मंडला। मंडला से जबलपुर तक नेशनल हाईवे का काम कछुआ गति से हो रहा है. इसके आसपास रहने वाले ग्रामीणों के लिए ये बीमारी का कारण बन रहा है. जिला अस्पताल के चिकित्सक भी मानते हैं कि इस धूल के चलते सांस के रोग और त्वचा की बीमारियों में इजाफा हुआ है.
मंडला से लेकर जबलपुर तक 97 किलोमीटर का नेशनल हाईवे-30 के सड़क निर्माण का कार्य पिछले चार सालों से चल रहा है. इस सड़क के निर्माण के चलते पुरानी सड़क को खोद दिया गया है और जगह-जगह आधा-अधूरा निर्माण कर बीच में ही छोड़ दिया गया है. खास बात ये है कि फॉरेस्ट विभाग से एनओसी नहीं मिलने की वजह से इसका काम दो साल तक अटका रहा.
इतना ही नहीं ठेकेदार द्वारा काम छोड़ने के चलते फिर से इसका टेंडर हुआ और फिर कॉन्ट्रैक्टर ने इसका निर्माण कार्य कछुआ चाल से शुरू किया. जो कभी पेमेंट नहीं होने की वजह से या फिर किसी दूसरे कारणों से रुक जाता है, लेकिन इसका खामियाजा आवागमन करने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है.
नेशनल हाईवे के किनारे बसे ग्रामीण हर समय उड़ने वाली धूल से बीमारी के शिकार हो रहे हैं. जिला चिकित्सालय के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक यह समस्या गंभीर बीमारियों को जन्म दे रही है और स्किन इंफेक्शन की भी संभावना बन रही है. ग्रामीणों का कहना है कि किसी को अगर जख्म हो जाता है, तो वह इतना दुखदाई हो जाता है कि उसके इलाज के लिए मरीज को काफी परेशान होना पड़ता है. तिंदनि निवासी सरोज भी इसी स्किन इंफेक्शन से पीड़ित हैं. वहीं सांस और दमा की बीमारियों से भी बहुत से ग्रामीण पीड़ित हैं.