मंडला। पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने मंडला लोकसभा सीट से छटवीं बार लोकसभा चुनाव रिकार्ड बनाया है. इस बार उन्होंने कांग्रेस के कमल सिंह मरावी को हराया है, लेकिन अगर जीत के सही मायने देखे जाये तो इस लोकसभा चुनाव में उनकी चुनावी वैतरणी पीएम मोदी के सहारे पार लग पाई हैं क्योंकि जिस तरह से चुनाव के दौरान जनसंपर्क में भारी विरोध का सामना करना पड़ा था. इससे कहीं न कहीं बीजेपी की मुश्किलें भी बढ़ गई थी.
मंडला संसदीय क्षेत्र के मतदाता अब भी बुनियादी समस्याओं से परेशान नजर आते हैं. जिनकों सुलझाना कुलस्ते के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. यहां बेरोजगारी,पानी, स्वास्थ्य, और जबलपुर मंडला नेशनल हाईवे-30 जो साढ़े चार साल से अधूरा पड़ा है. जिन पर काम करना फग्गन सिंह कुलस्ते के लिए जरुरी हैं. एनडीए की दोनों सरकार में मंत्री रहे कुलस्ते को इस बार विरोध का सामना भी करना पड़ा लेकिन आखिरकार उनको जीत मिली हैं.
हालांकि फग्गन सिंह कुलस्ते भी समझ चुके है और जनता के बीच कई दफा उन्होंने यह स्वीकार भी किया कि क्षेत्र की इन समस्याओं से जनता को वे निदान नहीं दिला सके हैं. लिहाजा जनता की नाराजगी 8 में से 5 विधानसभा क्षेत्रों में देखी भी गयी और कुलस्ते यहां 50 हजार वोटों से पिछड़े भी, लेकिन नरेंद्र मोदी की जनहित की योजनओं के तहत बनाए गए शौचालय, गैस कनेक्शन,जनधन और सर्जिकल से लेकर एयर स्ट्राइक मुद्दें पर चुनाव लड़ कर कुलस्ते छठवीं बार तो चुनाव जीत गए, लेकिन स्थानीय मुद्दे को सुलझाने और इनका स्थाई समाधान निकालने का बोझ उन पर हमेशा रहेगा.
ये चुनौतियां है फग्गन सिंह के सामने
कुलस्ते जानते हैं कि मंडला लोकसभा क्षेत्र में कोई कारखाना या उद्योग स्थापित कराना होगा, तभी यहां की बेरोजगारी की समस्या और पलायन का हल निकल सकता है. वहीं कहीं न कहीं उन्हें यह भी मलाल है कि मोदी सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री रहने के बाद भी यहां की स्वास्थ्य सुविधाओं और डॉक्टर की कमी से वे पार नहीं पा सके. मंडला संसदीय क्षेत्र में पानी की समस्या सबसे बड़ी चुनौती है. जिस पर काम करना सबसे जरुरी है.