धनगांव गांव में एक दिन पहले मनाई जाती है होली, होलिका दहन के दिन होली खेलने की हो जाती है शुरूआत, लोगों का मानना है कि एक ही दिन पहले होली नहीं मनाने से किसी न किसी तरह की अनहोनी हो जाती है

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Published : Mar 20, 2019, 10:14 PM IST

एक दिन पहले मनायी गई होली

मण्डला। जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर एक ऐसा गांव जहां होली का त्योहार एक दिन पहले मनाने की परंपरा है. यहां होलिका दहन से लेकर धुरेड़ी और रंग पंचमी एक दिन पहले मनाई जाती है. होलिका दहन के दिन होली खेलने की शुरुआत होती है और लोग एक दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाते हुए फागुआ गाते नजर आते हैं. लोगों का कहना है कि इस गांव में एक ही दिन पहले होली नहीं मनाने से किसी न किसी तरह की अनहोनी हो जाती है.

mandla, mp
एक दिन पहले मनायी गई होली

दरअसल, पूरा देश तिथि के अनुसार एक ही दिन होली मनाता है, लेकिन मण्डला जिले की घुघरी विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले गांव धनगांव में एक दिन पहले होली मनायी जाती है. जब सारा देश होलिका दहन करता है, तब यहां एक दिन पहले ही होली जल चुकी होती है और दूसरे दिन इस गांव में होलिका दहन की राख से एक दूसरे को तिलक लगा कर होली खेलने की शुरुआत होती है और लोग एक दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाते हुए फागुआ गाते नजर आते हैं. महिलाएं इसी दिन अपने भाइयों के गले मे मिठाई की माला बंधती हैं.

एक दिन पहले मनायी गई होली

इस गांव में ज्यादा आबादी बैगा और गौड़ आदिवासियों की है साथ ही कुछ यादव भी यहां के निवासी हैं. कुल मिला कर लगभग एक हजार की जनसंख्या वाले इस गांव मे सदियों से होली, दीवाली और हरियाली अमावस्या ये तीनों त्योहार तिथि के एक दिन पहले मनाए जाते हैं. त्योहारों की परम्पराओं का निर्वाह ठीक वैसे ही होता है जैसे दूसरी जगहों पर होता है लेकिन यहां सब कुछ एक दिन पहले होता है. इसलिए यह गांव और गांवों से जुदा है.

यहां के ग्रामीणों का कहना है कुछ लोगों ने एक दो बार इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की तो उनपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. किसी न किसी तरह की अनहोनी हो जाती है. किसी के पशु की हानि, तो किसी की फसल चौपट हो गई या खड़ी फसल में आग लग गई. यहां तक कि किसी के मौत तक कि बातों ने ग्रामीणों को इतना डरा दिया कि इस परंपरा को फिर बदलने की कोशिश नहीं की गयी.

मण्डला। जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर एक ऐसा गांव जहां होली का त्योहार एक दिन पहले मनाने की परंपरा है. यहां होलिका दहन से लेकर धुरेड़ी और रंग पंचमी एक दिन पहले मनाई जाती है. होलिका दहन के दिन होली खेलने की शुरुआत होती है और लोग एक दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाते हुए फागुआ गाते नजर आते हैं. लोगों का कहना है कि इस गांव में एक ही दिन पहले होली नहीं मनाने से किसी न किसी तरह की अनहोनी हो जाती है.

mandla, mp
एक दिन पहले मनायी गई होली

दरअसल, पूरा देश तिथि के अनुसार एक ही दिन होली मनाता है, लेकिन मण्डला जिले की घुघरी विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले गांव धनगांव में एक दिन पहले होली मनायी जाती है. जब सारा देश होलिका दहन करता है, तब यहां एक दिन पहले ही होली जल चुकी होती है और दूसरे दिन इस गांव में होलिका दहन की राख से एक दूसरे को तिलक लगा कर होली खेलने की शुरुआत होती है और लोग एक दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाते हुए फागुआ गाते नजर आते हैं. महिलाएं इसी दिन अपने भाइयों के गले मे मिठाई की माला बंधती हैं.

