मंडला। सरकारें भले ही बाल श्रम को रोकने के लाख दावे करे, लेकिन जब सरकारी काम ही बाल श्रम के सहारे करवाया जाए तो फिर कहना ही क्या. मंडला जिले में बनी कटरा रोपणी में सरकारी कर्मचारियों की नाक के नीचे बाल श्रम कराया जा रहा है, जिस पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है. उपर से कोरोना के इस दौर में न तो काम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा रहा है और न ही कोई सावधानी बरती गई.
मंडला के कटरा वन क्षेत्र में बनी नर्सरी से पूरे जिले और आस-पास पौधे भेजे जाते हैं. लेकिन यहां बच्चों से भी काम करवाया जाता है. टिकरिया रेंज के वन रक्षक जब यहां पौधे लेने आए तो वे बच्चों से काम करवाते दिखे. ये दोनों ही बच्चे बिना मास्क लगाए बिना सोशल डिस्टेंसिंग के पौधे उठाकर वाहन में लाद रहे थे. जबकि इस रोपणी के सरकारी कर्मचारी भी यहां मौजूद थे लेकिन किसी ने बच्चों को काम करने से नहीं रोका. जब इस मामले में वन रक्षक से बात की गई तो उन्होंने उल्टा सवाल करते हुए कहा कि इन बच्चों के मां-बाप के पास कोई काम नहीं है, ऐसे में वे काम कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है.
सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं रखा जा रहा ध्यान
कोरोना महामारी के बीच जहां सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना जरुरी है, लेकिन रोपणी में एक तरफ बाल श्रम भी करवाया जा रहा है, तो दूसरी तरफ यहां मजदूर बगेर सोशल डिस्टेंसिंग और बगेर मास्क के काम करते दिखाई दिए. जिससे परेशानियां बढ़ सकती है. लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे.
श्रम अधिकारी ने नहीं उठाया फोन
बाल श्रम के मामले में जब मंडला जिले के श्रम अधिकारी जीतेंद्र मेश्राम से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने ऑफिस टाइम होने के बाद भी फोन ही नहीं उठाया. लगभग एक घंटे बाद पता चला कि श्रम अधिकारी जिले की नई कलेक्टर मैडम से मुलाकात करने गए हैं. बड़ा सवाल यह है कि जब सरकारी काम ही बच्चों से करवाया जा रहा है तो फिर पूरे जिले में बाल श्रम के हालात क्या होंगे. ऐसे में जरुरत है कि श्रम विभाग इस बाल श्रम को रोकने के लिए जरुरी कदम उठाए.