मंडला। तीन महीनों से बसों के पहिए थमे हुए हैं और बस ऑपरेटर्स को जबरदस्त घाटा भी हुआ है, क्योंकि यही वो सीजन था जिसमें शादी से लेकर गर्मियों की छुटियां मनाने बड़ी संख्या में लोग बस से सफर करते थे, इन बसों को चलाने की अनुमति अनलॉक 1 में शासन-प्रशासन ने कुछ नियमों के पालन के साथ दे दी है, लेकिन नैनपुर के बस संचालक बसें चलाने को तैयार ही नहीं हैं.
मंडला कलेक्टर डॉ जगदीश चन्द्र जटिया के द्वारा उज्जैन, भोपाल और इंदौर को छोड़कर बाकी के जिलों में बसें चलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन इनके संचालन में बस ऑपरेटरों को ऑड और इवन के फॉर्मूले का पालन करना होगा. जिसके तहत जिन वाहनों के नम्बर का आखिरी अंक सम होगा, वो सम संख्या वाली डेट पर और विषम अंक वाले विषम संख्या की डेट पर वाहन 50 प्रतिशत यात्रियों को बैठाकर ही चला पाएंगे. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग और बसों को सैनिटाइजिंग करने के साथ चला सकेंगे. सभी यात्रियों और बस के कर्मचारियों को मास्क लगाना अनिवार्य होगा.
क्यों नहीं चला रहे ऑपरेटर बस-
बस संचालकों का कहना है कि एक तो 50 प्रतिशत यात्रियों से उनका खर्च नहीं निकल पाएगा, साथ ही यात्रा करने वालों का बार-बार हाथ धुलाना भी सम्भव नहीं है, इसके साथ ही बस संचालक मांग कर रहे हैं कि तीन महीने से जो उनकी बसें खड़ी हैं, इसके घाटे की पूर्ति के लिए सरकार तीन महीने का परिवहन टैक्स माफ करे और जो इंश्योरेंस वाहनों का है उसे भी तीन महीने बढ़ाया जाए. नैनपुर के बस संचालक ने बताया कि इन तीन महीनों में उन्हें जबरदस्त घाटा लगा है और उनके कर्मचारियों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है ऐसे में बिना सरकारी राहत के बसें चलाना सम्भव नहीं और वे बसों को फिलहाल खड़ा ही रखेंगे.
बसों के संचालन की अनुमति कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने को ध्यान में रखते हुए दी गयी है, लेकिन बस संचालकों की अपनी मुसीबतें और नुकसान भी कम नहीं है. ऐसे में बसें फिर सड़कों पर भागती कब नजर आएंगी, इस पर सबकी नजर रहेगी, क्योंकि ऐसे भी लोग अब भी बाहर फंसे हुए हैं जो गर्मियों की बची छुट्टियां अपनों के साथ मनाना चाहते हैं.