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मंडला से जबलपुर तक नेशनल हाईवे का कछुआ गति से हो रहा निर्माण, धूल से हो रहे ग्रामीण बीमार

मंडला से लेकर जबलपुर तक 97 किलोमीटर का नेशनल हाईवे-30 के सड़क निर्माण का कार्य पिछले चार सालों से चल रहा है. जिसके चलते सड़क पर उड़ रही धूल से आसपास के रहवासी धूल से बीमार हो रहे है.

हाईवे की धीमी चाल से ग्रामीण परेशान
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Published : May 17, 2019, 1:34 PM IST


मंडला। मंडला से जबलपुर तक नेशनल हाईवे का काम कछुआ गति से हो रहा है. इसके आसपास रहने वाले ग्रामीणों के लिए ये बीमारी का कारण बन रहा है. जिला अस्पताल के चिकित्सक भी मानते हैं कि इस धूल के चलते सांस के रोग और त्वचा की बीमारियों में इजाफा हुआ है.

हाईवे की धीमी चाल से ग्रामीण परेशान

मंडला से लेकर जबलपुर तक 97 किलोमीटर का नेशनल हाईवे-30 के सड़क निर्माण का कार्य पिछले चार सालों से चल रहा है. इस सड़क के निर्माण के चलते पुरानी सड़क को खोद दिया गया है और जगह-जगह आधा-अधूरा निर्माण कर बीच में ही छोड़ दिया गया है. खास बात ये है कि फॉरेस्ट विभाग से एनओसी नहीं मिलने की वजह से इसका काम दो साल तक अटका रहा.

इतना ही नहीं ठेकेदार द्वारा काम छोड़ने के चलते फिर से इसका टेंडर हुआ और फिर कॉन्ट्रैक्टर ने इसका निर्माण कार्य कछुआ चाल से शुरू किया. जो कभी पेमेंट नहीं होने की वजह से या फिर किसी दूसरे कारणों से रुक जाता है, लेकिन इसका खामियाजा आवागमन करने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है.

नेशनल हाईवे के किनारे बसे ग्रामीण हर समय उड़ने वाली धूल से बीमारी के शिकार हो रहे हैं. जिला चिकित्सालय के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक यह समस्या गंभीर बीमारियों को जन्म दे रही है और स्किन इंफेक्शन की भी संभावना बन रही है. ग्रामीणों का कहना है कि किसी को अगर जख्म हो जाता है, तो वह इतना दुखदाई हो जाता है कि उसके इलाज के लिए मरीज को काफी परेशान होना पड़ता है. तिंदनि निवासी सरोज भी इसी स्किन इंफेक्शन से पीड़ित हैं. वहीं सांस और दमा की बीमारियों से भी बहुत से ग्रामीण पीड़ित हैं.


मंडला। मंडला से जबलपुर तक नेशनल हाईवे का काम कछुआ गति से हो रहा है. इसके आसपास रहने वाले ग्रामीणों के लिए ये बीमारी का कारण बन रहा है. जिला अस्पताल के चिकित्सक भी मानते हैं कि इस धूल के चलते सांस के रोग और त्वचा की बीमारियों में इजाफा हुआ है.

हाईवे की धीमी चाल से ग्रामीण परेशान

मंडला से लेकर जबलपुर तक 97 किलोमीटर का नेशनल हाईवे-30 के सड़क निर्माण का कार्य पिछले चार सालों से चल रहा है. इस सड़क के निर्माण के चलते पुरानी सड़क को खोद दिया गया है और जगह-जगह आधा-अधूरा निर्माण कर बीच में ही छोड़ दिया गया है. खास बात ये है कि फॉरेस्ट विभाग से एनओसी नहीं मिलने की वजह से इसका काम दो साल तक अटका रहा.

इतना ही नहीं ठेकेदार द्वारा काम छोड़ने के चलते फिर से इसका टेंडर हुआ और फिर कॉन्ट्रैक्टर ने इसका निर्माण कार्य कछुआ चाल से शुरू किया. जो कभी पेमेंट नहीं होने की वजह से या फिर किसी दूसरे कारणों से रुक जाता है, लेकिन इसका खामियाजा आवागमन करने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है.

नेशनल हाईवे के किनारे बसे ग्रामीण हर समय उड़ने वाली धूल से बीमारी के शिकार हो रहे हैं. जिला चिकित्सालय के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक यह समस्या गंभीर बीमारियों को जन्म दे रही है और स्किन इंफेक्शन की भी संभावना बन रही है. ग्रामीणों का कहना है कि किसी को अगर जख्म हो जाता है, तो वह इतना दुखदाई हो जाता है कि उसके इलाज के लिए मरीज को काफी परेशान होना पड़ता है. तिंदनि निवासी सरोज भी इसी स्किन इंफेक्शन से पीड़ित हैं. वहीं सांस और दमा की बीमारियों से भी बहुत से ग्रामीण पीड़ित हैं.

Intro:मण्डला से जबलपुर तक रुक रुक कर चल रहा नैशनल हाइवे का काम इसके आसपास रहने वाले ग्रामीणों के लिए बीमारियों का कारण बन रही है जिला अस्पताल के चिकित्सक भी मानते है कि इस धूल के चलते साँस के रोग और त्वचा की बीमारियों में इजाफा हुआ है


Body:मण्डला से लेकर जबलपुर तक 97 किलोमीटर की नैशनल हाइवे 30 की सड़क निर्माण का कार्य पिछले चार सालों से चल रहा है इस सड़क के निर्माण के चलते पुरानी सड़क को खोद दिया गया है और जगह जगह आधा अधूरा निर्माण कर इसे ऐसे ही छोड़ दिया गया है, फारेस्ट विभाग से एनओसी न मिलने के कारण इसका काम दो साल तक अटका रहा इसके बाद ठेकेदार के द्वारा काम छोड़ने के चलते फिर से इसका टेंडर हुआ और फिर पेटी कॉन्ट्रेक्टर के द्वारा इसका निर्माण कार्य कछुआ चाल से शुरू हुआ जो कभी पेमेंट न होने के कारण या अन्य कारणों से रुक जाता है और इसका खामियाजा जहां आवागमन करने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ता है उससे ज्यादा परेशानियों को झेलना पड़ता है इस नैशनल हाइवे के किनारे बसे ग्रामीणों को जो रोज ही इस सड़क से हर समय उड़ने वाली धूल से परेशान हो रहे साथ ही बीमारियों के जाल में भी फंसते जा रहे हैं,चिकित्सकों के अनुसार साँस, दमा की बीमारी के साथ ही उड़ने वाली धूल उनके फेंफड़ो को भी खराब कर रही है,जिंला चिकित्सालय के मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी के अनुसार यह समस्या गंभीर बीमारियों को जन्म दे रही है और स्किन इंफेक्शन की भी संभावना भी इन ग्रामीणों में दूसरे स्थानों में रहने वाले लोगों के मुकाबले यहाँ ज्यादा ही देखी जा रही है


Conclusion:ग्रामीणों का कहना है कि किसी को यदि जख्म हो जाता है तो वह इतना दुखदाई हो जाता है कि उसके ईलाज के लिए मरीज को काफी परेशान होना पड़ता है,तिंदनि निवासी सरोज भी इसी स्किन इंफेक्शन से पीड़ित हैं,इसी के साथ स्वांस और दमा की बीमारियों से भी बहुत से ग्रामीण पीड़ित है

बाईट--रूपेश इशरानी,अमित खरया,गुरूदत्त तांबे
बाईट--डॉ के सी सरौते, चीफ मेडिकल एन्ड हेल्थ ऑफिशर मण्डला
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