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मंडला सीट से कुलस्ते ने लगाया जीत का छक्का, इन चुनौतियों से पार पाना नहीं है आसान - Mandla

मंडला संसदीय क्षेत्र के मतदाता अब भी बुनियादी समस्याओं से परेशान नजर आते हैं. जिनकों सुलझाना कुलस्ते के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. यहां बेरोजगारी,पानी, स्वास्थ्य, और जबलपुर मंडला नेशनल हाईवे-30 जो साढ़े चार साल से अधूरा पड़ा है.

नवनिर्वाचित सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते
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Published : May 25, 2019, 1:16 PM IST

मंडला। पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने मंडला लोकसभा सीट से छटवीं बार लोकसभा चुनाव रिकार्ड बनाया है. इस बार उन्होंने कांग्रेस के कमल सिंह मरावी को हराया है, लेकिन अगर जीत के सही मायने देखे जाये तो इस लोकसभा चुनाव में उनकी चुनावी वैतरणी पीएम मोदी के सहारे पार लग पाई हैं क्योंकि जिस तरह से चुनाव के दौरान जनसंपर्क में भारी विरोध का सामना करना पड़ा था. इससे कहीं न कहीं बीजेपी की मुश्किलें भी बढ़ गई थी.

नवनिर्वाचित सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते

मंडला संसदीय क्षेत्र के मतदाता अब भी बुनियादी समस्याओं से परेशान नजर आते हैं. जिनकों सुलझाना कुलस्ते के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. यहां बेरोजगारी,पानी, स्वास्थ्य, और जबलपुर मंडला नेशनल हाईवे-30 जो साढ़े चार साल से अधूरा पड़ा है. जिन पर काम करना फग्गन सिंह कुलस्ते के लिए जरुरी हैं. एनडीए की दोनों सरकार में मंत्री रहे कुलस्ते को इस बार विरोध का सामना भी करना पड़ा लेकिन आखिरकार उनको जीत मिली हैं.

हालांकि फग्गन सिंह कुलस्ते भी समझ चुके है और जनता के बीच कई दफा उन्होंने यह स्वीकार भी किया कि क्षेत्र की इन समस्याओं से जनता को वे निदान नहीं दिला सके हैं. लिहाजा जनता की नाराजगी 8 में से 5 विधानसभा क्षेत्रों में देखी भी गयी और कुलस्ते यहां 50 हजार वोटों से पिछड़े भी, लेकिन नरेंद्र मोदी की जनहित की योजनओं के तहत बनाए गए शौचालय, गैस कनेक्शन,जनधन और सर्जिकल से लेकर एयर स्ट्राइक मुद्दें पर चुनाव लड़ कर कुलस्ते छठवीं बार तो चुनाव जीत गए, लेकिन स्थानीय मुद्दे को सुलझाने और इनका स्थाई समाधान निकालने का बोझ उन पर हमेशा रहेगा.

ये चुनौतियां है फग्गन सिंह के सामने
कुलस्ते जानते हैं कि मंडला लोकसभा क्षेत्र में कोई कारखाना या उद्योग स्थापित कराना होगा, तभी यहां की बेरोजगारी की समस्या और पलायन का हल निकल सकता है. वहीं कहीं न कहीं उन्हें यह भी मलाल है कि मोदी सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री रहने के बाद भी यहां की स्वास्थ्य सुविधाओं और डॉक्टर की कमी से वे पार नहीं पा सके. मंडला संसदीय क्षेत्र में पानी की समस्या सबसे बड़ी चुनौती है. जिस पर काम करना सबसे जरुरी है.

मंडला। पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने मंडला लोकसभा सीट से छटवीं बार लोकसभा चुनाव रिकार्ड बनाया है. इस बार उन्होंने कांग्रेस के कमल सिंह मरावी को हराया है, लेकिन अगर जीत के सही मायने देखे जाये तो इस लोकसभा चुनाव में उनकी चुनावी वैतरणी पीएम मोदी के सहारे पार लग पाई हैं क्योंकि जिस तरह से चुनाव के दौरान जनसंपर्क में भारी विरोध का सामना करना पड़ा था. इससे कहीं न कहीं बीजेपी की मुश्किलें भी बढ़ गई थी.

नवनिर्वाचित सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते

मंडला संसदीय क्षेत्र के मतदाता अब भी बुनियादी समस्याओं से परेशान नजर आते हैं. जिनकों सुलझाना कुलस्ते के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. यहां बेरोजगारी,पानी, स्वास्थ्य, और जबलपुर मंडला नेशनल हाईवे-30 जो साढ़े चार साल से अधूरा पड़ा है. जिन पर काम करना फग्गन सिंह कुलस्ते के लिए जरुरी हैं. एनडीए की दोनों सरकार में मंत्री रहे कुलस्ते को इस बार विरोध का सामना भी करना पड़ा लेकिन आखिरकार उनको जीत मिली हैं.

