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सैकड़ों गायों का सहारा बनी ये गौशाला, बिना सरकारी सहायता होता है इसका संचालन - MP

शहर के युवाओं ने गोरक्षा के लिए 8 साल पहले सद्गुरु गौशाला शुरु की थी. इस गौशाला में सैकड़ों गाय और बछड़ों की सेवा की जा रही है.इस गौशाला की व्यवस्थाओं के संचालन के लिए आम लोगों से सहयोग लिया जाता है. यह सहयोग 1 रुपए से शुरू होता है.

गौशाला में गायों की हो रही सेवा
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Published : Jun 12, 2019, 5:32 PM IST

झाबुआ। गोरक्षा के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से कई कदम उठाए जा रहे हैं. लेकिन शहर के युवाओं ने बिना किसी सरकारी सहायता के गोरक्षा के लिए सद्गुरु गौशाला शुरु की. इस गौशाला में सैकड़ों गाय और बछड़ों की सेवा की जा रही है.

गौशाला में गायों की हो रही सेवा

युवाओं ने 8 साल पहले इस गौशाला को शुरु किया था. इस गौशाला की व्यवस्थाओं के संचालन के लिए आम लोगों से सहयोग लिया जाता है. यह सहयोग 1 रुपए से शुरू होता है. समिति के सदस्य टीटू भगत ग्रामों में लगने वाले हाट बाजारों में दानपात्र लेकर निकलते हैं. लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार धनराशि इस डिब्बे में डालते हैं. इस राशि का उपयोग गायों के आहार और उनकी व्यवस्थाओं के लिए होता है.
शहर में कोई बीमार या दुर्घटनाग्रस्त गाय या नंदी दिखाई देता है तो उसे इस गौशाला में लाया जाता है. इसमें बूचड़खाने में कटने जा रही गायों को सहारा दिया जाता है. यहां 3 पशु चिकित्सक अपनी सेवाएं नियमित रूप से देते हैं. भीषण गर्मी के चलते इन दिनों गोशाला में जंबो कूलर और पंखे लगाए गए हैं. छांव के लिए स्थाई शेड के साथ-साथ अस्थाई रूप से टेंट भी लगाया गया है. इसके साथ ही पानी का भी इंतजाम किया गया है. इसके बावजूद सरकार की तरफ से इस गौशाला को कोई सहायता नहीं दी जा रही है.

झाबुआ। गोरक्षा के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से कई कदम उठाए जा रहे हैं. लेकिन शहर के युवाओं ने बिना किसी सरकारी सहायता के गोरक्षा के लिए सद्गुरु गौशाला शुरु की. इस गौशाला में सैकड़ों गाय और बछड़ों की सेवा की जा रही है.

गौशाला में गायों की हो रही सेवा

युवाओं ने 8 साल पहले इस गौशाला को शुरु किया था. इस गौशाला की व्यवस्थाओं के संचालन के लिए आम लोगों से सहयोग लिया जाता है. यह सहयोग 1 रुपए से शुरू होता है. समिति के सदस्य टीटू भगत ग्रामों में लगने वाले हाट बाजारों में दानपात्र लेकर निकलते हैं. लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार धनराशि इस डिब्बे में डालते हैं. इस राशि का उपयोग गायों के आहार और उनकी व्यवस्थाओं के लिए होता है.
शहर में कोई बीमार या दुर्घटनाग्रस्त गाय या नंदी दिखाई देता है तो उसे इस गौशाला में लाया जाता है. इसमें बूचड़खाने में कटने जा रही गायों को सहारा दिया जाता है. यहां 3 पशु चिकित्सक अपनी सेवाएं नियमित रूप से देते हैं. भीषण गर्मी के चलते इन दिनों गोशाला में जंबो कूलर और पंखे लगाए गए हैं. छांव के लिए स्थाई शेड के साथ-साथ अस्थाई रूप से टेंट भी लगाया गया है. इसके साथ ही पानी का भी इंतजाम किया गया है. इसके बावजूद सरकार की तरफ से इस गौशाला को कोई सहायता नहीं दी जा रही है.

Intro:झाबुआ : हिंदू मान्यता के अनुसार गाय में 33 कोटि देवी- देवताओं का वास होता है । गाय की पूजा करना हिंदू धर्म में पुण्य का काम माना जाता है मगर आज देश और प्रदेश में गायों की हालत काफी चिंताजनक होती जा रही है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सरकार बनने से पहले अपने मेनिफेस्टो में हर विकासखंड पर गौशाला खोलने का वादा किया था, मगर गाय शहरों से निकलने वाले कचरे में अपना भोजन ढूंढने को विवश है। प्रदेशभर में हजारों गायों कि मौत प्लास्टिक ओर पॉलीथिन खाने से हो रही है । गायों की कुछ दुर्दशा देखकर झाबुआ शहर के युवाओं ने 8 साल पहले सद्गुरु गोशाला की स्थापना की थी , खुशी की बात है कि यहाँ गौशाला में आज सैकड़ों गाय और बछड़े के साथ-साथ नंदी की सेवा समर्पण भाव से की जा रही है ।


Body:कहते हैं जहां चाहे वहां का है कुछ इसी सोच के साथ सद्गुरु गौशाला की शुरुआत की गई। गौशाला की व्यवस्थाओं के संचालन के लिए आम लोगों से सहयोग लिया जाता है। यह सहयोग ₹1 से शुरू होता है । समिति के सदस्य टीटू भगत झाबुआ जिले के सभी ग्रामों में लगने वाले हाट बाजारों में दानपात्र लेकर निकलते हैं लोग गौ सेवा के नाम से अपनी श्रद्धा अनुसार ₹1 से लेकर ₹100 तक की धनराशि इस डिब्बे में डालते हैं इस राशि का उपयोग गायों के आहार और उनकी व्यवस्थाओं पर खर्च किया जाता है । 8 साल से चल रही इस गौशाला को सरकार की ओर से किसी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं मिलती बावजूद आज इस गोशाला में 100 से गोवंश का पालन पोषण किया जा रहा है ।


Conclusion:शहर में कोई बीमार या दुर्घटनाग्रस्त गाय या नंदी दिखाई देता है तो उसे समिति के लोग गौशाला लाकर उपचार करते हैं। गोवंश के स्वास्थ्य के लिये 3 पशु चिकित्सक अपनी सेवाएं नियमित रूप से देते हैं। भीषण गर्मी के चलते इन दिनों गोशाला में जंबो कूलर और पंखे लगाए गए हैं । छांव के लिए स्थाई शेड के साथ-साथ अस्थाई रूप से टेंट भी लगाया गया है, पानी के लिए समिति ने 2 ट्यूबवेल किए हैं ताकि गर्मी में इन गायों को किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो। समिति के सदस्यों की मानें तो इस गौशाला के संचालन पर प्रतिमा ₹100000 से अधिक की राशि खर्च की जाती है जिसमे आम और गरीबो की भागीदारी सबसे ज्यादा है । गौशाला में बूचड़खाना में कटने जा रही गायों को सहारा दिया जाता है , यहाँ की गाय का दूध भी उन्हीं के बछड़ों को पिलाया जाता है । सरकार के वचन पत्र में गौशाला खोलने की बात तो शामिल है मगर ये कब खुलेगी मालूम नही । 1 रुपये की सहयोग राशि से शुरू हुआ यह प्रकल्प आज वृहद स्वरूप ले चुका है ।
बाइट पंकज सोनी , अध्यक्ष सद्गुरु गोशाला
बाइट सोनू चौहान , गोशाला समिति सदस्य
बाइट मनीष माहेश्वरी, गोशाला समिति सदस्य
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