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ट्राइबल बेल्ट के 'पासपोर्ट ऑफिस' का सपना अधूरा! 2 सांसद, विधायक और केंद्रीय मंत्री भी नहीं ला पाए अच्छे दिन - मंडला में पासपोर्ट कार्यालय

मंडला को 2018 में ही केंद्र सरकार के द्वारा पासपोर्ट ऑफिस खोले जाने की स्वीकृति मिल चुकी थी. लेकिन अब तक जिले में ऑफिस नहीं खुला है, जिससे जिले के लोगों को परेशान होना पड़ता है. इस मुद्दे को लेकर ईटीवी भारत ने जनप्रतिनिधियों से जवाब मांगा कि आखिर इसमें देरी क्यों हो रही है.

People upset due to non-opening of passport office in Mandla
मंडला में पासपोर्ट ऑफिस ना खुलने से लोग परेशान
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Published : Aug 19, 2020, 10:12 PM IST

Updated : Aug 20, 2020, 11:34 AM IST

मंडला। सत्ताधारी दल के दो सांसद, जिनमें एक तो केंद्रीय मंत्री, एक विधायक, केंद्र के साथ राज्य में भी भाजपा की ही सरकार. फिर भी पिछले दो साल में नहीं खुल सका एक पासपोर्ट कार्यालय. जी हां मंडला को 2018 में ही केंद्र सरकार के द्वारा पासपोर्ट ऑफिस खोले जाने की स्वीकृति मिल चुकी थी. लेकिन अब तक जिले में ऑफिस का न खुल पाना सवाल उठाता है, जनप्रतिनिधियों के उस रवैये पर जो जनता के हित में है यह तो किसी लिहाज से नहीं कहा जा सकता.

मंडला में पासपोर्ट ऑफिस ना खुलने से लोग परेशान

मंडला वालों को पासपोर्ट बनवाने बालाघाट, जबलपुर या फिर भोपाल के चक्कर काटने पड़ते हैं और यह भी निश्चित है कि पहली ही बार में पासपोर्ट नहीं बन पाता. ऐसे में लोगों को बार-बार परेशान होना पड़ता है, वो भी तब जब केंद्र के द्वारा मण्डला पोस्ट ऑफिस में पासपोर्ट कार्यालय खोले जाने की स्वीकृति के साथ ही पत्र 31 दिसम्बर 2018 को भेज दिया गया था.

जिसमें वर्तमान केंद्रीय मंत्री और मंडला के सांसद को स्वीकृति की सूचना देते हुए लिखा गया है कि विदेश मंत्रालय द्वारा डाक विभाग के साथ मिल कर 'पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र' (पीओपीएसके) खोलने की स्वीकृति, योजना के दूसरे चरण में दे दी गयी है.

इस पत्र में डाक विभाग के द्वारा मुख्य डाकघर मंडला में जगह न होने की बात का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्रालय के तत्कालीन सचिव ज्ञानेश्वर एम. मुले ने कहीं भी 300 वर्ग फिट का स्थान सुझाने की बात भी कही थी, जिससे कि यह पासपोर्ट ऑफिस खोला जा सके. लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा इस स्थान को खोज पाने में इतना लंबा समय लगना, कहीं न कहीं उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है.

क्या कहते हैं लोग

ऐसा नहीं है कि मंडला में लोगों को पासपोर्ट बनाने की जरूरत ही न पड़ती हो, लेकिन जिले का दुर्भाग्य है कि स्वीकृति के बाद से अब तक उन्हें बालाघाट, जबलपुर, भोपाल के चक्कर काटने पड़ते हैं. जिससे कि उनका समय और पैसा दोनों बर्वाद होता है और अनावश्यक ही देर होती है.

लोगों का कहना है कि यदि मंडला में ही पासपोर्ट कार्यालय खुल जाए तो सभी को बहुत सुविधा होगी, जिले के वरिष्ट पत्रकार चंद्रेश खरे हों या फिर व्यवसायी अजय खोत 2018 से अब तक एक ऑफिस न खुल पाने से निराश हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष ने दोनों सांसद और भाजपा विधायक पर सवाल खड़े करते हुए विभाग और जिम्मदारों से पत्र व्यवहार की बात कही.