हालांकि फग्गन सिंह कुलस्ते भी समझ चुके है और जनता के बीच कई दफा उन्होंने यह स्वीकार भी किया कि क्षेत्र की इन समस्याओं से जनता को वे निदान नहीं दिला सके हैं. लिहाजा जनता की नाराजगी 8 में से 5 विधानसभा क्षेत्रों में देखी भी गयी और कुलस्ते यहां 50 हजार वोटों से पिछड़े भी, लेकिन नरेंद्र मोदी की जनहित की योजनओं के तहत बनाए गए शौचालय, गैस कनेक्शन,जनधन और सर्जिकल से लेकर एयर स्ट्राइक मुद्दें पर चुनाव लड़ कर कुलस्ते छठवीं बार तो चुनाव जीत गए, लेकिन स्थानीय मुद्दे को सुलझाने और इनका स्थाई समाधान निकालने का बोझ उन पर हमेशा रहेगा.

ये चुनौतियां है फग्गन सिंह के सामने
कुलस्ते जानते हैं कि मंडला लोकसभा क्षेत्र में कोई कारखाना या उद्योग स्थापित कराना होगा, तभी यहां की बेरोजगारी की समस्या और पलायन का हल निकल सकता है. वहीं कहीं न कहीं उन्हें यह भी मलाल है कि मोदी सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री रहने के बाद भी यहां की स्वास्थ्य सुविधाओं और डॉक्टर की कमी से वे पार नहीं पा सके. मंडला संसदीय क्षेत्र में पानी की समस्या सबसे बड़ी चुनौती है. जिस पर काम करना सबसे जरुरी है.

Intro:मण्डला लोकसभा क्षेत्र से फग्गनसिंह कुलस्ते 6वी बार जीत तो गए लेकिन सही मायने में देखा जाए तो इन चुनावों में कुलस्ते मोदी के सहारे ही चुनावी वैतरणी को पार कर पाए हैं नहीं तो लोकसभा क्षेत्र में 5 बार जीत चुके कुलस्ते के द्वारा बुनियादी समस्याओं को न सुलझा पाना उनकी राह में बड़े रोड़े थे


Body:मण्डला लोकसभा क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या,पानी की कमी स्वास्थ्य की सुविधाओं और जबलपुर मण्डला नैशनल हाइवे 30 मार्ग का साढ़े चार साल में नहीं बन पाना ऐसी समस्याएं हैं जिन पर 5 बार जीत चुके और इस लोकसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करते हुए केंद्रीय मंत्री का पद तक पा चुके फग्गनसिंह कुलस्ते के द्वारा कोई ठोस कदम न उठा पाना और बुनियादी समस्याओं को ही हल न कर पाना उनके लिए एंटी इनकम्बेंसी की बजह बना हुआ तहस,कुलस्ते के विरोध का आलम यह था कि विधानसभा चुनावों में वे 8 में से सिर्फ दो सीट पर ही कमल खिला पाए थे और यही मतदाताओं का विरोध लोकसभा चुनावों के दौरान अमूमन पूरे लोकसभा क्षेत्र में देखा गया था, इस बात को फग्गनसिंह कुलस्ते भी समझ चुके थे और जनता के बीच दर्जनों बार उन्होंने यह स्वीकार भी किया कि क्षेत्र की इन समस्याओं से वे पार नहीं पा सके हैं,जनता की नाराजगी 8 में से 5 विधानसभा क्षेत्रों में देखी भी गयी और कुलस्ते यहाँ 50 हज़ार वोटों से पिछड़े भी लेकिन नरेन्द्र मोदी की जन हित की योजनाओं, बनाए गए सौचालय, गैश कनेक्शन,जनधन और सर्जिकल से लेकर एयर स्ट्राइक मुद्दे पर चुनाव लड़ कर कुलस्ते छठवीं बार तो चुनाव जीत गए लेकिन स्थानीय मुद्दे को सुलझाने और इनका स्थाई समाधान निकालने का बोझ उन पर हमेसा रहेगा


Conclusion:कुलस्ते जानते हैं कि मण्डला लोकसभा क्षेत्र में कोई कारखाना या उद्योग स्थापित कराना होगा तभी यहाँ की बेरोजगारी की समस्या औऱ पलायन का हल निकल पाएगा वहीं कहीं न कहीं उन्हें यह भी मलाल है कि मोदी सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री रहने के बाद भी यहाँ की स्वास्थ्य सुविधाओं और डॉक्टर की कमी से वे पार नहीं पा सके,फग्गनसिंह कुलस्ते के सामने नैशनल हाई वे 30 का साढ़े चार साल से चल रहा कछुआ चाल से निर्माण कार्य और पानी की समस्या पूरे 8 विधानसभा क्षेत्र में होना भी बड़ी चुनोती होगी जिन से यदि कुलस्ते न निपट सके तो उन्हें निश्चित ही जनता की नाराजगी झेलनी पड़ेगी।
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