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स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल, हर 100 में से 17 बच्चे कुपोषित

मंडला में 100 में से 17 बच्चे कुपोषित तो 2 बच्चे अति कुपोषण के शिकार हैं. वहीं खून की कमी से ढाई हजार बच्चे जूझ रहे हैं. ये डराने वाले आंकड़े प्रशासन की कुपोषण को लेकर गंभीरता साफ बयां कर रही है.

स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल
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Published : Sep 10, 2019, 3:18 PM IST

मंडला। जिले में बच्चे लगातार कुपोषण और एनीमिया के शिकार हो रहे हैं. 0 से 5 साल के 85 हजार 204 बच्चों में हुए एक सर्वे के अनुसार 14,446 बच्चे कुपोषित, तो 1290 बच्चे अति कुपोषित पाए गए. वहीं 1 लाख में 2400 से ज्यादा बच्चे एनीमिया का शिकार हैं. इन आंकड़ों ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है.

स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल
जिले में महिला एवं बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं किस तरह से काम कर रही हैं, इसकी बानगी खुद कुपोषण और एनीमिया के आंकड़े बता रहे हैं. जिले को दस्तक अभियान के दौरान 53 में से 44 वीं रैंक मिली थी. 13 अगस्त तक के आंकड़ों की बात करें, तो मंडला जिले के 9 विकासखंड में कुल 0 से 5 साल के 94 हज़ार 50 बच्चों की जांच की गई, जिनमें से 2 हज़ार 419 बच्चे एनीमिया के शिकार हैं. इनका हीमोग्लोबिन 7 से कम है. लेकिन खास बात यह है कि अब तक सिर्फ 287 बच्चों का ही ब्लड ट्रान्फ्यूजन हो सका है, बाकी के बच्चों को लेकर जिला स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि इन्हें अस्पताल बुलाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन किन्हीं कारणों से ये नहीं आ पा रहे हैं और इनका उपचार नहीं हो पा रहा है.

मंडला। जिले में बच्चे लगातार कुपोषण और एनीमिया के शिकार हो रहे हैं. 0 से 5 साल के 85 हजार 204 बच्चों में हुए एक सर्वे के अनुसार 14,446 बच्चे कुपोषित, तो 1290 बच्चे अति कुपोषित पाए गए. वहीं 1 लाख में 2400 से ज्यादा बच्चे एनीमिया का शिकार हैं. इन आंकड़ों ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है.

स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल
जिले में महिला एवं बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं किस तरह से काम कर रही हैं, इसकी बानगी खुद कुपोषण और एनीमिया के आंकड़े बता रहे हैं. जिले को दस्तक अभियान के दौरान 53 में से 44 वीं रैंक मिली थी. 13 अगस्त तक के आंकड़ों की बात करें, तो मंडला जिले के 9 विकासखंड में कुल 0 से 5 साल के 94 हज़ार 50 बच्चों की जांच की गई, जिनमें से 2 हज़ार 419 बच्चे एनीमिया के शिकार हैं. इनका हीमोग्लोबिन 7 से कम है. लेकिन खास बात यह है कि अब तक सिर्फ 287 बच्चों का ही ब्लड ट्रान्फ्यूजन हो सका है, बाकी के बच्चों को लेकर जिला स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि इन्हें अस्पताल बुलाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन किन्हीं कारणों से ये नहीं आ पा रहे हैं और इनका उपचार नहीं हो पा रहा है.
Intro:मण्डला जिले में महिला एवं बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं किस तरह से कार्य कर रही हैं इसकी बानगी यदी कुपोषण और एनिमिया के आंकड़े उठा कर देख लें तो समझ आ जाए यह वही जिला है जिसे दस्तक अभियान के दौरान 53 में से 44 वीं रैंक मिली थी और इस शर्मनाक पायदान के बाद भी हालात कुछ सुधरें हो या कुछ नई कार्ययोजना बनी हो लगता नहीं


Body:मण्डला जिले का दुर्भाग्य है कि यहाँ के बच्चे लगातार कुपोषण और एनीमिया के शिकार हो रहे लेकिन उन्हें उपचार जैसा मिलना चाहिए वो नहीं मिल पा रहा जिसका नतीजा ये है कि 0 से 5 साल के 85204 बच्चों का जब बजन हुआ तो 14 हज़ार 446 बच्चे कुपोषित(17%) तो 1290 बच्चे (2%) अतिकुपोषित पाए गए वहीं 1 लाख करीब बच्चों की जाँच में यह निकल कर सामने आया कि 24 सौ से ज्यादा बच्चे एनिमिक हैं, लेकिन ब्लड ट्रान्फ्यूजन बस 400 के लगभग बच्चों का हो पाया है जबकि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 822 बच्चों का टारगेट रखा गया था,जो यह बताता है कि इस बीमारी को विभाग कितनी गम्भीरता से ले रहा है 0 से 5 साल के बच्चों में फैल रहे कुपोषण और एनिमिया के मुद्दे को उठाया है और हम यह पहले ही बता चुके थे कि इसके मामले अभी और बढ़ेंगे,13 अगस्त तक के आंकड़ों की बात करें तो मण्डला जिले के 9 विकासखंड में कुल 0 से 5 साल के 94 हज़ार 50 बच्चों की जाँच की गई जिनमें से 2 हज़ार 419 बच्चे एनिमिया के शिकार हैं जिनका ब्लड लेबल 7 से कम है लेकिन यह बात चिंता की है कि अब तक सिर्फ 287 बच्चों का ही ब्लड ट्रान्फ्यूजन हो सका है बाकी के बच्चों को लेकर जिला स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि इन्हें अस्पताल बुलाने की कोशिश की जा रही है लेकिन किन्ही कारणों से ये नहीं आ पा रहे और इनका उपचार नहीं हो पा रहा


Conclusion:मण्डला में 100 में से 17 बच्चे कुपोषित तो 2 बच्चे अति कुपोषण के शिकार हैं वहीं खून की कमी से जूझ रहे ढाई हजार बच्चे यह बताने को काफी हैं कि सरकारें कितनी भी कोशिश कर लें लेकिन जमीनी हकीकत वैसी नहीं जैसे ढाबे एयरकंडीशनर रूम में बैठ कर जिम्मेदार,ओहदेदारों के सामने पेश करते हैं

बाईट_के सी सरौते,पूर्व जिला स्वास्थ्य अधिकारी
बाईट-प्रशांतदीप ठाकुर, जिला महिला बाल विकास अधिकारी
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