क्या कहते हैं पोस्ट ऑफिस संभागीय अधीक्षक

डाक विभाग के संभागीय अधीक्षक आर पी शर्मा का कहना है कि इस विषय पर भोपाल स्तर पर पत्र व्यवहार चल रहा है और मंडला में जगह न हो पाने के कारण जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर निवास विकासखंड के डाक घर में इसे खोलने के लिए पत्र लिखे गए हैं, लेकिन मई 2020 के बाद से कोई पत्र व्यवहार नहीं हुआ है.

जिला मुख्यालय में ही हो पासपोर्ट कार्यालय

जब इस विषय पर राज्यसभा की सांसद सम्पतिया उइके से बात की गई और ईटीवी भारत ने उनके संज्ञान में मंडला की जगह निवास में ऑफिस खोले जाने के प्रयास का मामला लाया तो उनका कहना था कि जिला मुख्यालय में ही यह कार्यालय खोला जाना जरूरी है और निवास में यदि खोला जाता है तो जिले की जनता को फिर परेशानी ही होगी, स्थान सुझाए जाने के लिए उनके द्वारा मंडला कलेक्टर हर्षिका सिंह से मोबाइल पर बात भी की गई.

लोगों को हो रही परेशानी के चलते जिले की जनता ने मांग की थी कि जिले में ही पासपोर्ट कार्यालय खुले, जिसे जनप्रतिनिधियों ने मुद्दा बनाया और स्वीकृति के प्रयास भी किए. लेकिन भाजपा हो या कोंग्रेस सभी को अब यह याद ही नहीं कि महज एक टेबल एक कंप्यूटर सिस्टम और 300 वर्ग फिट की जगह जनभागीदारी से ही खोज ली जाए, तो मंडला से लोग दूसरे जिले पासपोर्ट बनवाने न जाएं.

लेकिन सभी को यह पता है कि यह मुद्दा चुनावों के लिहाज से शायद उतना बड़ा नहीं. वैसे ईटीवी भारत के द्वारा अब इस विषय पर सभी का ध्यान आकर्षित कराया गया है, जिससे उम्मीद की जा सकती है कि जल्द इसके परिणाम भी अच्छे प्राप्त होंगे.

मंडला। सत्ताधारी दल के दो सांसद, जिनमें एक तो केंद्रीय मंत्री, एक विधायक, केंद्र के साथ राज्य में भी भाजपा की ही सरकार. फिर भी पिछले दो साल में नहीं खुल सका एक पासपोर्ट कार्यालय. जी हां मंडला को 2018 में ही केंद्र सरकार के द्वारा पासपोर्ट ऑफिस खोले जाने की स्वीकृति मिल चुकी थी. लेकिन अब तक जिले में ऑफिस का न खुल पाना सवाल उठाता है, जनप्रतिनिधियों के उस रवैये पर जो जनता के हित में है यह तो किसी लिहाज से नहीं कहा जा सकता.

मंडला में पासपोर्ट ऑफिस ना खुलने से लोग परेशान

मंडला वालों को पासपोर्ट बनवाने बालाघाट, जबलपुर या फिर भोपाल के चक्कर काटने पड़ते हैं और यह भी निश्चित है कि पहली ही बार में पासपोर्ट नहीं बन पाता. ऐसे में लोगों को बार-बार परेशान होना पड़ता है, वो भी तब जब केंद्र के द्वारा मण्डला पोस्ट ऑफिस में पासपोर्ट कार्यालय खोले जाने की स्वीकृति के साथ ही पत्र 31 दिसम्बर 2018 को भेज दिया गया था.

