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ऐतिहासिक हिरदेनगर पशु मेले के बाद गंदगी का अंबार, स्वच्छता अभियान की खुली पोल

आलम ये है कि गंदगी से फैल रही बदबू पूरे हिरदेनगर के निवासियों के लिए मुसीबत का सबब बन रही है, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. मेला स्थल पर पशुओं के मल-मूत्र, मरे हुए पशुओं की हड्डियां, सड़े हुए संतरों का ढेर लगा हुआ है.

गंदगी का अंबार
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Published : Mar 26, 2019, 1:38 PM IST

मंडला। केंद्र और राज्य सरकार भले ही स्वच्छता को लेकर कितने भी अभियान चला रही हो, लेकिन स्थानीय प्रशासन इसके लिए गंभीर नजर नहीं आ रहा है. मचलेश्वर मेले के नाम से प्रदेशभर में मशहूर हिरदेनगर में पशु मेले के खत्म होने के बाद यहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है.

historical Hirdaygan cattle fair
गंदगी का अंबार

आलम ये है कि गंदगी से फैल रही बदबू पूरे हिरदेनगर के निवासियों के लिए मुसीबत का सबब बन रही है, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. मेला स्थल पर पशुओं के मल-मूत्र, मरे हुए पशुओं की हड्डियां, सड़े हुए संतरों का ढेर लगा हुआ है.

गंदगी का अंबार स्वच्छता अभियान पर सवालिया निशान खड़ा करने के लिए काफी है. हैरानी की बात ये है कि मेले को खत्म हुए एक सप्ताह बीत चुका है, बावजूद इसके बदबूदार गंदगी का अंबार न तो मेला आयोजन समिति को नजर आ रहा है और न ही नगरपालिका परिषद को नजर आ रहा है.

गंदगी का अंबार

जिनके नाम पर मचलेश्वर मेला पड़ा, उनके पोते प्रफुल्ल मिश्रा का कहना है कि इस गंदगी पर मेला आयोजन समिति और नगरपालिका परिषद का रवैया घोर लापरवाही भरा है. बता दें कि इनकी 75 प्रतिशत जमीन पर 15 दिनों के लिए निःशुल्क इस मेले का आयोजन होता है. उन्होंने कहा कि मेला आयोजन समिति और नगर परिषद को इस ओर ध्यान देना चाहिए, ताकि स्थानीय लोगों को दिक्कत न हो.

मंडला। केंद्र और राज्य सरकार भले ही स्वच्छता को लेकर कितने भी अभियान चला रही हो, लेकिन स्थानीय प्रशासन इसके लिए गंभीर नजर नहीं आ रहा है. मचलेश्वर मेले के नाम से प्रदेशभर में मशहूर हिरदेनगर में पशु मेले के खत्म होने के बाद यहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है.

historical Hirdaygan cattle fair
गंदगी का अंबार

आलम ये है कि गंदगी से फैल रही बदबू पूरे हिरदेनगर के निवासियों के लिए मुसीबत का सबब बन रही है, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. मेला स्थल पर पशुओं के मल-मूत्र, मरे हुए पशुओं की हड्डियां, सड़े हुए संतरों का ढेर लगा हुआ है.

गंदगी का अंबार स्वच्छता अभियान पर सवालिया निशान खड़ा करने के लिए काफी है. हैरानी की बात ये है कि मेले को खत्म हुए एक सप्ताह बीत चुका है, बावजूद इसके बदबूदार गंदगी का अंबार न तो मेला आयोजन समिति को नजर आ रहा है और न ही नगरपालिका परिषद को नजर आ रहा है.

गंदगी का अंबार

जिनके नाम पर मचलेश्वर मेला पड़ा, उनके पोते प्रफुल्ल मिश्रा का कहना है कि इस गंदगी पर मेला आयोजन समिति और नगरपालिका परिषद का रवैया घोर लापरवाही भरा है. बता दें कि इनकी 75 प्रतिशत जमीन पर 15 दिनों के लिए निःशुल्क इस मेले का आयोजन होता है. उन्होंने कहा कि मेला आयोजन समिति और नगर परिषद को इस ओर ध्यान देना चाहिए, ताकि स्थानीय लोगों को दिक्कत न हो.

Intro:हिरदेनगर का एक सदी से ज्यादा पुराने ऐतिहासिक मेले का समापन होलिका दहन की रात को हो गया इस मेले के आयोजन से नगर परिषद को लाखों की कमाई होती है क्योंकि यह प्रदेश के सबसे बड़े पशु मेले में शुमार है यहाँ मध्यप्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़,राजिस्थान, उत्तरप्रदेश और अन्य प्रदेशों से व्यपारी और ग्राहक आते हैं यह मेला जितना विशाल होता है मेले के समापन के बाद यहाँ गंदगी भी उतनी ही ज्यादा फैलती है जो स्थानीय निवासियों के लिए मुसीबतें पैदा कर रही हैं


Body:हिरदेनगर के मचलेश्वर मेले के समापन के बाद यहाँ गन्दगी का अंबार लगा हुआ है, पशुओं के मल मूत्र की गंदगी,कहीं मरे हुए पशुओं की हड्डियां, जिन्हें चबाते हुए कुत्ते तो कहीं सड़ांध मारते सड़े हुए संतरों का ढेर पूरे मेला स्थल पर फैली हुई तरह तरह की प्लास्टिक मतलब गन्दगी का कोई ऐसा रूप नहीं होगा जो यहाँ दिखाई न दे लेकिन मेला खत्म होने के एक सप्ताह बाद भी न तो मेला आयोजन समिति को न ही नगर परिषद मण्डला को यह बदबूदार गंदगी नज़र आ रही न ही उसे साफ कराने कोई यहाँ आ रहा हालात यह है कि यहाँ से फैल रही बदबू पूरे हिरदेनगर के निवासियों के लिए मुसीबत का सबब बन रही है


Conclusion:मचलेश्वर मेला जिनके नाम पर पड़ा और जिनकी 75 प्रतिशत जमीन पर 15 दिनों मुफ्त में इस मेले का आयोजन होता है उनके पोते प्रफुल्ल मिश्रा का कहना है कि इस गंदगी पर मेला आयोजन समिति और नगर परिषद मण्डला का ध्यान न जाना उनकी लापरवाही के साथ यह भी बताता है कि स्थानीय लोगों की उन्हें कितनी चिंता है

बाईट--प्रफुल्ल मिश्रा, मचल मिश्र के पोते।
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