मण्डला। जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर एक ऐसा गांव जहां होली का त्योहार एक दिन पहले मनाने की परंपरा है. यहां होलिका दहन से लेकर धुरेड़ी और रंग पंचमी एक दिन पहले मनाई जाती है. होलिका दहन के दिन होली खेलने की शुरुआत होती है और लोग एक दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाते हुए फागुआ गाते नजर आते हैं. लोगों का कहना है कि इस गांव में एक ही दिन पहले होली नहीं मनाने से किसी न किसी तरह की अनहोनी हो जाती है.
दरअसल, पूरा देश तिथि के अनुसार एक ही दिन होली मनाता है, लेकिन मण्डला जिले की घुघरी विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले गांव धनगांव में एक दिन पहले होली मनायी जाती है. जब सारा देश होलिका दहन करता है, तब यहां एक दिन पहले ही होली जल चुकी होती है और दूसरे दिन इस गांव में होलिका दहन की राख से एक दूसरे को तिलक लगा कर होली खेलने की शुरुआत होती है और लोग एक दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाते हुए फागुआ गाते नजर आते हैं. महिलाएं इसी दिन अपने भाइयों के गले मे मिठाई की माला बंधती हैं.
इस गांव में ज्यादा आबादी बैगा और गौड़ आदिवासियों की है साथ ही कुछ यादव भी यहां के निवासी हैं. कुल मिला कर लगभग एक हजार की जनसंख्या वाले इस गांव मे सदियों से होली, दीवाली और हरियाली अमावस्या ये तीनों त्योहार तिथि के एक दिन पहले मनाए जाते हैं. त्योहारों की परम्पराओं का निर्वाह ठीक वैसे ही होता है जैसे दूसरी जगहों पर होता है लेकिन यहां सब कुछ एक दिन पहले होता है. इसलिए यह गांव और गांवों से जुदा है.
यहां के ग्रामीणों का कहना है कुछ लोगों ने एक दो बार इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की तो उनपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. किसी न किसी तरह की अनहोनी हो जाती है. किसी के पशु की हानि, तो किसी की फसल चौपट हो गई या खड़ी फसल में आग लग गई. यहां तक कि किसी के मौत तक कि बातों ने ग्रामीणों को इतना डरा दिया कि इस परंपरा को फिर बदलने की कोशिश नहीं की गयी.