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स्पेशल चाइल्ड स्कूल के बच्चे समाज को दे रहे हैं खास संदेश, वृक्षारोपण कर पर्यावरण को बचाने का है जुनून - Children of Special Child School in mandla

मण्डला में स्पेशल चाइल्ड स्कूल के बच्चे वृक्षारोपण करते हैं. इन दिव्यांग बच्चों में पर्यावरण को बचाने का एक जुनून है.

स्पेशल चाइल्ड
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Published : Jul 31, 2019, 8:30 PM IST

मण्डला। स्पेशल चाइल्ड स्कूल के बच्चे समाज को एक खास संदेश दे रहे हैं. प्रकृति ने भले ही इन बच्चों के साथ न्याय नहीं किया हो, लेकिन ये दिव्यांग बच्चे प्रकृति को बचाने का ऐसा जुनून रखते हैं जो समाज के लिए एक खास संदेश है. पर्यावरण को बचाने के लिए इनकी सोच पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के लिए एक सीख है.

वृक्षारोपण करते स्पेशल चाइल्ड

ये स्पेशल चाइल्ड बारिश के मौसम में सीड्स बॉल बनाकर वृक्षारोपण करते हैं. बच्चे पर्यावरण की रक्षा के लिए खुद ही प्रेरित हुए और इनकी मदद स्कूल की प्रिंसिपल के साथ ही कई टीचरों ने की है. बच्चों को इनके पसंद के बीज दिलाए गए और फिर मिट्टी के बीच बीज रखकर इन्होंने सीड्स बॉल बनाकर स्कूल कैम्पस में ही लगभग 200 बॉल से पौधे लगाये.

स्पेशल बच्चों के द्वारा किये गए प्रयास से निश्चित ही समाज को सीख लेना चाहिए. पर्यावरण को बचाने के लिए जब ये दिव्यांग सहायक बन सकते हैं तो एक शुरुआत सभी के द्वारा हो सकती है.

मण्डला। स्पेशल चाइल्ड स्कूल के बच्चे समाज को एक खास संदेश दे रहे हैं. प्रकृति ने भले ही इन बच्चों के साथ न्याय नहीं किया हो, लेकिन ये दिव्यांग बच्चे प्रकृति को बचाने का ऐसा जुनून रखते हैं जो समाज के लिए एक खास संदेश है. पर्यावरण को बचाने के लिए इनकी सोच पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के लिए एक सीख है.

वृक्षारोपण करते स्पेशल चाइल्ड

ये स्पेशल चाइल्ड बारिश के मौसम में सीड्स बॉल बनाकर वृक्षारोपण करते हैं. बच्चे पर्यावरण की रक्षा के लिए खुद ही प्रेरित हुए और इनकी मदद स्कूल की प्रिंसिपल के साथ ही कई टीचरों ने की है. बच्चों को इनके पसंद के बीज दिलाए गए और फिर मिट्टी के बीच बीज रखकर इन्होंने सीड्स बॉल बनाकर स्कूल कैम्पस में ही लगभग 200 बॉल से पौधे लगाये.

स्पेशल बच्चों के द्वारा किये गए प्रयास से निश्चित ही समाज को सीख लेना चाहिए. पर्यावरण को बचाने के लिए जब ये दिव्यांग सहायक बन सकते हैं तो एक शुरुआत सभी के द्वारा हो सकती है.

Intro:मण्डला के एक स्पेशल चाइल्ड स्कूल के बच्चों द्वारा समाज को दिया जा रहा संदेश बहुत खास है जो बोल सुन नहीं पाते हैं लेकिन पर्यावरण को बचाने की ऐसी सोच रखते हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के लिए,और समाज के लिए आईना है


Body:बरसात के मौषम में बृक्षारोपण के नजारे आम हैं लेकिन हमारी नज़र ठहरी उस स्कूल पर जाकर जहाँ स्पेशल चाइल्ड के द्वारा बनाए जा रहे थे सीड्स बॉल, यहाँ के करीब आधा सैकड़ा बच्चे न तो बोल पाते हैं न ही सुन पाते हैं या फिर किसी और तरह से दिव्यांग हैं लेकिन इन बच्चों की उस सोच को सारे समाज के सलाम की जरूरत है जिसे लेकर ये पर्यावरण की रक्षा के लिए खुद ही प्रेरित हुए और इनकी मदद की इस स्कूल की प्रिंसिपल के साथ ही तमाम टीचर ने,इन बच्चों को इनके पसन्द के दाने दिलाए गए और फिर मिट्टी के बीच बीज रख कर इन्होंने सीड्स बॉल बना कर स्कूल कैम्पस में ही तकरीबन 2 सैकड़ा बॉल से पौधे लगाने का वो प्रयास किया जो हर किसी को जरूर करना चाहिए,


Conclusion:बच्चों के द्वारा पेड़ पौधे लगाना साधारण बात हो सकती है लेकिन इन स्पेशल बच्चों के द्वारा किये गए प्रयास से निश्चित ही समाज को सीख लेना चाहिए क्योंकि वातावरण को शुद्ध के साथ ही प्रकृति को नियंत्रित रखने में जब ये दिव्यांग सहायक बन सकते हैं तो एक शुरुआत सभी के द्वारा हो सकती है

बाईट--दिव्यांग बच्चा
बाईट--प्रीती पमनानी, प्रिंसिपल, स्पेशल चाइल्ड स्कूल
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