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सूर्यग्रहण के बाद लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी, पूजा-पाठ कर किया दान-पुण्य - etv bharat news

मण्डला में नर्मदा नदी के घाटों पर सूर्यग्रहण के बाद लोगों ने आस्था की डुबकी लगाकर पूजा-पाठ किया.

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सूर्यग्रहण के बाद लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी
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Published : Dec 26, 2019, 3:18 PM IST

मण्डला। नर्मदा नदी के घाटों पर सूर्यग्रहण के बाद लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई. जिसके बाद मंदिरों में पूजा-पाठ कर दान-पुण्य भी किया. हालांकि, मौसम खराब होने के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखी गई.

सूर्यग्रहण के बाद लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी

सूर्यग्रहण के बाद नदियों में स्नान करने का बड़ा महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण का दुष्प्रभाव स्नान के बाद कम हो जाता है. साथ ही पूजन-पाठ कर जरूरतमंदों, गरीबों और ब्राम्हणों को दान-पुण्य लाभ के लिए आवश्यक है. इन्हीं मान्यताओं के चलते लोगों ने दान भी किया.

मण्डला। नर्मदा नदी के घाटों पर सूर्यग्रहण के बाद लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई. जिसके बाद मंदिरों में पूजा-पाठ कर दान-पुण्य भी किया. हालांकि, मौसम खराब होने के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखी गई.

सूर्यग्रहण के बाद लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी

सूर्यग्रहण के बाद नदियों में स्नान करने का बड़ा महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण का दुष्प्रभाव स्नान के बाद कम हो जाता है. साथ ही पूजन-पाठ कर जरूरतमंदों, गरीबों और ब्राम्हणों को दान-पुण्य लाभ के लिए आवश्यक है. इन्हीं मान्यताओं के चलते लोगों ने दान भी किया.

Intro:मण्डला के नर्मदा नदी के घाटों में सूर्यग्रहण के बाद लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई जिसके बाद मंदिरों में पूजापाठ के बाद दान पुण्य भी किया,हालांकि मौषम खराब होने के चलते भीड़ कम देखी गयी


Body:सूर्यग्रहण के बाद नर्मदा नदी के घाटों पर लोग स्नान करने पहुँचे जहाँ पहले लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई,जल चढ़ाया और फिर मंदिरों में जाकर पूजन पाठ किया,सूर्यग्रहण के बाद नदीयों या फिर सरोवर में स्नान का बड़ा महत्व है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दुष्प्रभाव स्नान के बाद कम हो जाते हैं इसके बाद पूजन पाठ कर अपनी शक्ति के अनुसार जरूरतमंदों,गरीबों और ब्राम्हणों को दान देना पुण्य लाभ के लिए आवश्यक है और इन्ही मान्यताओं के चलते लोगों ने दान भी किया


Conclusion:रात में हुई हल्की बारिश और सुबह से घने बादलों के चलते तापमान गिरने से लोग नर्मदा के घाटों पर कम ही पहुँचे वहीं खराब मौषम के चलते धार्मिक आयोजन भी कम ही देखे गए।

बाईट--पण्डित सुभाष तिवारी,पुरोहित
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