मंडला। लॉकडाउन में मजदूरों की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. देश की सड़कों पर पैदल चलते प्रवासी हर तरफ नजर आ रहे हैं. मंडला में भी छत्तीसगढ़ से पैदल चलते हुए कुछ मजदूर पहुंचे, जो उत्तरप्रदेश के मुज्जफरनगर जा रहे थे. मजदूरों ने बताया कि, वे जहां काम करते थे, वहां उन्हें मजदूरी ही नहीं दी जा रही थी. बिना राशन पानी के आखिरकार उन्हें पैदल ही चलकर अपने घर जाना पड़ रहा है. हालांकि मंडला जिला प्रशासन ने उन्हें घर तक भिजवाने की व्यवस्था कर दी.
मुजफ्फरनगर में रहने वाले करीब आधा सैकड़ों मजदूर छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में गुढ़ फैक्ट्री में काम करने पहुंचे थे. जिन्हें पांच सौ रुपए दिन मजदूरी देने का लालच दिया गया था. लेकिन कंपनी मालिक ने इन मजदूरों के साथ धोखा करते हुए मजदूरी नहीं दी. जबकि लॉकडाउन लगने के बाद उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया. जिसके बाद वे पैदल ही मुजप्फरनगर की तरफ चल निकले. इन मजदूरों में कई छोटे-छोटे बच्चे भी हैं, जिन्हें गोद में उठाएं महिला मजदूरों को लगातार पैदल चलना पड़ रहा था.
मालिक ने नहीं दिया खाना
पैदल चल रहे इन मजदूरों ने बताया कि, मालिक होली के पहले तक उन्हें खाना देता था, लेकिन इसके बाद से काम खत्म होते ही उसने सभी को बाहर का रास्ता दिखा दिया. जो करीब 9 लाख रुपए की मजदूरी भी डकार गया, थाने से लेकर एसपी और डीएम के पास भी की गई शिकायतों का नतीजा सिफर निकला. वो तो भला हो यहां के सरपंच का जिसने कोरोना संकट के बीच उन्हें पनाह दी और बच्चों को देखते हुए रहने खाने की व्यवस्था कराई.
ये 47 मजदूर पैदल ही अपने गांव जा रहे थे. जब ये मजदूर मंडला पहुंचे, तो उन्हें पुलिस ने घर भेजने की व्यवस्था की. मजदूरों का कहना है कि, एक तरफ कंपनी मालिक ने उनके पैसे नहीं दिए, दूसरी सरकार ने भी उनकी मदद नहीं की. ऐसे में यही कहा जा सकता है कि इन प्रवासी मजदूर यह वक्त सबसे ज्यादा मुसीबत भरा है.