मंडला। कहते हैं कि पढ़ाई लिखाई कभी व्यर्थ नहीं जाती, इसे सच साबित किया है मण्डला जिले की नैनपुर तहसील के धतूरा, अलीपुर गांव में रहने वाले किसान शिव कुमार ठाकुर ने. जिन्होंने प्लांट पैथोलॉजी में एमएससी करने के बाद अपनी जमीन पर खेती के साथ ही वेल्डिंग का व्यवसाय शुरु किया और पांच साल की मेहनत के बाद बना दिया एक ऐसा पम्प जो बिना किसी खर्च के 24 घण्टे लगातार खेतों की सिंचाई के लिए पानी फेंकता है. बड़ी आसानी से पूरे फोर्स के साथ सैकड़ों एकड़ के रकबे की सिंचाई इसके जरिए होती है.
कैसे बना हाइड्रो पॉवर पम्प
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आवाजाही से परेशान और ईंधन के लगातार बढ़ते दाम खेती किसानी के लिए समस्या पैदा करते हैं. ऐसे में बिजली की राह तकते हमेशा शिव कुमार को यही लगता था कि काश ऐसा कोई पम्प हो जो बिना ईंधन या बिजली के चले. बस यहीं से हुई शुरुआत और पढ़े-लिखे किसान शिव कुमार ने कर दिया आविष्कार.
कैसे करता है काम
शिव कुमार ठाकुर ने इस पम्प को हाइड्रो पॉवर पम्प नाम दिया है जिसकी क्षमता पांच हॉर्स पॉवर की है. ये पानी के बहाव से पैदा होने वाले बल पर काम करता है और इस बहाव की मदद से इसके रनर को घुमाता है. रनर से इसके गियरबॉक्स के सहारे पम्प घूमने लगता है, जिसे घुमाने के लिए या तो बिजली चाहिए या फिर ईंधन वाली मोटर. लेकिन इस पम्प में रनर मोटर को घुमाता है और ठीक वैसे ही वेग से पानी की सप्लाई होती है, जो दूसरी मोटर करती है. खास बात यह कि यह पूरी तरह से मेंटेनेंस फ्री है और इसमें खराबी की संभावनाएं बहुत ही कम हैं.
सैकड़ों एकड़ में हो रही सिंचाई
बिना खर्च चलने वाले इस यंत्र के रनर को एक व्हील के द्वारा ऊपर नीचे करने की भी व्यवस्था की गई है जो आसानी से एक व्यक्ति कर सकता है. जब पानी चाहिए तो रनर को नीचे और जब पम्प बंद करना हो तो रनर को ऊपर किया जा सकता है. शिव कुमार ठाकुर इस पम्प से खुद के साथ ही दूसरे किसानों की सैकड़ों एकड़ खेतों की सिंचाई कर रहे हैं.
पेटेंट कराने की तैयारी, रिमोट से चलेगा नैनो पम्प
शिव कुमार का कहना है कि अब वे इसका सफल परीक्षण कर चुके हैं और पम्प को पेटेंट कराने के लिए भी आवेदन कर चुके हैं. वहीं उनके द्वारा अब सारी तैयारी नैनो टेक्नोलॉजी के पम्प की है जो अगले सीजन तक बन कर तैयार हो जाएगा, जिसके रनर डाउन और लिफ्ट अप रिमोट से होंगे. किसानों के मोबाईल से ही इसे संचालित किया जा सकेगा. इसकी पूरी तैयारी के साथ परिक्षण भी किया जा चुका है, जो पूरी तरह से किसानों को बिजली के इंतजार, ईंधन की झंझट के साथ ही सभी तरह के खर्चों से मुक्ति दिलाएगा.
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बता दें, 1989 में सिवनी से प्लांट पैथोलॉजी में एमएससी कर चुके शिव कुमार मध्यप्रदेश के ऐसे एक मात्र किसान हैं, जो देश भर के चुने गए 52 किसानों के साथ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के इनोवेशन सेंटर में दो महीने के इनक्यूबेटर प्रोग्राम का हिस्सा रहे हैं. वो लगातार कृषि में नई तकनीकों के साथ ही पर्यावरण के संरक्षण पर कार्य करते हैं.