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पहले कांग्रेस तो अब कुलस्ते का गढ़ बना मंडला, उधल-पुधल भरा रहा 2019

साल 2019 मंडला की राजनीति के लिए काफी उधल-भरा रहा. 2018 के विधानसभा चुनाव में अपने संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के बढ़त बना लेने से जहां फग्गन सिंह कुलस्ते की राजनीति खतरे में लगी, वहीं काफी करीबी लड़ाई के बाद लोकसभा चुनाव जीतने पर जब उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया तो उनका राजनीतिक कद भी बढ़ा. आइए जानते हैं कैसा रहा मंडला की राजनीति के लिए साल 2019...

Faggan Singh Kulaste
Faggan Singh Kulaste
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Published : Dec 27, 2019, 4:49 AM IST

मंडला। साल 2019 की शुरूआत मंडला जिले की राजनीति में उठल-पुधल भरी रही. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में यहां से सांसद रहे फग्गन सिंह कुलस्ते 2018 के विधानसभा चुनावों में अपने संसदीय क्षेत्र की 8 में से सिर्फ 2 सीटें ही बीजेपी को जिता पाए. वहीं तीन बार निवास विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे, उनके छोटे भाई रामप्यारे कुलस्ते को भी चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था.

उधल-पुधल भरा रहा मंडला की राजनीति के लिए साल 2019

भाई की हार को फग्गन सिंह कुलस्ते की जमीन खिसकने जैसा देखा जाने लगा क्योंकि 28 हजार वोटों से कांग्रेस के डॉ अशोक मर्सकोले ने कुलस्ते के गढ़ में उनके छोटे भाई को पटखनी दी थी. अब चुनौती भरी राह कुलस्ते के लिए थी क्योंकि संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस ने सेंध लगा दी थी.

बीजेपी ने फिर जताया कुलस्ते पर भरोसा

लोकसभा चुनाव की शुरुआत के पहले ही फग्गन सिंह कुलस्ते एक निजी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में फंसते हुए नजर आए, जिसकी काफी चर्चा भी हुई. बावजूद इसके बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से फग्गन सिंह कुलस्ते पर दांव खेला.

Union Minister Faggan Singh Kulaste
केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते

चर्चा तो यह भी थी कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ मंडला संसदीय क्षेत्र से मैदान पर उतार सकती है, जिनके नाम का पर्चा भी खरीदा जा चुका था. लेकिन तबीयत का हवाला देते हुए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया.

दूसरी तरफ फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ प्रत्याशी उतारने में कांग्रेस को भी काफी समय लगा. कई चेहरों के बीच आखिरकार कांग्रेस ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी में रहे और उसे छोड़ कर कांग्रेस ज्वाइन किए कमल सिंह मरावी को अपना प्रत्याशी बनाया, जिनके बीच मुकाबला तगड़ा लग रहा था.

Faggan Singh with activists
कार्यकर्ताओं के साथ फग्गन सिंह

जीते भी और मोदी सरकार-2 में मंत्री भी बने कुलस्ते

गोंगपा भी लगातार कुलस्ते की मुसीबतें बढ़ा रही थी, ऐसे में ऊंट किस करवट बैठेगा यह किसी को समझ नहीं आ रहा था. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा उठाए गए राष्ट्रहित और पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों के सहारे फग्गन सिंह कुलस्ते अपनी साख बचाने में कामयाब रहे और लगभग एक लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीत गए.

जिसका उन्हें इनाम भी मिला मोदी सरकार-2 में कुलस्ते केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री बनाए गए क्योंकि जहां कुलस्ते के प्रचार के लिए भाजपा का कोई बड़ा चेहरा पूरे चुनाव के दौरान नहीं पहुंचा वहीं प्रदेश के मुखिया कमलनाथ खुद कांग्रेश के कमल को जिताने कई आमसभा कर चुके थे, जिनमें भीड़ भी काफी उमड़ी थी.

Faggan Singh taking oath as minister
मंत्री पद की शपथ लेते फग्गन सिंह

कुलस्ते का गढ़ बना मंडला

मंडला की राजनीति कभी कांग्रेस पार्टी के इर्द-गिर्द ही घूमा करती थी, लेकिन राजनीति में फग्गन सिंह कुलस्ते की एंट्री के बाद से लगातार बीजेपी ने कांग्रेस के इस गढ़ को भेदा और 7 में से 6 चुनाव बीजेपी फग्गन सिंह कुलस्ते के कारण ही जीत पाई.

