मण्डला। जिले के लगभग हर एक गांव में खेती के लिए रासायनिक खाद की जगह किसान, वर्मी कम्पोस्ट से तैयार खाद का उपयोग कर रहे हैं. जिसे किसान अपने खेतों में खुद ही तैयार कर रहे हैं. किसान रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद का ही उपयोग करते हैं, जिससे इन्हें खाद खरीदने की झंझट से मुक्ति मिल रही है तो वहीं, कीमत के लिहाज से किसानों को काफी बचत हो रही है. साथ ही मिट्टी की उर्वरकता भी संतुलित रहती है.
जिले के किसान खाद बनाने में माहिर हो चले हैं यहां ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों के खेतों में और घर के आसपास बनी, बाड़ियों में जगह-जगह वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के सीमेंट, फाइबर के टांके नजर आ जाएंगे.
वर्मी खाद के जानकार विवेक जैन के अनुसार इस खाद का सबसे पहला फायदा यह है, कि गाय- बैल के मलमूत्र की गंदगी दूर हो जाती है इसके साथ ही जो उनका भूसा, घास बच जाता है, उसका उपयोग इसे बनाने में किया जा सकता है. इसके अलावा घर में बचे हुए सब्जी के छिलते इत्यादी का उपयोग करके खाद बनाई जा सकती है.
ऐसे समझे विधि
⦁ मण्डला के किसान तैयार कर रहे है वर्मी कम्पोस्ट से खाद
⦁ वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए सीमेंट टैंक, जमीन पर गड्ढाकर या फिर तारकोल के बैग का उपयोग किया जा सकता है
⦁ सबसे नीचे एक मिट्टी की लेयर बनाने के बाद उसके ऊपर रोज निकले हुए घरेलू सब्जियों के छिलके या फिर मवेशियों का बचाए हुआ घास फूस और गोबर रोज डालने पड़ता है.
⦁ खाद बनाने के लिए केंचुएं छोड़ दिये जाते हैं, साथ ही इतनी नमी होनी चाहिए कि केंचुएं आसानी से अपनी संख्या बढ़ा सकें.
⦁ इस तरह से केंचुए पूरे टैंक को वर्मी कम्पोस्ट खाद में बदल देते हैं.
⦁ दानेदार और भुरभुरी रहती है वर्मी कम्पोस्ट