मंडला। अनलॉक 4.0 के बाद स्कूल कब खुलेंगे ये अब तक साफ नहीं हो पाया है. इस शिक्षण सत्र में जिले के सभी 9 ब्लॉक के 10-10 स्कूलों को इस तर्ज पर तैयार किया जा रहा कि वे प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दे सकें, हलांकि इसके लिए अलग से कोई निर्देश राज्य शिक्षा विभाग ने नहीं दिए, लेकिन जिला प्रशासन और स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इन स्कूलों को आकर्षक और सुविधाओं से लैस बनाने की शुरुआत की है.
क्या होगा बदलाव
मंडला के 2678 सरकारी स्कूलों में से प्राथमिक, माध्यमिक मिलाकर 90 स्कूलों को खास तरह से रंग रोगन किया जाएगा, जिससे ये बच्चों को आकर्षित करें, इसके अलावा पुराने टायर, रस्सियों, लकड़ी, पत्थर और अन्य ऐसी चीजों का उपयोग कर कलाकृति बनाई जाएंगी. स्कूल परिसर में ही झूला, फिसलपट्टी और सीढ़ी आदी बनाई जाएंगी. इसके साथ ही दीवारों और छतों पर भी खास ध्यान दिया जाएगा, जिनमें कठिन पाठ्यसामग्री को चित्रों और आकृतियों के माध्यम से रचा जाएगा, फर्श भी कुछ ऐसे किये जाएंगे जिसपर बैठ कर भी बच्चे कुछ सीख सकें.
कैसे बढ़ेगा पढ़ाई का स्तर
मॉडल स्कूल की परिकल्पना निश्चित तौर पर बच्चों को स्कूलों को तरफ आकर्षित करने के साथ ही मनोरंजन के साथ पढाई के लिहाज से बिल्कुल सही कदम कहा जा सकता है, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जिले में ऐसे स्कूलों की संख्या भी कम नहीं, जहां शिक्षकों की उपलब्धता ही नहीं. इसके अलावा बिजली और दूसरी समस्याओं वाली स्कूलों की संख्या तो कम है ही नहीं.
क्या कहते हैं आंकड़े
- जिले के 9 विकासखंड में कक्षा 1 से 8 तक कुल 2678 स्कूल हैं
- 100399 कुल विद्यार्थी
- प्राथमिक शालाओं की संख्या 2078
- मिडिल स्कूल की संख्या 600
- सरकारी स्कूलों में कुल 4920 शिक्षक पदस्थ हैं
- 850 शिक्षकों की कमी है
- 214 स्कूल शिक्षक विहीन हैं
- 912 स्कूलों में बिजली व्यवस्था नहीं है
हलांकि पूरे जिले में एक भी ऐसा स्कूल नहीं है, जहां शौचालय न हो या फिर पीने के पानी की व्यवस्था न हो.
पिछले साल बंद हुए हैं 26 स्कूल
बीते सत्र में 25 प्राथमिक और 1 माद्यमिक शाला को 1 से 10 के छात्र संख्या के कारण बंद किया गया है, जबकि जिले में अब भी 513 ऐसे स्कूल हैं, जिनमे बच्चों की दर्ज संख्या 0 से लेकर 20 तक ही है, जो राज्य शिक्षा केन्द्र के उन नियमों का पालन नहीं करते, जिसमें कहा गया है कि स्कूलों के संचालन के लिए प्राथमिक शाला में कम से कम 20 और माध्यमिक शाला में कम से कम 40 बच्चों का दाखिला होना अनिवार्य है.
ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को बुनियादी सुविधाओं के साथ ही प्राइवेट स्कूल का शिक्षा स्तर बढ़ाने के लिए मंडला शिक्षा विभाग की ये पहल सरहाहनीय है. ऐसे में ये भी ध्यान दिया जाए कि 2 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूल किसी न किसी कमी से जूझ रहे हैं, जहां बड़ी संख्या शिक्षकों का आभाव है. ऐसे में चंद स्कूलों के कायाकल्प की बजाय सभी स्कूलों में इतनी तो सुविधाऐं मुहैया करा दी जाएं, जिससे बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सके.