बात अगर स्थानीय मुद्दों की करें तो लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे ही हावी रहे. कुलस्ते के द्वारा अपने कार्यकाल में मंडला और जबलपुर सड़क ना बना पाना और बेरोजगारी, पलायन, शिक्षा के क्षेत्र में कुछ ना कर पाना जैसे मुद्दे दब कर रह गए.

मंडला। साल 2019 की शुरूआत मंडला जिले की राजनीति में उठल-पुधल भरी रही. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में यहां से सांसद रहे फग्गन सिंह कुलस्ते 2018 के विधानसभा चुनावों में अपने संसदीय क्षेत्र की 8 में से सिर्फ 2 सीटें ही बीजेपी को जिता पाए. वहीं तीन बार निवास विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे, उनके छोटे भाई रामप्यारे कुलस्ते को भी चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था.

उधल-पुधल भरा रहा मंडला की राजनीति के लिए साल 2019

भाई की हार को फग्गन सिंह कुलस्ते की जमीन खिसकने जैसा देखा जाने लगा क्योंकि 28 हजार वोटों से कांग्रेस के डॉ अशोक मर्सकोले ने कुलस्ते के गढ़ में उनके छोटे भाई को पटखनी दी थी. अब चुनौती भरी राह कुलस्ते के लिए थी क्योंकि संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस ने सेंध लगा दी थी.

बीजेपी ने फिर जताया कुलस्ते पर भरोसा

लोकसभा चुनाव की शुरुआत के पहले ही फग्गन सिंह कुलस्ते एक निजी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में फंसते हुए नजर आए, जिसकी काफी चर्चा भी हुई. बावजूद इसके बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से फग्गन सिंह कुलस्ते पर दांव खेला.

Union Minister Faggan Singh Kulaste
केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते

चर्चा तो यह भी थी कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ मंडला संसदीय क्षेत्र से मैदान पर उतार सकती है, जिनके नाम का पर्चा भी खरीदा जा चुका था. लेकिन तबीयत का हवाला देते हुए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया.

दूसरी तरफ फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ प्रत्याशी उतारने में कांग्रेस को भी काफी समय लगा. कई चेहरों के बीच आखिरकार कांग्रेस ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी में रहे और उसे छोड़ कर कांग्रेस ज्वाइन किए कमल सिंह मरावी को अपना प्रत्याशी बनाया, जिनके बीच मुकाबला तगड़ा लग रहा था.

Faggan Singh with activists
कार्यकर्ताओं के साथ फग्गन सिंह

जीते भी और मोदी सरकार-2 में मंत्री भी बने कुलस्ते

गोंगपा भी लगातार कुलस्ते की मुसीबतें बढ़ा रही थी, ऐसे में ऊंट किस करवट बैठेगा यह किसी को समझ नहीं आ रहा था. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा उठाए गए राष्ट्रहित और पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों के सहारे फग्गन सिंह कुलस्ते अपनी साख बचाने में कामयाब रहे और लगभग एक लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीत गए.

जिसका उन्हें इनाम भी मिला मोदी सरकार-2 में कुलस्ते केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री बनाए गए क्योंकि जहां कुलस्ते के प्रचार के लिए भाजपा का कोई बड़ा चेहरा पूरे चुनाव के दौरान नहीं पहुंचा वहीं प्रदेश के मुखिया कमलनाथ खुद कांग्रेश के कमल को जिताने कई आमसभा कर चुके थे, जिनमें भीड़ भी काफी उमड़ी थी.

Faggan Singh taking oath as minister
मंत्री पद की शपथ लेते फग्गन सिंह

कुलस्ते का गढ़ बना मंडला

मंडला की राजनीति कभी कांग्रेस पार्टी के इर्द-गिर्द ही घूमा करती थी, लेकिन राजनीति में फग्गन सिंह कुलस्ते की एंट्री के बाद से लगातार बीजेपी ने कांग्रेस के इस गढ़ को भेदा और 7 में से 6 चुनाव बीजेपी फग्गन सिंह कुलस्ते के कारण ही जीत पाई.

बात अगर स्थानीय मुद्दों की करें तो लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे ही हावी रहे. कुलस्ते के द्वारा अपने कार्यकाल में मंडला और जबलपुर सड़क ना बना पाना और बेरोजगारी, पलायन, शिक्षा के क्षेत्र में कुछ ना कर पाना जैसे मुद्दे दब कर रह गए.