जिसमें वर्तमान केंद्रीय मंत्री और मंडला के सांसद को स्वीकृति की सूचना देते हुए लिखा गया है कि विदेश मंत्रालय द्वारा डाक विभाग के साथ मिल कर 'पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र' (पीओपीएसके) खोलने की स्वीकृति, योजना के दूसरे चरण में दे दी गयी है.

इस पत्र में डाक विभाग के द्वारा मुख्य डाकघर मंडला में जगह न होने की बात का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्रालय के तत्कालीन सचिव ज्ञानेश्वर एम. मुले ने कहीं भी 300 वर्ग फिट का स्थान सुझाने की बात भी कही थी, जिससे कि यह पासपोर्ट ऑफिस खोला जा सके. लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा इस स्थान को खोज पाने में इतना लंबा समय लगना, कहीं न कहीं उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है.

क्या कहते हैं लोग

ऐसा नहीं है कि मंडला में लोगों को पासपोर्ट बनाने की जरूरत ही न पड़ती हो, लेकिन जिले का दुर्भाग्य है कि स्वीकृति के बाद से अब तक उन्हें बालाघाट, जबलपुर, भोपाल के चक्कर काटने पड़ते हैं. जिससे कि उनका समय और पैसा दोनों बर्वाद होता है और अनावश्यक ही देर होती है.

लोगों का कहना है कि यदि मंडला में ही पासपोर्ट कार्यालय खुल जाए तो सभी को बहुत सुविधा होगी, जिले के वरिष्ट पत्रकार चंद्रेश खरे हों या फिर व्यवसायी अजय खोत 2018 से अब तक एक ऑफिस न खुल पाने से निराश हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष ने दोनों सांसद और भाजपा विधायक पर सवाल खड़े करते हुए विभाग और जिम्मदारों से पत्र व्यवहार की बात कही.

क्या कहते हैं पोस्ट ऑफिस संभागीय अधीक्षक

डाक विभाग के संभागीय अधीक्षक आर पी शर्मा का कहना है कि इस विषय पर भोपाल स्तर पर पत्र व्यवहार चल रहा है और मंडला में जगह न हो पाने के कारण जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर निवास विकासखंड के डाक घर में इसे खोलने के लिए पत्र लिखे गए हैं, लेकिन मई 2020 के बाद से कोई पत्र व्यवहार नहीं हुआ है.

जिला मुख्यालय में ही हो पासपोर्ट कार्यालय

जब इस विषय पर राज्यसभा की सांसद सम्पतिया उइके से बात की गई और ईटीवी भारत ने उनके संज्ञान में मंडला की जगह निवास में ऑफिस खोले जाने के प्रयास का मामला लाया तो उनका कहना था कि जिला मुख्यालय में ही यह कार्यालय खोला जाना जरूरी है और निवास में यदि खोला जाता है तो जिले की जनता को फिर परेशानी ही होगी, स्थान सुझाए जाने के लिए उनके द्वारा मंडला कलेक्टर हर्षिका सिंह से मोबाइल पर बात भी की गई.

लोगों को हो रही परेशानी के चलते जिले की जनता ने मांग की थी कि जिले में ही पासपोर्ट कार्यालय खुले, जिसे जनप्रतिनिधियों ने मुद्दा बनाया और स्वीकृति के प्रयास भी किए. लेकिन भाजपा हो या कोंग्रेस सभी को अब यह याद ही नहीं कि महज एक टेबल एक कंप्यूटर सिस्टम और 300 वर्ग फिट की जगह जनभागीदारी से ही खोज ली जाए, तो मंडला से लोग दूसरे जिले पासपोर्ट बनवाने न जाएं.

लेकिन सभी को यह पता है कि यह मुद्दा चुनावों के लिहाज से शायद उतना बड़ा नहीं. वैसे ईटीवी भारत के द्वारा अब इस विषय पर सभी का ध्यान आकर्षित कराया गया है, जिससे उम्मीद की जा सकती है कि जल्द इसके परिणाम भी अच्छे प्राप्त होंगे.

Last Updated : Aug 20, 2020, 11:34 AM IST
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