एक दिन पहले मनायी गई होली

इस गांव में ज्यादा आबादी बैगा और गौड़ आदिवासियों की है साथ ही कुछ यादव भी यहां के निवासी हैं. कुल मिला कर लगभग एक हजार की जनसंख्या वाले इस गांव मे सदियों से होली, दीवाली और हरियाली अमावस्या ये तीनों त्योहार तिथि के एक दिन पहले मनाए जाते हैं. त्योहारों की परम्पराओं का निर्वाह ठीक वैसे ही होता है जैसे दूसरी जगहों पर होता है लेकिन यहां सब कुछ एक दिन पहले होता है. इसलिए यह गांव और गांवों से जुदा है.

यहां के ग्रामीणों का कहना है कुछ लोगों ने एक दो बार इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की तो उनपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. किसी न किसी तरह की अनहोनी हो जाती है. किसी के पशु की हानि, तो किसी की फसल चौपट हो गई या खड़ी फसल में आग लग गई. यहां तक कि किसी के मौत तक कि बातों ने ग्रामीणों को इतना डरा दिया कि इस परंपरा को फिर बदलने की कोशिश नहीं की गयी.

Intro:मण्डला जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर एक ऐसा गाँव जहाँ होली का त्योहार एक दिन पहले मनाने की परंपरा है,यहाँ होलिका दहन से लेकर धुरेड़ी और रंग पंचमी एक दिन पहले मनाई जाती है और कहते हैं इस परंपरा को यदि तोड़ने की कोसिस की गई तो आ जाती हैं प्राकृतिक आपदाएं


Body:ये फाग ये गुलाल और ये एक दूसरे को तिलक लगा रहे लोग मना रहे है होली का त्योहार लेकिन यह त्योहार मनाने का जो दिन है वह इस गाँव को सारे देश से अलग करता है,जब सारा देश होलिका दहन करता है तब यहाँ एक दिन पहले ही होली जल चुकी होती है और ये इस दिन एक दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाते हुए फागुआ गाते नज़र आते हैं,हम बात कर रहे हैं मण्डला जिले की घुघरी विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले गाँव धनगांव की जहाँ ज्यादा आबादी बैगा और गौड़ आदिवाशियों की है साथ ही कुछ यादवU भी यहाँ के निवासी हैं कुल मिला कर लगभग एक हज़ार की जनसँख्या वाले इस गाँव मे सदियों से होली दीवाली और हरियाली अमावस्या ये तीनों त्यौहार तिथि के एक दिन पहले मनाए जाते हैं और यहाँ के ग्रामीणों का कहना है एक दो बार इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश कुछ लोगों ने की तो उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा किसी के पशु की हानि तो किसी की फसल चौपट होना या खड़ी फसल में आग लग जाना यहाँ तक कि किसी के मौत तक कि बातों ने ग्रामीणों को इतना डरा दिया कि इस परंपरा फिर बदलने की कोसीस फिर नहीं की गयी


Conclusion:धनगांव में एक दिन पहले होली जलाई जाती है जिसके दूसरे दिन होलिका दहन की राख से एक दूसरे को तिलक लगा कर होली का रंग खेलने की शुरुआत होती है,महिलाएं इसी दिन अपने भाइयों के गले मे मिठाई की माला बंधती हैं,और लोग इकट्ठे होकर एक दूसरे के घरों में जाकर फागुआ गाते हैं,त्योहारों की परम्पराओं का निर्वाह ठीक वैसे ही होता है जैसे दूसरी जगहों पर होता है लेकिन यहाँ सब कुछ होता है एक दिन पहले इस लिए यह गांव है औरों से जुदा।

बाईट -- हरि यादव
चैतू मार्को
सुंदर लाल
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