Intro:मण्डला जिले की 2019 राजनीतिक हलचल


2018 के विधानसभा चुनावों में मंडला जिले के कद्दावर नेता और भारतीय जनता पार्टी के सांसद जहां अपने संसदीय क्षेत्र की 8 में से सिर्फ 2 सीट भारतीय जनता पार्टी को जिता पाए वहीं तीन बार निवास क्षेत्र से विधायक रहे उनके छोटे भाई रामप्यारे कुलस्ते को भी उन चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था इस लिहाज से 2019 की शुरुआत मंडला जिले के लिए राजनैतिक दृष्टि से काफी उथल-पुथल भरा रहा


Body:2018 के आखिर में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में मंडला जिले की 3 सीट में से महज एक विधानसभा सीट पर ही भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल हुई जबकि इसके पहले दो सीट भाजपा के पास थी सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते के भाई रामप्यारे कुलस्ते का चुनाव हारना भारतीय जनता पार्टी के बड़े चेहरे और कद्दावर नेता फग्गन सिंह कुलस्ते की जमीन खिसकने जैसा देखा जाने लगा क्योंकि 28 हज़र वोटों से कांग्रेस ने कुलस्ते के गढ़ में भाजपा को पटखनी दी थी दूसरी तरफ 19000 से ज्यादा वोटों से नारायण सिंह पट्टा ने भाजपा की उम्मीदवार शिवराज शाह को हराया अब चुनौती भरी राह कुलस्ते के लिए थी क्योंकि उनके संसदीय क्षेत्र में आने वाली 8 में से 6 सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया लोकसभा चुनाव की शुरुआत के पहले ही फग्गन सिंह कुलस्ते एक निजी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में फँसते हुए नजर आए जिसकी काफी चर्चा भी हुई बावजूद इसके भारतीय जनता पार्टी ने फिर से फग्गन सिंह कुलस्ते पर दांव खेला चर्चा तो यह भी थी कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ मंडला संसदीय क्षेत्र से मैदान पर उतार सकती है जिनके नाम का पर्चा भी खरीदा जा चुका था लेकिन तबीयत का हवाला देते हुए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया दूसरी तरफ फग्गन सिंह कुलस्ते के खिलाफ प्रत्याशी उतारने में कांग्रेस को भी काफी समय लगा कई चेहरों के बीच आखिरकार कांग्रेस ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी में रहे और उसे छोड़ कर कांग्रेस ज्वाइन किए कमल सिंह मरावी को अपना प्रत्याशी बनाया जिनके बीच मुकाबला तगड़ा लग रहा था गोंडवाना भी लगातार कुलस्ते की मुसीबतें बढ़ा रही थी ऐसे में ऊँठ किस करवट बैठेगा यह किसी को समझ नहीं आ रहा था लेकिन राष्ट्रीयता की और मोदी के द्वारा उठाए गए राष्ट्रहित के मुद्दे पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों के सहारे फग्गन सिंह कुलस्ते अपनी साख बचाने में कामयाब रहे और लगभग 1लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीत गए जिसका उन्हें इनाम भी मिला मोदी सरकार पार्ट टू में कुलस्ते केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री बनाया गया,क्योंकि जहाँ कुलस्ते के प्रचार के लिए भाजपा का कोई बड़ा चेहरा पूरे चुनाव के दौरान नहीं पहुंचा वहीं प्रदेश के मुखिया कमलनाथ खुद कॉंग्रेश के कमल को जिताने कई आमसभा कर चुके थे जिनमें भीड़ भी काफी उमड़ी


Conclusion:मण्डला की राजनीति कभी कॉन्ग्रेस पार्टी के इर्द-गिर्द ही घूमा करती थी लेकिन राजनीति में फग्गन सिंह कुलस्ते की एंट्री के बाद से लगातार भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेश के इस गढ़ को भेदा और 7 में से 6 चुनाव भारतीय जनता पार्टी फग्गन सिंह कुलस्ते के कारण ही जीत पाई बात अगर स्थानीय मुद्दों की करें तो लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे ही हावी रहे कुलस्ते के द्वारा अपने कार्यकाल में मंडला और जबलपुर सड़क ना बना पाना और बेरोजगारी पलायन शिक्षा के क्षेत्र में कुछ ना कर पाना जैसे मुद्दे दब कर रह गए।

बाईट--सुधीर उपाध्याय, वरिष्ट पत्रकार
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