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नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे, प्रशासन नहीं ले रहा कोई सुध

मंडला में बच्चों को स्कूल जाने के लिए नदी पार करनी पड़ रही है. कई बार प्रशासन से शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे
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Published : Dec 3, 2019, 8:43 AM IST

Updated : Dec 3, 2019, 10:30 AM IST

मंडला। केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मोदी सरकार में मंत्री पद पर हैं, लेकिन उनके ही विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा लेने के लिए बच्चों को किन हालातों का सामना करना पड़ता है, इसकी उन्हें भनक तक नहीं है. जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर के बच्चे जिन हालातों का सामना कर रहे हैं, उन्हे देखकर देश की शिक्षा-व्यवस्था का अंदाजा लगा सकता है.

नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे

मण्डला से करीब 10 किलोमीटर दूर हिरदेनगर के माध्यमिक और हाई स्कूल में तलैया टोला, देवगांव के करीब आधा सैकड़ा छात्र-छात्राएं रोज बहती नदी पार कर पढ़ाई करने आते हैं. बंजर नदी पर बनने वाले कच्चे पुल के चलते पानी बढ़ जाने से ये बीते एक सप्ताह से विद्यालय तक नहीं जा पाए और अब मजबूरी में इन्हें कमर तक पानी को पार कर स्कूल जाना पड़ रहा है. सुबह ठंड में भीगे कपड़ों में पढ़ाई करने से उनकी तबियत भी खराब हो सकती है, लेकिन प्रशासन को इसकी कोई परवाह नहीं है.

बच्चों ने विरोध में नदी के किनारे ही पढ़ाई शुरू कर दी थी, तब जनपद पंचायत के सीईओ यहां आकर बच्चों से नाव की व्यवस्था का वादा कर गए थे, लेकिन अब तक यहां नाव की व्यवस्था नहीं की गई. बच्चों ने पढ़ाई के नुकसान को देखते हुए नदी पार कर स्कूल जाने का फैसला किया, लेकिन इसमें कई खतरे हैं और प्रशासन इससे अनजान है.

मंडला। केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मोदी सरकार में मंत्री पद पर हैं, लेकिन उनके ही विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा लेने के लिए बच्चों को किन हालातों का सामना करना पड़ता है, इसकी उन्हें भनक तक नहीं है. जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर के बच्चे जिन हालातों का सामना कर रहे हैं, उन्हे देखकर देश की शिक्षा-व्यवस्था का अंदाजा लगा सकता है.

नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे

मण्डला से करीब 10 किलोमीटर दूर हिरदेनगर के माध्यमिक और हाई स्कूल में तलैया टोला, देवगांव के करीब आधा सैकड़ा छात्र-छात्राएं रोज बहती नदी पार कर पढ़ाई करने आते हैं. बंजर नदी पर बनने वाले कच्चे पुल के चलते पानी बढ़ जाने से ये बीते एक सप्ताह से विद्यालय तक नहीं जा पाए और अब मजबूरी में इन्हें कमर तक पानी को पार कर स्कूल जाना पड़ रहा है. सुबह ठंड में भीगे कपड़ों में पढ़ाई करने से उनकी तबियत भी खराब हो सकती है, लेकिन प्रशासन को इसकी कोई परवाह नहीं है.

बच्चों ने विरोध में नदी के किनारे ही पढ़ाई शुरू कर दी थी, तब जनपद पंचायत के सीईओ यहां आकर बच्चों से नाव की व्यवस्था का वादा कर गए थे, लेकिन अब तक यहां नाव की व्यवस्था नहीं की गई. बच्चों ने पढ़ाई के नुकसान को देखते हुए नदी पार कर स्कूल जाने का फैसला किया, लेकिन इसमें कई खतरे हैं और प्रशासन इससे अनजान है.

Intro:(इस खबर के और विजुअल फाइल से हैं जो बरसात के सीजन के हैं,भेज रहा हूँ)

मण्डला में एक राज्यसभा तो एक लोकसभा सांसद हैं जिसमे से फग्गनसिंह कुलस्ते मोदी सरकार में मंत्री भी हैं लेकिन जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर के बच्चे किन हालातों को पार कर स्कूल तक पहुँचते है यह देख कर कोई नहीं कह सकता कि हम बच्चों की शिक्षा को लेकर गंभीर हैं


Body:मण्डला से करीब 10 किलोमीटर दूर हिरदेनगर के माध्यमिक और हाई स्कूल में तलैया टोला,देवगांव के करीब आधा सैकड़ा छात्र छात्राएं पढाई करने आते हैं लेकिन जिन हालातों में पढ़ने आते हैं उसे मुश्किलों का ही सफर कहा जा सकता है एक तरफ बरसात में जहां कीचड़ भरा रास्ता इनकी राह रोकता है और ये बाढ़ के चलते कई कई दिनों तक स्कूल नहीं जा पाते वहीं खुले मौषम में बंजर नदी पर बनने वाले कच्चे पुल के चलते पानी बढ़ जाने से ये बीते एक सप्ताह से विद्यालय तक नहीं जा पाए और अब मजबूरी में इन्हें कमर तक पानी को पार कर स्कूल जाना पड़ रहा है,बच्चों ने विरोध में नदी के किनारे ही पढाई शुरू कर दी थी तब जनपद पंचायत के सीईओ यहाँ आकर बच्चों से नाव की व्यवस्था का वादा कर गए थे लेकिन अब तक यहाँ नाव की व्यवस्था नहीं कि गयी बच्चों ने हो रहे पढाई के नुकसान को देखते हुए खुद ही पानी की गहराई होने के बाद भी भीगते कपड़ों की परवाह न करते हुए मजबूरी में स्कूल जाना शुरू तो कर दिया लेकिन दिन भर गीली पेंट या सलवार पहन कर स्कूल में कैसे बैठा जाता होगा इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है,बता दें कि तलैया टोला से हिरदेनगर की दूरी महज 4 किलोमीटर होगी लेकिन बीच मे नदी होने के चलते बच्चों को हमेसा ही स्कूल पहुँचने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है।वहीं तलैया टोला से नदी पार कर मण्डला की दूरी करीब 12 किलोमीटर है जबकि पुल न होने से यही सफर तय करने लोगों को 30 से 35 किलोमीटर की दूरी नापनी पड़ती है।


Conclusion:बड़ी कक्षाओं में पढ़ने वाले लड़के तो पेंट उतार कर जैसे तैसे नदी पार कर ही लेते हैं लेकिन छोटी कक्षाओं के बच्चों और लड़कियों के सामने मुसीबत यह कि वे कैसे नदी के पार पहुँचे क्योंकि हर हाल में उनके कपड़े गीले होने ही हैं,दुर्भाग्य की बात यह भी की यहाँ से चंद फासले पर ही राज्यसभा साँसद सम्पतिया उइके का भी गांव है जहाँ से उन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा और दिल्ली तक पहुंचने में कामयाब हुईं लेकिन ग्राम पंचायत की खस्ताहाल सड़क और ग्रामीणों की मुसीबत बनी नदी आज भी वैसे ही है जैसे पहले थी।


बाईट--;रिमझिम,छात्रा
बाईट--राधिका नंदा,छात्रा
बाईट-- मुकेश नंदा,स्थानीय निवासी
पीटूसी मयंक तिवारी संवददाता मण्डला
Last Updated : Dec 3, 2019, 10:30 AM IST
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